प्रोस्टेट ग्रंथि बढने का कारण, बचाव और बिना ऑपरेशन उपचार Prostate Gland Enlargement Causes, Prevention and Treatment Without Operation

 
 
इन दिनों सामान्यत: देखने में आता है कि 50 की आयु पार कर चुके पुरुषों की प्रोस्टेट ग्रंथि अर्थात पौरुष ग्रंथि का बढ़ जाना एक गंभीर समस्या बनती जा रही है। वर्तमान में 40 की आयु पार पुरुषों में भी यह समस्या देखी जा रही है।
 

प्रोस्टेट ग्रंथि क्या है?
What is the Prostate Gland?

 
असल में प्रोस्टेट ग्लेंड मेल रिप्रोडक्टिव ग्लैंड (Male Reproductive Gland-नर/पुरुष प्रजनन ग्रंथि) है, जिसका मुख्य काम शुक्राणु निर्माण और शुक्राणु वहन करना है। इसी ग्रंथि से सेक्‍सुअल क्‍लाइमेक्‍स अर्थात यौनानंद के दौरान वीर्य आगे जाता है और चर्मोत्कर्ष के समय वीर्य स्खलन होता है। इस ग्रंथि को पुरुषों का दूसरा दिल भी कहा जाता है। इस ग्रंथि का दैनिक मुख्य कार्य मूत्र बहाव को नियंत्रित करना भी होता है।
 

प्रोस्टेट ग्रंथि बढने के लक्षण:
Prostate Gland Enlargement Symptoms:

  • 1. बार-बार पेशाब जाना पड़ता है।
  • 2. पेशाब करते समय दर्द होना।
  • 3. रात्रि को 2 या 3 बार पेशाब जाना।
  • 4. मूत्रत्याग के समय जलन का अहसास होना।
  • 5. मूत्रत्याग के समय सनसनाहट होना।
  • इत्यादि।

नोट: विशेषज्ञ डॉक्टर्स का कहना है कि 50 वर्ष पार करने के बाद अगर पेशाब करने में किसी भी तरह की तकलीफ हो तो तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिये।

 

प्रोस्टेट ग्रंथि बढने के कारण:
Prostate Gland Enlargement Reasons:

 
  • 01. कम पानी पीने की आदत।
  • 02. आनुवांशिकता।
  • 03. अधिक शराब पीना।
  • 04. आनुवांशिकता होने पर थोड़ी शराब या कम पानी पीना।
  • 05. हार्मोंस बदलाव।
  • 06. कैफीनयुक्त पदार्थों का सेवन करना। जिनमें चाय, कॉफी, सोफ्ट ड्रिंक, चॉकलेट, आइसक्रीम आदि प्रमुख हैं।
  • 07. बढती आयु।
  • 08. शारीरिक कार्य/व्यायाम नहीं करना।
  • 09. रेडमीट का सेवन करना।
  • 10. विटामिन सी की कमी।
  • 11. भोजन में हरी सब्जियों एवं फलों को शामिल नहीं करना।
  • 12. संक्रमण।
  • 13. सक्षम होते हुए भी कम संभोग करना।
  • इत्यादि।
 

प्रोस्टेट ग्रंथि बढने के बचाव:
Prostate Gland Enlargement Prevention:

बिनाइन प्रोस्टेटिक हाइपरप्लेसिया (बीपीएच) Benign Prostatic Hyperplasia (BPH) अर्थात प्रोस्टेट ग्रंथि का अत्यधिक बढ जाने से बचाव के लिए:-
 
  • 1. वसायुक्त खाद्य पदार्थों से परहेज करें और शराब पीने से बचें।
  • 2. स्वास्थ्य शोधकर्ताओं के अनुसार, संतुलित आहार प्रोस्टेट को स्वस्‍थ बनाये रखने में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • 3. सब्जियां जिनमें आइसोथियोसाइनेट अधिक मात्रा में होता जैसे ब्रोकली, फूलगोभी व मछली प्रोस्टेट के खतरे को कम करने में सहायक होती है।
  • 4. सोया उत्पाद भी प्रोस्टेट को बढ़ने से रोकने में मदद करते हैं।
  • 5. विटामिन ई भी प्रोस्टेट सूजन को कम करने में मदद करता है।
  • 6. फेंटा हुआ मक्खन, वनस्पति तेल, गेहूं के बीज और साबुत अनाज भी प्रोस्टेट को रोकने और उसको न बढ़ने देने में काफी मददगार सिद्ध होते हैं।
  • 7. प्रोस्टेट के रोगियों को अधिक मात्रा मे तरल पदार्थ का सेवन करना चाहिये।
  • 8. एक और महत्वपूर्ण बात अगर आपकी अंडरवियर काफी तंग रहेगी तो आपकी जननेन्द्रिय दबी रहेगी और साथ में गरम भी हो जाएगी। अत: ढीली अंडरवियर पहनें और जननेन्द्रिय को ओवरहीटिंग से बचाएं।
नोट: प्रोस्टेट ग्रंथि के बढने के कारणों के निवारण पर ध्यान दिया जाये तो प्रोस्टेट ग्रंथि को बढने से रोका जा सकता है। इसके अलावा नियमित जांच करवाते रहें और डॉक्टर की सलाह का पालन करें, लेकिन ऐलोपैथिक चिकित्सकों द्वारा लिखी गयी मूत्रल/मूत्रवर्धक दवाईयों (Diuretic Medicines) का अत्यावश्यक होने पर ही सेवन करें। अन्यथा उनके घातक दुष्प्रभाव (Side Effects) सहने होंगे।
 

