माजूफल के फायदे और नुकसान -Majuphal Benefits and Side Effects

 

माजूफल के फायदे और नुकसान
Majuphal Benefits and Side Effects

माजूफल एक बहुउपयोगी विशिष्ट औषधि है। माजूफल (Majuphal) का वैज्ञानिक नाम वैज्ञानिक भाषा में क्वेरकस इन्फेक्टोरिया (Quercus Infecttoria) है। जिसे अंग्रेजी में गैल ट्री, गैल ओक या ओक गैल (Oak Gall), गैल नट (Gall Nut), मस्‍की आदि नामों से जाना जाता है। संस्कृत में मायाफला नाम से जाना जाता है। बहुत कम लोग जानते हैं कि माजूफल कोई फल नहीं है, बल्कि यह एक कीड़े के लार्वा का परिणाम है। इसका वृक्ष सीरिया, तुर्की, यूनान तथा फारस में पाया जाता हैं।यहां माजूफल के औषधीय फायदे और नुकसान के बारे में बिन्दुवार जानकारी प्रस्तुत है:-

माजूफल क्या है या माजूफल किसे कहते है?

ओक पेड़ की पत्तियों पर ततैया जैसा एक कीड़ा (insect) अपना घर बनाकर लार्वा जमा करते हैं। जिसकी रासायनिक प्रतिक्रियास्वरूप ट्यूमर के आकार की असामान्‍यता विकृति माजूफल की उत्पत्ति का कारण बनती है। जिससे इसके पेड़ में मंजाकनी/माजूफल नामक कठोर आकार वाली छोटी-छोटी गांठें पनपती हैं। इनके निर्माण में 5-6 माह का समय लग सकता हैं। इसी को भारत में माजूफल के नाम से जाना जाता है। इसमें गैलिक एसिड और टैनिक एसिड (Gallic Acid and Tannic Acid) की अच्‍छी मात्रा होती है। माजूफल स्‍वास्‍थ्‍य के लिए उपयोगी है, लेकिन इसका अधिक मात्रा में सेवन करने पर यह नुकसान दायक भी हो सकता है। अत: इसका उपयोग किसी अनुभवी वैद्य/चिकित्सक की सलाह से ही करें।

माजूफल के नुकसान:

माजूफल में ऐसे रसायन होते हैं जो अनेक प्रकार की स्‍वास्‍थ्‍य सम्बन्धी समस्‍याओं को दूर करने में सहायक होते हैं। मगर इसका अधिक मात्रा में सेवन किया जाता है तो यह स्‍वास्‍थ्‍य के लिए हानिकारक भी हो सकता है। अत: इसका उपयोग करने से पहले कुछ बातें जानना उचित होगा:-

  • 1. शुरूआत में इसका सेवन कम मात्रा में करना चाहिये, फिर धीरे-धीरे इसकी मात्रा को बढ़ाना चाहिए। यदि आप शुरूआत में ही इसकी अधिक मात्रा का सेवन करते हैं तो इससे लाभ के बजाय कुछ नुकसान हो सकते हैं।
  • 2. गर्भावस्‍था के समय इसका इस्‍तेमाल नहीं करना चाहिए। क्‍योंकि इससे गर्भापात हो सकता है।
  • 3. इसका सेवन शुरू करने के बाद यदि कोई दुष्‍प्रभाव प्रकट होता है तो इसका उपयोग तुरंत ही बंद कर देना चाहिये।

माजूफल के फायदे या माजूफल के औषधीय उपयोग

कांच निकलना (गुदाभ्रंश)-Rectum Collapse:

