फैटी लीवर कारण, निवारण एवं आयुर्वेदिक उपचार-Fatty Liver Reasons, Prevention and Ayurvedic Treatment

 

फैटी लीवर कारण, निवारण एवं आयुर्वेदिक उपचार-Fatty Liver Reasons, Prevention and Ayurvedic Treatment

*लेखक:* आदिवासी ताऊ डॉ. पुरुषोत्तम लाल मीणा
हेल्थ परामर्श हेतु वाट्सएप नं: 8561955619 (10AM to 18PM)।

छाती के दायीं ओर की पसलियों के नीचे की हड्डी के ठीक नीचे और पेट के ऊपरी भाग में लीवर, यकृत या जिगर नाम से जाने-पहचाने जाने वाले अंग को अंग्रेजी में Liver-लीवर कहा जाता है। फैटी लीवर (Fatty Liver) से आशय लीवर में/लीवर पर चर्बी जमा होने से है।

यहाँ समझने वाली महत्वपूर्ण बात यह है कि शरीर में लीवर एक महत्वपूर्ण अंग होता है। यह (लीवर) स्वस्थ अवस्था में हमारे शरीर में तकरीबन ढाई सौ से अधिक प्रकार से फंक्शन/कार्य करता रहता है। लीवर का आकार बढ जाने अर्थात फैटी लीवर हो जाने से लीवर की कार्यकुशलता अर्थात कार्य/फंक्शन करने की गति कम हो जाती है। परिणामस्वरूप फैटी लीवर से अनेक प्रकार की शारीरिक परेशानियां उत्पन्न हो जाती हैं।

फैटी लीवर के लक्षण:

सबसे दु:खदायी स्थिति यह होती है कि सामान्यत: शुरूआत में फैटी लीवर का पता ही नहीं चल पाता है। इस कारण पता चलने तक रोगी की स्थिति काफी अधिक बिगड़ सकती है। यद्यपि जैसे-जैसे लीवर बढना शुरू होता है, वैसे-वैसे इसके लक्षण प्रकट होने लगते हैं। जिन लोगों का फैटी लीवर होता है, उनमें आमतौर पर निम्न असामान्य लक्षण प्रकट होते देखे जा सकते हैं:-

  • 1. भूख की कमी।
  • 2. पेट दर्द होना
  • 3. उबकायी आना।
  • 4. थकान।
  • 5. वजन में कमी।
  • 6. भ्रमावस्था/कंन्फ्यूजन।
  • 7. अन्य अनेक कारण।

कृपया ध्यान दें: स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता हेतु प्रकाशित सामग्री को पढकर आप खुद अपना या अपने किसी स्वजन का उपचार करने का खतरा नहीं उठायें, क्योंकि रोगी के लक्षणों को जानने के बाद, सही दवाई की उपयुक्त शक्ति और मात्रा का निर्धारण, एक अनुभवी डॉक्टर ही कर सकता है।

फैटी लीवर का पता कब चलता है?

आमतौर पर स्वास्थ्य के प्रति जागरूक नहीं रहने वाले लोगों को 40 की आयु पार करने पर फैटी लीवर का पता चलता है। लेकिन तब तक स्थिति नियंत्रण से बाहर जा चुकी होती है या स्थिति अधिक पीड़ादायक हो चुकी होती है। लीवर को अधिक क्षति हो चुकी होती है। जिसके चलते अनेक लोगों को लीवर सिरोसिस (Liver Cirrhosis), पीलिया (Jaundice), हेपैइाईटिस (Hepatitis) आदि से पीड़ित होते देखा जा सकता है।

फैटी लीवर के मुख्य कारण:

  • 1. शराब का अधिक सेवन करना।
  • 2. अधिक उपवास करना तथा लम्बे समय तक अपच और कब्ज रहना।
  • 3. आधुनिक दवाईयों के सेवन का दुष्प्रभाव।
  • 4. रोड-छाप बाजारू तला-भुना-गरिष्ठ भोजन का सेवन।
  • 5. जंक फूड और डिब्बाबंद भोजन का सेवन।
  • 6. आठ घंटे से अधिक सोने की आदत।
  • 7. अधिक मात्रा में आयरन का सेवन।
  • 8. उच्च कोलेस्ट्रोल तथा डायबिटीज से पीड़ित लोगों को फैटी लीवर का खतरा बढ जाता है।
  • 9. मोटापा (Obesity): मोटापे के कारण लीवर के फैटी होने का खतरा बढ जाता है।
  • 10. फैट प्रोटीन का उच्च स्तर (High level of fat protein): शरीर में फैट प्रोटीन का उच्च स्तर भी फैटी लीवर का जनक हो सकता है।
  • 11. अनुवांशिक कारण (Genetic Reasons): जिनके माता-पिता में से किसी एक या दोनों का फैटी लीवर होता है, उनको फैटी लीवर होने का खतरा बढ जाता है। स्वास्थ्य के प्रति जागरूक लोग विवाह करते समय इस बात का ध्यान रखते हैं।
  • 12. रोटी, आलू और कार्बोहाईड्रेट्स की उच्च मात्रा से युक्त भोजन की आदत।
  • 13. लीवर में रक्त की मात्रा अधिक हो जाना।
  • 14. हृदय या फेफड़ों के रोगों से ग्रस्त होना।
  • 15. अन्य विविध कारणों से भी यकृत/लीवर बढ़ जाता है।

फैटी लीवर से बचाव के उपाय:

  • 1. स्वस्थ, सुपाच्य और ताजा भोजन का सेवन करें।
  • 2. अधिक समय तक भूखे नहीं रहें।
  • 3. संतुलित भोजन करें।
  • 4. भोजन में विटामिन-डी एवं ई तथा ओमेगा-3 फैडी एसिड जैसे पोषक तत्वों को शामिल करें।
  • 5. चीनी का सेवन बहुत जरूरी होने पर ही करें।

फैटी लीवर उपचार हेतु प्रमुख आयुर्वेदिक औषधियां:

01. भूई/भूमि आंवला।*
02. मकोय।*
03. शरपुंखा।*
04. पुनर्नवा।*
05. हरसिंगार।*
06. गिलोय।*
07. अपामार्ग।
08. श्योनाक।*
09. बथुआ।*
10. कालमेघ।
11. द्रोणपुष्पी।*
12. आंवला।*
13. श्याम तुलसी।*
14. श्योनाक।*
15. गुड़हल।
इत्यादि।

नोट: उक्त ताजा एवं ऑर्गेनिक औषधियां (ऑर्गेनिक औषधियां तुलनात्मक रूप से कुछ महंगी जरूर मिलती हैं, लेकिन अधिक प्रभावी होती हैं) जिनके नाम के आगे* (स्टार) लगा है, उनके शुद्ध ऑर्गेनिक पाउडर, सीमित मात्रा में रोगियों को निजी उपयोग हेतु हमारे द्वारा उपलब्ध करवाए जा सकते हैं। मगर व्यापारिक उपयोग हेतु उपलब्ध नहीं।

फैटी लीवर सहित, लीवर की विभिन्न तकलीफों के उपचार हेतु मेरे द्वारा रोगियों को निरोगधाम पर उत्पादित एवं संग्रहित दर्जनों ताजा ऑर्गेनिक औषधियां तथा जड़ी-बूटियों से स्वनिर्मित Liver Cleansing and Curing Powder, Rejuvenation Powder-कायाकल्प पाउडर इत्यादि उपलब्ध करवाये जाते हैं। जिनके परिणाम बहुत अच्छे हैं।

फैटी लीवर के उपचार के लिये उक्त दवाइयों में से एक या एकाधिक की उचित मात्रा और खुराक का निर्धारण रोग तथा रोगी की स्थिति के अनुसार योग्य डॉक्टर द्वारा ही किया जा सकता है।

लेखन: 20.10.2017, संपादन: 21.03.2019, 04.07.2020

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