प्रोस्टेट ग्रंथि बढ़ने के दुष्परिणाम:
Adverse Side Effects of the Prostate Gland Enlargement:

 
प्रोस्टेट ग्रंथि बढने के पुरुषों में सामान्‍य तौर पर दो प्रकार की तकलीफें होती देखी जाती हैं:-
 
1. बिनाइन प्रोस्टेटिक हाइपरप्लेसिया (बीपीएच) Benign Prostatic Hyperplasia (BPH) अर्थात प्रोस्टेट ग्रंथि का अत्यधिक बढ जाना: इसमें प्रोस्टेट ग्रंथि का आकार सामान्‍य से बड़ा हो जाता है, जिस कारण मूत्रमार्ग छोटा/संकरा हो जाता है। जिसकी वजह से पेशाब करने में परेशानी और दर्द हो सकता है। इसमें पेशाब करने में दिक्कत होती है। पेशाब करने के फौरन बाद फिर से पेशाब करने की इच्छा होती है। पेशाब करने पर जलन होती है। कई बार पेशाब के साथ रक्त भी निकलता है। अचानक पेशाब बंद होने पर पेट के नीचे दर्द होने लगता है। मूत्र थैली में पेशाब जमने से यूरिन इन्फेक्शन भी हो सकता है। मूत्र थैली में स्टोन होने की संभावना हो सकती है। हाइड्रोनेफ्रोसिस (मूत्र पथ में मूत्र प्रवाह में बाधा के कारण गुर्दे की सूजन) नामक समस्या भी हो सकती है। किडनी का कार्य भी बाधित हो सकता है। पीड़ित पुरुषों को ऑपरेशन का डर सताने लगता है। जिसके कारण उनकी यौन इच्छा/क्षमता समाप्त होती देखी जा सकती हैं। पर याद रखने की जरूरत है कि यह रोग केवल दवाईयों द्वारा भी नियंत्रित किया जा सकता है। अत: डरना कोई समाधान नहीं, बल्कि अनेक दूसरी समस्याओं को निमंत्रित करना है। डॉक्टर के निर्देश के अनुसार दवा लेने से इस रोग का इलाज संभव है। पर रोगियों पर दवा असर नहीं करती है, केवल उन्हें ही सर्जरी करवानी पड़ती है।
 
2. प्रोस्‍टेट कैंसर (Prostate Cancer): दूसरा प्रोस्‍टेट ग्रंथि कैंसरग्रस्‍त हो सकती है और अगर सही समय पर इसका इलाज न किया जाए, तो यह आसपास के अंगों को भी अपनी चपेट में ले लेती है। यह जीवन के लिये भी खतरा पैदा कर सकती है।
 

प्रोस्टेट ग्रंथि का प्राकृतिक उपचार:
Prostate Gland Natural Treatment:

 
शोधकर्ताओं का मानना है कि प्रोस्टेट ग्रंथि बढने का प्राकृतिक इलाज आसान नहीं होता, लेकिन फिर भी इसे प्राकृतिक तरीके से ठीक करने का एकमात्र उपाय जीवनसाथी के साथ नियमित, लेकिन संयमित संभोग करते रहना है। जिससे पौरुष ग्रंथि मजबूत होती है और प्रोस्टेट का खतरा कम होता है। यद्यपि बढती उम्र के पुरुषों या कम उम्र में ही किन्हीं कारणों से यौन अक्षम हो चुके पुरुषों के लिये यह उपाय कारगर नहीं है।
 

प्रोस्टेट ग्रंथि का घरेलु उपचार:
Prostate Gland Home Remedies:

 
1. प्रत्येक 3 घंटों में मूत्रत्याग करने का प्रयास करें।
2. एक बार में मूत्रत्याग ठीक से नहीं होने पर दो बार मूत्रत्याग, सहायक हो सकता है-मूत्रत्याग पश्चात थोड़ी देर प्रतीक्षा करें और फिर से मूत्रत्याग का प्रयास करें।
3. शरीर गर्म रहना चाहिये, जिसके लिये व्यायाम सहायक होता है।
4. सायंकाल पेय पदार्थ सीमित लें। अपने रात्रि भोजन के बाद तरल पदार्थ न लें।
5. सक्रिय रहें, क्योंकि ठंडा मौसम और निष्क्रियता मूत्र के अटकने के खतरे को बढ़ाते हैं।
6. सोयाबीन: किसी भी रूप में सोयाबीन का सेवन करने से टेटोस्टरोन हार्मोन के स्तर में कमी आती है। (टेस्टोस्टेरोन मुख्य पुरुष यौन हार्मोन है जो प्रजनन क्षमता, मांसपेशी द्रव्यमान, वसा वितरण और लाल रक्त कोशिका उत्पादन को नियंत्रित करता है।)
7. टमाटर, नींबू आदि का खूब इस्तेमाल करें: टमाटर, नींबू आदि में विटामिन सी की प्रचुरता होती है। प्रोस्टेट डिसऑर्डर अर्थात प्रोस्टेट ग्रंथि की वृद्धि के दौरान विटामिन सी की पर्याप्त मात्रा लेनी चाहिए। इसलिए इस दौरान विटामिन सी की प्रचुरता वाले खाद्य पादार्थों का सेवन करना चाहिए।