  • (1) 2 ग्राम भुनी फिटकरी को 2 माजूफल के साथ पीसकर 100 ग्राम पानी में मिलाकर घोल बना लें। इस घोल में रूई को भिगोकर गुदा पर लगाएं और गुदा (गुदाभ्रंश) को अन्दर कर लंगोट बांध दें। लगातार 4-5 दिन तक इसका प्रयोग करने से गुदाभ्रंश (कांच निकलना) बंद हो जाता है।
  • (2) माजूफल और फिटकरी का पाउडर बनाकर गुदा पर छिड़कने से दर्द में आराम आता है।
  • (3) 1 गिलास पानी में 2 माजूफल को पीसकर डालें और आग पर उबाल लें। ठंडी होने पर उस पानी से मलद्वार को धोने से गुदा का बाहर आना बंद हो जाता है।
  • (4) 10-10 ग्राम माजूफल, फिटकरी तथा त्रिफला चूर्ण को लेकर पानी में भिगो दें। 1 से 2 घंटे भिगोने के बाद पानी को कपड़े से छानकर मलद्वार को धोने से गुदाभ्रंश ठीक हा जाता है।
  • (5) गुदा की सूजन: गुदा में सूजन होने पर गुदा को धोने के लिए माजूफल के काढ़े का उपयोग किया जाना चाहिए। माजूफल के काढ़े में एक सूती कपड़ा भिगोना चाहिए और प्रभावित क्षेत्र में रखा जाना चाहिए। आप ऐसी स्थिति में माजूफल के पाउडर को पेस्‍ट बनाकर भी उपयोग कर सकते हैं।
  • (6) बवासीर दर्द और गुदाभ्रंश: 1 गिलास पानी में माजूफल पीसकर डालें और 10 मिनट तक उबाल लें, ठंडे होने के बाद इससे मलद्वार को धोयें। इससे मलद्वार का बाहर निकलना और बवासीर का दर्द दूर होता है।

अंडकोष के रोग:

  • (1) अण्डकोषों में पानी भरना: 12 ग्राम माजूफल और 6 ग्राम फिटकरी को पानी में पीसकर अंडकोष पर लेप करें। 15 दिन लेप करने से अण्डकोषों में भरा पानी सही हो जाता है।
  • (2) अण्डकोषों में सूजन: 10-10 ग्राम माजूफल और असगंध लेकर पानी के साथ पीस लें, फिर इसे थोड़ा-सा गर्म करके अण्डकोष पर बांधें। इससे अंडकोष की सूजन मिट जाती है।

दांत की तकलीफें और दांत दर्द:

जितने भी आयुर्वेदिक दंत पाउडर बनाये जाते हैं, उनमें से अधिकांश में माजूफल का उपयोग किया जाता है। यह दांत दर्द और मसूड़ों की सूजन को कम करता है। इसके बंधनकारी और एंटीमिक्राबियल और एंटी-इंफ्लामेट्री गुणों के कारण पायरिया के इलाज के लिए भी सहायक होता है। इस समस्‍या के लिए माजूफल, काला नमक, नीम पाउडर और बबूल की छाल के मिश्रण का उपयोग कर दंतमंजन तैयार किया जा सकता है। यह मंजन मसूड़ों के संक्रमण, मसूड़ों से रक्‍तस्राव को कम करता है। यह मसूड़ों में होने वाली सभी प्रकार की समस्‍याओं को दूर करने का सबसे अच्‍छा प्राकृतिक उपाय होता है। दांत और मसूड़ों की तकलीफों में माजूफल के कुछ प्रमुख उपयोग:

  • (1) दांतों का दर्द: 1 माजूफल एवं 1 सुपारी को आग पर भून लें तथा 1 कच्चे माजूफल के साथ मिलाकर बारीक पाउडर बनाकर मंजन बना लें। इससे रोजाना 2 बार मंजन करने से दांतों का दर्द ठीक हो जाता है।
  • (2) दंतमंजन: फिटकरी को फुला लें। माजूफल और हल्दी के साथ फूली हुई फिटकरी को बराबर मात्रा में मिलाकर बारीक पीसकर पाउडर बना लें। इससे मंजन करने पर दांतों की पीड़ा शांत होती है।
  • (3) दांतों से खून का आना: दांतों में तेज दर्द होने पर माजूफल को पीसकर दांतों के नीचे दबाकर रखें। इससे तेज दर्द में जल्द आराम मिलता है तथा दांतों से खून का आना बंद हो जाता है।
  • (4) मसूढ़ों के रोग: माजूफल को बारीक पीसकर और छानकर सुबह-शाम मसूढ़ों पर हल्के हाथ से मालिश करने से मसूढ़ों के सारे रोग समाप्त हो जाते हैं।
  • (5) दांतों से खून निकलना बंद करे: दांतों से खून निकल रहा हो तो माजूफल को बारीक पीसकर मंजन बना लें। इससे मंजन करने से दांतों से खून का निकलना बंद हो जाता है।
  • (6) दांत मजबूत करे: 5 ग्राम माजूफल, 4 ग्राम भुनी फिटकरी, सफेद कत्था 6 ग्राम और 1 ग्राम नीलाथोथा भुना हुआ को बारीक पीसकर मंजन बना लें। इससे रोजाना मंजन करने से दांत मजबूत होते हैं।
  • (7) दांतों में ठंडी लगना: माजूफल को बारीक पीसकर मंजन बना लें। इसे दांतों में लगाने से दांतों में पानी का लगना और खून निकलना बंद हो जाता है तथा दांत मजूबत होते हैं।
  • (8) पायरिया-Pyorrhoea-पायोरिया: 20 ग्राम माजूफल, 1 ग्राम पोटेशियम परमैगनेट और 30 ग्राम पांचों नमक को मिलाकर बारीक पाउडर बना लें। इसके पाउडर से मंजन करने से पायरिया-पायोरिया रोग दूर हो जाता है। या माजूफल के पाउडर का दांतों पर मंजन करने से मुंह व मसूढ़ों के घाव एवं मसूढ़ों से खून का निकलना बंद होता है तथा पायरिया रोग में लाभ मिलता है।

पेट की खराबी यानी आईबीएस (Irritable Bowel Syndrome):

जिन लोगों का पेट खराब रहता है, यानी जिनमें आईबीएस (Irritable Bowel Syndrome) के लक्षण होते हैं, उनके लिए माजूफल बहुत ही लाभकारी होता है। यह ऐसे लोगों की निम्‍न प्रकार की समस्‍याओं को दूर कर सकता है:

  • (1) मल के साथ बलगम/आंव का आना।
  • (2) अत्‍यधिक बदबू के साथ मल आना।
  • (3) चिपचिपा मल (Sticky Stools) आना।
  • (4) पतला मल (Loose Stools) आना।
  • (5) पेट में सूजन (Bloating) या आफरा (Flatulence) होना।
  • (6) पुराना आमातिसार।
  • (5) आंतों की शिथिलिता।

अगर किसी रोगी में उपरोक्त प्रकार के लक्षण दिखाई देते हों तो माजूफल का सेवन करवाकर इन समस्‍याओं से छुटकारा दिलाया जा सकता है। इसके लिये माजूफल पाउडर 1 ग्राम, अदरक पाउडर 500 मिली ग्राम और साइपरस रोटंडस 500 मिली ग्राम गर्म पानी के साथ दिन में दो बार सेवन करना चाहिये। लेकिन इस मिश्रण का उपयोग उस समय नहीं किया जाना चाहिये, जबकि पेट लगातार खराब हो या कब्‍ज की समस्‍या बहुत समय से हो। ऐसी स्थिति में इसका उपयोग करने से समस्‍या और बढ़ सकती है। इसमें संकोचक गुण होने के कारण यह आंतों की शिथिलिता को दूर करके पुराने आमातिसार को ठीक करता है।

योनि शिथिलता या योनि का ढीलापन और स्तन शिथिलता या स्तन ढीलापन:

महिलाओं के लिए माजूफल के फायदे बहुत अधिक होते हैं। इसमें त्‍वचा और ऊतकों को कसने वाले गुण पाये जाते हैं। माजूफल योनि या गर्भाशय के संक्रमण, असामान्‍य गर्भाशय रक्‍तस्राव, असामान्‍य योनि स्राव और ल्यूकोरिया (Leukorrhea) के लिए सबसे अच्‍छी औषधि मानी जाता रही है। माजूफल का उपयोग एक पेस्‍ट के रूप में किया जाता है। योनि को इससे साफ करने करने पर यह सभी प्रकार के संक्रमण को दूर करने में मदद करता है। प्रसव के बाद महिलाओं को इसे अन्‍य जड़ी बूटीयों के साथ दिया जाता है जो गर्भाशय की दीवार की लोच को बहाल करने में मदद करता है। यह महिलाओं की योनि में कसाव लाने के साथ-साथ उनके स्‍तनों को भी टाइट करने में मदद करता है। शिथिल योनि या ढीली योनि के संकोचन हेतु:-

  • (1) योनि संकुचित: माजूफल, शहद और कपूर को एक साथ पीसकर मिला लें, फिर इसे अंगुली की मदद से योनि में लगाने से योनि संकुचित हो जाती है।
  • (2) योनि छोटी: माजूफल, धाय के फूल, फिटकरी को पीसकर बेर के आकार की गोली बनाकर योनि के अन्दर रखने से योनि छोटी हो जाती है।
  • (3) प्रसव के बाद: प्रसव के बाद अक्‍सर महिलाओं में स्‍तन और योनि के ढीलेपन की समस्‍या आम होती है। ऐसी स्थिति माजूफल का सेवन करने से स्‍तन और योनि को टाइट करने में मदद मिलती है। यह योनि ऊतकों को कसने में मदद करता है।

श्वेत प्रदर यानी ल्‍यूकोरिया:

  • (1) माजूफल की बंधनकारी अर्थात संकोचन क्रिया (Astringent Action) सूजन को कम करने में मदद करते हैं और सूक्ष्‍मजीवों के विकास को रोकती हैं। इस कारण इसका उपयोग योनिनाइटिस योनिशोथ (Vaginitis) या ल्‍यूकोरिया के कारण योनि से होने वाले स्राव को कम करता है।
  • (2) आंतरिक रूप से 500 ग्राम गोदंती भस्‍म (Godanti Bhasma) के साथ 1 ग्राम माजूफल पाउडर के सेवन को सबसे अच्‍छा उपचार माना जाता है।
  • (3) बाहरी रूप से 500 मिलीग्राम फिटकरी (Alum) और माजूफल के काढ़े के मिश्रण के साथ जननांग धोना फायदेमंद होता है।
  • (4) 1-2 ग्राम की मात्रा में माजूफल का चूर्ण ताजे पानी के साथ सुबह-शाम सेवन करने से श्वेतप्रदर ठीक हो जाता है।

तंग योनि या छोटी योनि को शिथिल करना:

  • 1-योनि ढीली करना: 10 ग्राम माजूफल को पीसकर रख लें, फिर इसमें आधा ग्राम कपूर का चूर्ण और शहद मिलाकर योनि पर लगायें। इससे योनि शिथिल (ढीली) हो जाती है।
  • 2-योनि में दर्द नहीं होता: माजूफल को पानी के साथ पीसकर लुगदी बना लें। फिर इसमें रूई को भिगोकर स्त्री की योनि में संभोग (सहवास) करने से पहले रख दें, इसके बाद संभोग करने से योनि में दर्द नहीं होता हैं। ध्यान रहे कि इसका प्रयोग गर्भ को रोकने के लिए भी प्रयोग किया जाता है, इसलिए सोच समझकर ही इस्तेमाल करें।

मुंह के छाले या मुंह के अल्‍सर:

