मियादी बुखार (Typhoid) (टाइफाइड/टायफाइड) या आंत्रिक ज्वर (Intestinal Fever) का अनुभवसिद्ध उपचार (Tested Remedy)

 

मियादी बुखार (Typhoid) (टाइफाइड/टायफाइड)
या आंत्रिक ज्वर (Intestinal Fever) का अनुभवसिद्ध उपचार (Tested Remedy)

जब किसी व्यक्ति को लम्बे समय तक बुखार जारी रहे। बुखार आता-जाता रहे, तापमान कम-ज्यादा होता रहे, तो आमतौर पर यह अंदेशा बना रहता है कि पेशेंट को टाइफाइड तो नहीं हो गया है? टाइफाइड को आम बोलचाल में मियादी बुखार (Typhoid) (टाइफाइड/टायफाइड) कहा जाता है। टाइफाइड को ही मोतीझरा/मोतीजरा भी कहा-बोला जाता है। टाइफाइड 1 सप्ताह से 4 सप्ताह तक चल सकता है, इसीलिए इसको मियादी बुखार कहा जाता है। टाइफाइड से पीड़ित रोगी की आंतों में छोटे-छोटे छाले या व्रण या अल्सर हो जाते हैं, उन्हीं की वजह से बुखार की उत्पत्ति होती है। यह बुखार आंतों के छालों से सम्बन्धित होने के कारण इसे आंत्रिक ज्वर (Intestinal Fever) भी कहा जाता है।

टाइफाइड की वजह:
*(हेल्थ परामर्श हेतु 9875066111 पर नहीं, बल्कि 8561955619 पर ही सम्पर्क करें।)*
1. दूषित जल के सेवन और अधिक समय तक प्रदूषित वातावरण में रहने से आंत्रिक ज्वर की उत्पत्ति हो सकती है।
2. लम्बे समय तक दूषित तथा अधिक मिर्च-मसालों और अम्लीय द्रव्यों या रसों से निर्मित वसायुक्त एवं गरिष्ठ खाद्य पदार्थों का अधिक सेवन करने से आंतों को हानि पहुंचती है। जिसके दुष्परिणामस्वरूप आंत्रिक ज्वर की उत्पत्ति होती है।
3. जब भी कोई व्यक्ति अपनी क्षमता से अधिक शारीरिक श्रम करता है और कुपोषण का शिकार हो जाता है तो वह इसी कारण आंत्रिक ज्वर से पीड़ित हो सकता है।
4. अन्य किन्हीं कारणों से आंतों में संक्रमण होने से भी आंत्रिक ज्वर की उत्पत्ति हो सकती है।

टाइफाइड के लक्षण:
*(हेल्थ परामर्श हेतु 9875066111 पर नहीं, बल्कि 8561955619 पर ही सम्पर्क करें।)*
01. रोगी के जीवाणुओं (Bacteria-बैक्टीरिया) से संक्रमित होने के कारण आंतों में छाले बनने से ज्वर होता है। ज्वर के साथ खूब पसीना भी आता है।
02. बुखार चढने पर शुरू में रोगी को ठंड भी लगती है।
03. बुखार के साथ रोगी के पेट दर्द भी होता है।
04. मलत्याग के दौरान रक्त भी निकलने लगता है।
05. बुखार के दौरान और बिना बुखार भी रोगी को सिरदर्द होता रहता है।
06. बुखार के दौरान रोगी को अधिक प्यास लगती है, लेकिन पानी पीने पर कय अर्थात वमन की शिकायत होती है।
07. आमतौर पर ऐसा बुखार चार सप्ताह तक रह सकता है। पहले सप्ताह में हल्का ज्वर होता है। दूसरे, तीसरे सप्ताह में तीव्र बुखार हो जाता है।
08. पीड़ित व्यक्ति के शरीर के विभिन्न अंगों में अत्यधिक दर्द होता है।
09. रोगी के बदन पर लेंस से देखने पर या धूप के उजाले में दाने मोती की तरह चमकते हैं।
10. चौथे सप्ताह में ज्वर धीरे-धीरे कम होता जाता है।
11. बिस्तर पर लेटे रहने से रोगी को कमर में बहुत पीड़ा होने लगती है।
इत्यादि।

टाइफाइड में सावधानियां:
*(हेल्थ परामर्श हेतु 9875066111 पर नहीं, बल्कि 8561955619 पर ही सम्पर्क करें।)*
1. रोगी का बुखार यदि किसी दवाई से अचानक/एकाएक कम हो जाने से दाने बैठ जाते हैं तो रोगी को बहुत घबराहट और बेचैनी होती है। रोगी मृत्यु के कगार पर भी पहुंच जाता है।
2. रोगी आध्मान (अफारे-Flatulence) से भी पीड़ित हो सकता है।
3. बुखार उतर जाने पर रोगी द्वारा भोजन में लापरवाही करने से आंत्रिक ज्वर का पुनराक्रमण भी हो सकता है।
4. शारीरिक रूप से अधिक निर्बल रोगी की पुनराक्रमण से मृत्यु की संभावना बढ़ जाती है।
5. आंत्रिक ज्वर में किसी कारण से रोगी को अतिसार (दस्त Diarrhea) हो जाये तो रोगी को बहुत हानि पहुंच सकती है।

