सिरदर्द और माइग्रेन-अधिक दर्द निवारक हानिकारक हैं, होम्योपैथी अपनाएं।-Headaches and Migraines-More Painkillers are Harmful, Adopt Homeopathy.

 

सिरदर्द और माइग्रेन-अधिक दर्द निवारक हानिकारक हैं, होम्योपैथी अपनाएं।-Headaches and Migraines-More Painkillers are Harmful, Adopt Homeopathy.

वर्तमान भागमभाग, जीवन की व्यस्तता और मानसिक दबावों में अधिकतर लोगों को आमतौर पर सिर में दर्द की शिकायत बनी रहती है। महिलाओं में यह तकलीफ अधिक देखने को मिलती है। मनोवैज्ञानिक शोध प्रमाणित करते हैं कि सिर दर्द के लिये अप्रसन्नता, असंतोष, अनिश्चय, चिंता, तनाव, अवसाद, क्रोध, कार्य का दबाव आदि प्रमुख कारण हैं। (Psychological research proves that there are major reasons for headaches, unhappiness, dissatisfaction, uncertainty, anxiety, stress, depression, anger, pressure of work etc.) इन दिनों यह समस्या बड़ों के साथ-साथ, छोटे बच्चों में भी देखी जा सकती है।

यदि सिर दर्द बार-बार होने लगे तो यह तकलीफ माइग्रेन (Migraine) अर्थात् आधासीसी में बदल सकती है। सामान्यत: माइग्रेन का दर्द, सिर के आधे हिस्से में होता है। जो दायें, बायें, आगे, पीछे, बीच में, आंखों के ऊपर, कनपटियों में या कपाल/ललाट पर हो सकता है। दर्द का सम्बन्ध सूर्योदय और सूर्यास्त या दिन या रात के साथ भी जुड़ा हो सकता है। दर्द इतना भयंकर होता है कि रोगी को दर्द निवारक/पेन किलर दवाइयों का सेवन करने को मजबूर होना पड़ता है।

दर्द निवारक दवाइयों के सेवन से कुछ समय के लिए तो दर्द से राहत मिल जाती है, लेकिन न तो दर्द से मुक्ति मिलती है और न ही माइग्रेन का उपचार हो पाता है। अधिक समय तक दर्द निवारक दवाओं का सेवन करना अन्य अनेक नयी और बड़ी शारीरिक तथा मानसिक तकलीफों को जन्म दे सकता है। इसके बाद भी अनेक उच्च शिक्षित तथा उच्च पदस्थ लोग तक इस प्रकार की तकलीफ को बहुत हल्के से लेते देखे जा सकते हैं। जो उनके स्वास्थ्य की दृष्टि से अनुचित और गंभीर रूप से चिंताजनक है।

होम्योपैथी की दुष्प्रभाव रहित दवाइयों और ऑर्गेनिक ताजा देसी जड़ी-बूटियों के विधिवत सेवन से सिरदर्द एवं माइग्रेन का स्थायी इलाज संभव है। मेरे लम्बे अनुभव में 80 फीसदी से अधिक रोगी पूरी तरह से रोगमुक्त हो जाते हैं। यद्यपि किसी अनुभवी डॉक्टर की देखरेख में ही इलाज लेना चाहिये। स्वास्थ्य सम्बन्धी जागरूकता हेतु सिरदर्द एवं माइग्रेन की कुछ होम्योपैथिक दवाईयां रोगियों के लक्षणों के अनुसार प्रस्तुत हैं:-

1. ग्लोनाइन (Glonoinum):
लक्षण-(1) होम्योपैथी में यह सिर-दर्द की विशिष्ट औषधि है। रोगी के सिर में रक्त की अधिकता से सिर-दर्द होता है। लू लगने से या सर्दी से या किसी और कारण से जब सिर में रक्त की अधिकता हो जाती है, तब यह दवा उत्तम कार्य करती है। सामान्यत: सिर-दर्द गर्दन से शुरू होता है। जहां रोगी को भारीपन अनुभव होता है, और हृदय की धड़कन/स्पन्दन के साथ सिर में भी धड़कन/स्पन्दन सी अनुभव होती है। रोगी को लगता है कि सिर बहुत बड़ा हो गया है, जो उसकी छोटी-सी खोपड़ी में नहीं समा रहा। सिर में धड़कन/स्पन्दन इतना उग्र होता है कि जिस तकिये पर रोगी ने सिर रखा होता है, रोगी को वह तकिया भी स्पन्दन करता महसूस होता है, सिर के हर स्पन्दन के साथ तकिया हिलता है। ‘सन-स्ट्रोक (Sun-Stroke)’ के लक्षणों में यह मुख्य दवा मानी जाती है।