  • (1) माजूफल का उपयोग इसके संकोचक/बंधनकारी गुणों के कारण मुंह के छालों का इलाज के लिए उपयोग किया जाता है। इसका उपयोग करने पर यह तुरंत ही मुंह के छालों से राहत दिलाने में मदद करता है।
  • (2) छालों पर माजूफल के पेस्‍ट को लगा सकते हैं। अल्‍सर के मामले में उपयोग करने के लिए यह पूर्ण रूप से सुरक्षित होता है। यहां तक कि यह बच्‍चों के लिए भी उपयोग किया जा सकता है।
  • (3) माजूफल का पेस्ट कैसे बनायें? पानी में थोड़ी देर के लिए माजूफल को भिंगोएं फिर इसकी कठोर सतह को थोड़े-थोड़े पानी के साथ पत्‍थर पर रगड़ें और एक पेस्‍ट बना लें। तत्‍काल राहत पाने का यह सबसे अच्‍छा तरीका होता है। इस पेस्‍ट को आप अपने छालों में लगाएं। यह छालों की पीड़ा से आराम दिलाने में मदद करेगा। यदि कभी मुंह के छालों से परेशान हो जाएं तो इस उपचार को अजमाकर देखें। यह तुरंत ही माजूफल के उपचारक गुण दिखाएगा।
  • (4) माजूफल के टुकड़े को सुपारी की तरह चबाते रहने से मुंह के छाले और दाने आदि खत्म हो जाते हैं।
  • (5) 5-5 ग्राम माजूफल, कत्था, वंशलोचन तथा छोटी इलायची के दाने लेकर पीसकर और छानकर चूर्ण बना लें। इस मिश्रण के 1 चुटकी चूर्ण को बच्चे के मुंह में सुबह-शाम छिड़कने से बच्चों के मुंह के छाले खत्म हो जाते हैं।

घाव, हड्डी और चर्मरोग:

  • (1) घाव: माजूफल को जलाकर उसकी राख एकत्र कर लें। इस राख को कपड़े से छानकर घाव पर छिड़कने से घाव ठीक हो जाता है।
  • (2) घाव: माजूफल को पानी में पीसकर घाव पर पट्टी बांधने से लाभ मिलता है। इससे घाव जल्दी ठीक हो जाता है और घाव से खून भी आना बंद हो जाता है।
  • (3) हड्डी: माजूफल को पीस-छानकर पानी में पेस्ट/लेप बनाकर घाव पर लगाकर पट्टी बांध लें। इससे खून बहना बंद हो जायेगा, घाव भी भर जाएगा और हड्डी भी जुड़ जाती है।
  • झुर्रियां रोकने और सौन्दर्य बढाने में सहायक:
  • (4) झुर्रियां: त्‍वचा को स्‍वस्‍थ्‍य और सुंदर बनाने के लिए माजूफल का उपयोग किया जा सकता है। इसके संकोचक गुण त्‍वचा को टाइट करने और स्‍वस्‍थ्‍य रखने के लिए प्रसिद्ध हैं। इसी कारण यह असमय लटकी हुई त्वचा में कसावट लाने और असमय की झुर्रियों को रोकने में सहायक होता है।
  • (5) त्‍वचा को गोरा बनाने: यदि माजूफल को बहुत ही कम मात्रा में नियमित रूप से सेवन किया जाये तो यह त्‍वचा को गोरा बनाने और त्‍वचा की अन्‍य समस्‍याओं को दूर करने में मदद करता है। लेकिन ध्‍यान रखना चाहिए कि अधिक मात्रा में इसका सेवन करने से नुकसान हो सकता है।
  • (6) जवां दिखने के लिए: त्‍वचा में कसाव लाने के लिए यह एक अद्भुत औषधि है। यह चेहरे या योनि की कसाबट को बनाए रखने में मदद करता है। इसमें एंटीऑक्‍सीडेंट अधिक मात्रा में पाये जाते हैं जो कि समय से पहले आने वाले बुढ़ापे के लक्षणों को कम करने में मदद करते हैं।