टाइफाइड का उपचार और रोगी की देखभाल:
*(हेल्थ परामर्श हेतु 9875066111 पर नहीं, बल्कि 8561955619 पर ही सम्पर्क करें।)*
1. मुनक्का (दाख), अडूसा (वासा) का पंचांग और छोटी हरड़, 5-5 ग्राम लें (मुनक्का के बीज निकाल लें)। इन सभी को 400 मिलीलीटर पानी में मध्यम आंच पर उबालें। जब पानी आधा यानी 200 मिलीलीटर शेष रह जाये तो इसे छानकर इसमें 25-25 ग्राम शहद तथा मिश्री घोलकर/मिलाकर टाइफाइड रोगी को 5-5 मिलीलीटर मात्रा में दिन में 4 बार पिलायें। इससे अवश्य ही कुछ ही दिनों में रोगी रोगमुक्त होकर स्वस्थ हो जायेगा।
2. गिलोय के 5 मिलीलीटर रस में 5 ग्राम शहद मिलाकर टाइफाइड रोगी को दिन में 3 बार चटायें।
3. मध्यम आकार की 4-5 मुनक्का (दाख) लें और बीच में से चीरकर उनको दो हिस्सों में बांट/विभाजित कर, बीजों निकालकर फेंक दें और सभी मुनक्काओं को हल्के-हल्के काले नमक में लपेटकर तवे पर भूनकर दिन में 3 बार, तीन दिन तक टाइफाइड रोगी को खिलाएं। इससे भी रोगी शीघ्र स्वस्थ हो जायेगा।
4. टाइफाइड रोगी को अत्यधिक सिरदर्द हो और साथ में अधिक कमजोरी होने के कारण रोगी को घबराहट होने लगे तो जरा सी प्रवाल पिष्टी (Coral Calcium) शहद के साथ मिलाकर चटायें।
5. अजमोद का 3 ग्राम चूर्ण समान मात्रा में शहद के साथ टाइफाइड रोगी को सुबह-शाम सेवन कराएं।
6. अत्यधिक बुखार होने पर टाइफाइड रोगी के पांव के तलवों पर लोकी के टुकड़ों से मालिश करें।
7. टाइफाइड रोगी के सिर में भृगंराज के तेल की मालिश करने पर बुखार का वेग कम हो जाता है।
8. जब टाइफाइड रोगी का बुखार उतरने का नाम ही नहीं ले रहा हो तो टाइफाइड रोगी के पैरों के तलवों और नाखूनों पर मेढासिंगी के ताजा पत्तों को मलें। तुरंत बुखार उतर जायेगा। यह मेरे द्वारा अनेकों रोगियों पर, अनकों बार अनुभवसिद्ध योग है।

नोट: मेरे द्वारा टाइफाइड पेशेंट्स को टाइफाइड की रेडीमेड अनुभवसिद्ध दवाई (Tested Remedy) घर बैठे डाक से उपलब्ध करवाई जाती है। जिससे 90% से अधिक पेशेंट स्वस्थ हो जाते हैं।

टाइफाइड रोगी के लिये भोजन एवं पेय:
*(हेल्थ परामर्श हेतु 9875066111 पर नहीं, बल्कि 8561955619 पर ही सम्पर्क करें।)*
1. रोगी को बिना घी, मिर्च की लौकी की सब्जी बनाकर खिलाएं।
2. रोगी को सेव और चीकू खाने के लिए दें।
2. आंत्रिक ज्वर में रोगी को केला खिलाये जा सकते हैं।
4. टाइफाइड में रोगी को अधिक प्यास लगने पर पीने के पानी में दो-तीन लौंग (Cloves) डालकर पानी को उबालें और छानकर ठंडा होने पर, रोगी को थोड़ी-थोड़ी मात्रा में पिलाते रहें।

टाइफाइड रोगी को क्या न खिलायें-पिलायें?
*(हेल्थ परामर्श हेतु 9875066111 पर नहीं, बल्कि 8561955619 पर ही सम्पर्क करें।)*
1. अनाज से बने खाद्य पदार्थों को सेवन नहीं करायें।
2. शीतल या बासी खाद्य (stale foods) पदार्थ खाने को नहीं दें।
3. कब्ज होने पर भी दस्तावर दवाई नहीं दें।
4. घी, दूध, मक्खन व तेल से बने खाद्य पदार्थों को नहीं खिलायें-पिलायें।
5. टाइफाइड पीड़ित रोगी को ठंडा पानी कभी नहीं पिलायें।
6. टाइफाइड पीड़ित रोगी के स्वस्थ हो जाने पर भी रोगी को गरिष्ठ भोजन या घी, मक्खन और अंडे, मांस मछली का सेवन नहीं करने दें।

लेखन दिनांक: 26 दिसम्बर, 2018, संपादन: 27.03.2019

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