गर्भाशय भ्रंश या योनिभ्रंश (Vaginal Prolapse/Collapse or Uterine Prolapse): ऑपरेशन पहला नहीं, अंतिम उपाय

 

(किसी एक ही डॉक्टर की राय को या एक ही चिकित्सा पद्धति के निष्कर्ष को अन्तिम मानकर हार नहीं मानें)

रोगी अनुभव: 22 वर्ष की आयु में मेरी शादी हुई। 3 साल बाद बेटे का जन्म हुआ। डिलेवरी के 25 दिन बाद हमने सेक्स किया। जिसके 15-20 दिन बाद योनि का हिस्सा बाहर दिखने लग गया। खड़े होने पर ऐसा डर सा लगने लगा, जैसे योनि से सब कुछ बाहर आ जायेगा। मैंने अपने पति को बताया तो तुरंत डॉक्टर को दिखाया। उन्होंने 15 दिन की दवाई दी। कोई फायदा नहीं हुआ। इसके बाद जयपुर के एसएमएस की बड़ी महिला डॉक्टर को घर पर दिखाया। उन्होंने 15-15 दिन की 4 बार दवाई दी। कोई फायदा नहीं हुआ। अब तक 17 हजार रुपये खर्च हो गये और कोई फायदा नहीं हुआ।

अन्त में डॉक्टर ने ऑपरेशन की सलाह दी। जिसका खर्चा 50 हजार से अधिक बताया। मैं ऑपरेशन के नाम से ही डर गयी। डर ही डर में दो-तीन महिने निकल गये। इस बीच मैं पीहर में आ गयी। मेरी मां ने कुछ देशी दवाई बनाकर खिलाई। उनसे भी कोई फायदा नहीं हआ। इसी बीच मेरी भाभी ने महिलाओं के एक वाट्सएप हेल्थ ग्रुप में, मेरी समस्या को लिखा। एक महिला ने बताया कि डॉ. पुरुषोत्तम लाल मीणा के हेल्थ वाट्सएप 8561955619 पर सम्पर्क करो।

मेरे पति ने और मैंने डॉ. पुरुषोत्तम लाल मीणा जी से सम्पर्क किया और मिलने का समय मांगा। लेकिन उन्होंने सारी जानकारी वाट्सएप पर ही एक फॉर्म में भरकर भेजने को कहा। हमें बहुत अटपटा सा लगा, लेकिन इलाज करवाना था, सो सब कुछ लिख दिया। इसके बाद डॉ. साहब ने मोबाईल पर बहुत से सवाल पूछे, न चाहते हुए भी सभी सवालों के जवाब भी दिये। शुरु में ही दो महिना की दवाई दी। जिससे मुझे काफी फायदा हुआ। फिर से हमने दो महिना की दवाई मंगवानी चाही, लेकिन डॉक्टर साहब ने एक साथ दो महिने की दवाई नहीं भेजी। बाद में दो बार में एक-एक महिना की दवाई भेजी। कुल 5 महिने बाद मैं पूरी तरह से ठीक हो चुकी हूं।

अब मुझे लगता है कि यदि मैं वाट्सएप पर डॉ. साहब को लिखकर जानकारी भेजने या सवालों के जवाब देने के कारण संकोचवश इलाज नहीं करवाती तो मैं शायद ही ठीक हो पाती। ऑपरेशन का खर्चा और दर्द भी झेलना पड़ता। ऑपरेशन के बाद क्या होता वो भी पक्का नहीं कहा जा सकता! डर इस बात का था कि ऑपरेशन के बाद पता नहीं क्या होने वाला था? जबकि मैं मात्र 12500 रुपये में ही पूरी तरह से स्वस्थ हो गयी। सबसे बड़ी बात कि मैं ऑपरेशन करवाने से बच गयी। इसके अलावा चर्चा के दौरान मुझे और मेरे पति को डॉ. साहब ने अनेक ऐसे टिप्स भी दिये जो हमारे लिये अमूल्य हैं। मैं डॉ. पुरुषोत्तम लाल मीणा जी का यह उपकार कभी नहीं भूलूंगी। धन्यवाद।-उर्मिला (बदला हुआ नाम), अजमेर, राजस्थान। यह रोगिणी द्वारा बताये अनुभव का सार संक्षेप है।

डॉक्टर टिप्पणी: अनेक जटिल केसों में से यह भी एक जटिल केस था। जिसमें पेशेंट एक महिला थी, जो इतनी संकोची थी कि शुरू में एक ही सवाल को अनेक बार पूछने पर भी सही जवाब नहीं देती थी। इसी कारण हो सकता है कि उसने पहले भी किसी डॉक्टर को अपनी तकलीफें सही से नहीं बतायी हों? अधिकतर डॉक्टर्स के पास पेशेंट की तकलीफों को जानने और सुनने के लिये समय की कमी होती है। मेरा स्पष्ट मत है कि पेशेंट्स को अपनी सभी तकलीफें डॉक्टर को खुलकर बतानी चाहिये और जो डॉक्टर पेशेंट्स की तकलीफों को नहीं सुने, ऐसे डॉक्टर के इलाज से स्वस्थ होने की उम्मीद भी नहीं करनी चाहिये। मेरी आदत है उलझे हुए मामलों को चुनौती मानकर इलाज शुरू करना। जिसमें बहुत समय लगता। मगर दूसरा पहलु यह भी है कि लोग होम्यापैथ डॉक्टर के समय की कीमत अदा करना तो दूर, दवाइयों की कीमत अदा करते समय भी मोलभाव करना चाहते हैं। जबकि दूसरी ओर पेशेंट की हालात बिगड़ जाने पर ऑपरेशन में लाखों रुपया बर्बाद करके भी अपने स्वास्थ्य की रिकवरी नहीं कर सकते हैं। सबसे दु:खद स्थिति अधिकतर लोगों को अपने खुद के स्वास्थ्य के प्रति, खुद अपनी ही जिम्मेदारियों का अहसास नहीं है।

प्रस्तुत मामले में पेशेंट का योनिद्वार बाहर निकलता था, जिसे आम बोलचाल में शरीर निकलना भी कहा जाता है। जिसे हिन्दी में गर्भाशय भ्रंश या योनिभ्रंश और अंग्रेजी में Vaginal Prolapse या Vaginal Collapse या Uterine Prolapse भी कहा जाता है। लेकिन होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति में इलाज शुरू करने से पहले रोग के इन नामों के बजाय रोगिणी के शारीरिक एवं मानसिक लक्षण की जानकारी ही अत्यधिक मायने रखती है। जिनको जाने बिना उपचार करना लगभग असम्भव है। मुझे पता है कि उर्मिला जी को मेरे सवालों के जवाब अर्थात लाक्षणिक जानकारी देने में काफी हिचकिचाहट हुई थी। मगर उनके पति ने उन्हें सपोर्ट किया और वह अंतत: सही जानकारी देने को सहमत हुई। जिससे वह स्वस्थ हो गयी। यहां समझने वाली बात यह है कि महिलाओं को अपनी योन तकलीफों को कभी भी छिपाना नहीं चाहिये। इसके अलावा किसी एक ही डॉक्टर की राय को या एक ही चिकित्सा पद्धति के निष्कर्ष को अन्तिम मानकर हार नहीं मान लेनी चाहिये।

लेखन: 07 जनवरी, 2018, 22.08 बजे। संपादन: 18.03.2019

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