बच्चों के लिये बहुउपयोगी:

बच्‍चों की बहुत सी स्‍वास्‍थ्‍य समस्याओं के लिये माजूफल का उपयोग किया जाता है। यह बच्‍चों के पेट की समस्‍या और दस्‍त के बाद आने वाली सूजन के उपचार के लिए माजू फल का उपयोग किया जाता है। इसमें एंटी-डायरियल (Anti-Diarrheal) गुण पेट के सभी विकारों को ठीक करने में मदद करते है। इन परिस्थितियों पर दालचीनी पाउडर, माजूफल पाउडर और शहद के साथ मिलाकर दिन में दो बार सेवन कराने पर यह बच्‍चों की पेट से संबंधित सभी प्रकार की समस्‍याओं को दूर करने में मदद करता है।

कान बहना:

  • (1) कान से मवाद बहना: 1-5 ग्राम माजूफल को पीसकर और कपड़े में छानकर 50 ग्राम शराब में मिला लें। इसकी 2-2 बंदे कान को साफ करके सुबह-शाम डालने से कान से मवाद बहना बंद होता है।
  • (2) कान से मवाद बहना: माजूफल को बारीक पीसकर सिरके में डालकर उबाल लें। उबलने के बाद इसे छानकर कान में डालने से कान में से मवाद बहना बंद हो जाता है।

आंखों की खुजली: माजूफल और छोटी हरड़ को पीसकर आंखों में लगाने से आंखों की खुजली समाप्त होती है।

मुंह का रोग: 10 ग्राम माजूफल, 10 ग्राम फिटकरी और 10 ग्राम कत्था को पीसकर व कपड़े में छानकर पाउडर बना लें। रोजाना 2 से 3 बार इस पाउडर को मुंह में छिड़कने से मुंह के रोगों में आराम मिलता है।

दस्त: माजूफल को घिसकर या पीसकर बने पाउडर को 3 से 6 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम खुराक के रूप में सेवन करने से अतिसार (दस्त) में लाभ मिलता है।

नकसीर: माजूफल को पीसकर और किसी कपड़े में छानकर नाक से सूंघने से नकसीर (नाक से खून बहना) ठीक हो जाती है।

होठों को पतला करना: माजूफल को पीसकर दूध या पानी में पीसकर रात को सोते समय होठों पर लगातार 1 सप्ताह तक लगाने से होठ पतले हो जाते हैं।

वजन कम: इन लाभों के अलावा यह वजन को कम करने में भी सहायक होता है।

गर्भधारण करना: 60 ग्राम माजूफल को पीसकर छान लें। इसे 10-10 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम माहवारी समाप्त होने के बाद 3 दिनों तक गाय के दूध से सेवन करना चाहिए। इससे गर्भ स्थापित होता है।

गर्भधारण रोकना: योनि के आंतरिक हिस्सों में माजूफल के पाउडर को कपूर और शहद में मिलाकर संभोग करने पर गर्भ धारण नहीं होता है।

मधुमेह (Diabetes): माजूफल में गैलिक एसिड अच्‍छी मात्रा में पाया जाता है जो अस्‍थमा और मधुमेह को रोकने में मदद करता है। अत: माजूफल की चाय तैयार का सेवन कर सकते हैं। यह शरीर में अतिरिक्‍त शर्करा को नियंत्रित कर शरीर को मधुमेह के खतरों से बचाने में मदद करता है।

रक्तप्रदर: 25 ग्राम माजूफल को लेकर 200 ग्राम पानी में मिलाकर काढ़ा बना लें। फिर उसमें 3-3 ग्राम रसौत, फिटकरी मिलाकर योनि को साफ करने से रक्तप्रदर में लाभ मिलता है।

लेखन: 30.09.2016, संपादन: 20.04.2019

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