 

प्रोस्टेट ग्रंथि का आयुर्वेदिक उपचार:
Prostate Gland Ayurvedic treatment:

 
1. अलसी के बीज (Flaxseed): अलसी के बीज को मिक्सी में पीसकर पाउडर बनायें। फिर प्रतिदिन इसे 10 से 20 ग्राम पानी के साथ सेवन करें। याद रहे एक बार में पांच दिन से अधिक की अलसी नहीं पीसें और अलसी की तासीर गर्म होती है, इसीलिए गर्मियों में इसके सेवन के साथ पानी की मात्रा बढ़ा दे। मेरे द्वारा अपने पेशेंट्स को जड़ी-बूटियों के अर्कों से परिष्कृत आॅर्गेनिक अलसी बीज (Organic Flax Seeds Sophisticated in Herbs Extracts) उपलब्ध करवाये जाते हैं। जिससे प्रोस्टेट ग्रंथि सहित अनेक शारीरिक तकलीफों के समाधान में आश्चर्यजनक परिणाम मिल रहे हैं।
2. भुना सुहागा (Roasted Borax): 6 ग्राम विधिवत भुने हुए सुहागे को गुड़ में मिलाकर इसकी 3 गोलियां बनाकर 1-1 गोली 3 दिन सुबह हल्के गर्म घी के साथ सेवन करने से अंडकोष की वृद्धि रुक जाती है। यह अनुभवसिद्ध है। लेकिन याद रहे कि इसका सेवन करते समय दही, केला चावल तथा ठंडे पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए।
3. गोखरू (Gokharu): मूत्र सम्बंधित रोगो में आॅर्गेनिक कांटा गोखरू बहुत लाभकारी हैं, इसको 5 ग्राम की मात्रा में अर्थात एक छोटा चम्मच गुनगुने पानी के साथ लेना चाहिये। मगर ध्यान रहे कि गोखरू का सेवन करने के एक घंटे पहले और एक घंटे बाद कुछ ना खायें। मैंने रोगी के लक्षणों के अनुसार अन्य औषधियों के साथ और सिंगल अनेक पेशेंट को दिया है और अच्छे परिणाम रहे हैं।
4. जिंक (Zink): प्रोस्टेट ग्लेंड के उपचार में ज़िंक अहम भूमिका निभाता है| कद्दू में ज़िंक भरपूर मात्रा में पाया जाता है। कद्दू के बीजो की गिरी को तवे पर हल्का सुनहरा होने तक भून लें। इसके बाद भुनी हुई गिरियों को मिक्सी में डालकर बारीक पाउडर तैयार कर लें। 15 से 20 ग्राम पाउडर पानी के साथ रोजाना सेवन करने से प्रोस्टेट ग्लेंड सिकुड़ने लगेगा और मूत्रमार्ग में होने वाला अवरोध दूर हो जायेगा।
5. कुलथी-पालक: कुलथी और पालक को बराबर मात्रा में लेकर पानी में अच्छी तरह उबालकर काढ़ा तैयार कर लें। रोजाना सुबह-शाम इस काढ़े के सेवन से प्रोस्टेट ग्लेंड की तकलीफ धीरे-धीरे अपने आप ठीक हो जायेगी।
6. नींबू-नारियल-धनिया पानी: प्रोस्टेट ग्लेंड के अधिक बढ़ जाने पर सादे पानी के स्थान पर नींबू पानी, नारियल पानी और धनिये के पानी का सेवन करें।
7. अंजीर: रोजाना शाम को पानी में दो अंजीर भिगों दें, उन्हें सुबह और सुबह दो अंजीर भिगों दें, उन्हें शाम अच्छे से चबा-चबाकर खायें। खाने के बाद ऊपर से पानी पी जायें। प्रोस्टेअ ग्रंथि के अधिक बढ़ने पर इससे अच्छे परिणाम मिलते हैं।
8. फूल हरड़: रात को सोने से पहले एक फूल हरड़ को साफ़ पानी में भिगोकर रख दें। अगले दिन सुबह इसके बीज निकालकर इसे चबा-चबाकर खायें और इसके बाद इसके पानी को आराम से घूंट-घूंट करके पी जायें।

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