(2) रोगी के सिर में एकदम, अचानक रक्त-संचय होने से रक्त-संचार के दौरे-से पड़ते हैं। सिर में रक्त-संचार ऐसे अवसरों पर होने लगता है, जब इसकी बिल्कुल संभावना नहीं होती है। जैसे-रोगी सड़क पर चला जा रहा है। एकदम गर्मी की लहर मस्तिष्क में उठती/चढ़ती हुई सी अनुभव होती है। उसे एकदम पसीना छूटने लगता है। रोगी का चेहरा लाल हो जाता है। रोगी चारों तरफ देखता है, मगर किसी को पहचान नहीं पाता। उसे पूर्व परिचित लोग भी अजनबी या अपरिचित से लगने लगते हैं।

(स्वास्थ्य परामर्श हेतु-Mobile & Health Advice WhatsApp No.: 85619-55619 पर 10AM बजे से 10PM बजे के बीच काल कर सकते हैं।)

2. नैट्रम म्यूरिएटिकम (Natrum Muriaticum): लक्षण-सूर्योदय के साथ सिर-दर्द होना और सूर्यास्त के साथ समाप्त हो जाना, इस दवाई का प्रमुख लक्षण है। सिर-दर्द में इस औषधि का स्थान किसी अन्य औषधि से कम नहीं है। विशेषतौर पर रक्तक्षीणता/रक्ताल्पता (Anemic) से पीड़ित लड़कियों/महिलाओं के सिर-दर्द में यह बहुत उपयोगी दवा है। सिर दर्द होने पर रोगी अनुभव करता है जैसे कि उसके सिर पर सैकड़ों हथौड़ों की चोट पड़ रही हैं। कभी-कभी यह सिर-दर्द प्रात: 10-11 बजे शुरू होता है, जो दोपहर बाद 3 बजे या सूर्य ढलने तक बना रहता है और सूर्यास्त होते ही समाप्त हो जाता है। कभी कभी यह प्रतिदिन, प्रति तीसरे या प्रति चौथे दिन हो सकता है। सिर-दर्द इतना तीव्र और भयानक होता है कि कोई नया होम्योपैथ बेलाडोना देने की सोच सकता है, परन्तु अगर रोगी का चेहरा पीला हो, वह रक्त-क्षीण हो, तो नैट्रम म्यूरिएटिकम से ही लाभ होगा। सामान्यत: ऐसा सिर-दर्द महिलाओं को माहवारी के बाद होता देखा गया है। जिसका कारण सम्भवत: रोगिणी में रक्तक्षीणता हो जाना होता है।

3. सैंग्यूनेरिया कैनाडेंसिस (Sanguinaria Canadensis): लक्षण-दायीं ओर के आधे सिर में दर्द जो सूरज के चढ़ने के साथ दाहिनी आँख पर आकर जम जाये तो इस दवाई को अवश्य याद रखना चाहिये। ऐसा सिर-दर्द जो प्रात: काल सूर्य के चढ़ने के साथ शुरू हो। सिर की गुद्दी से चलकर सिर के ऊपर से होकर दाहिनी आंख के ऊपर और सिर के दाहिनी तरफ आकर जम जाता है। इस प्रकार के सिर दर्द को यह दवा अवश्य ठीक कर देती है। रोगी अंधेरे कमरे में बिस्तर पर जा लेटता है, जिससे उसे कुछ आराम मिलता है। जबकि सिर दर्द दिन में बढ़ता है और तेज रोशनी या प्रकाश में दर्द अधिक बढ़ता जाता है। दर्द के बाद उल्टी आ जाती है और उल्टी आने पर दर्द चला जाता है। अगर रात को बिस्तर पर लेटते हुए रोगी के हाथ-पैरों जलन होती हो और रोगी अपने तपते हुए अंगों को ओढ़नी से बाहर रखना चाहता हो, तो यह इस दवाई का विशेष लक्षण है। इसके अलावा उठकर बैठने से नहीं, बल्कि लेटने से रोगी को आराम मिलता है। इस प्रकार के लक्षणों में दायीं ओर के सिर-दर्द में यह दवाई बहुत लाभ करती है।

4. स्पाइजेलिया (Spigelia):
लक्षण-(1) स्नायु-शूल (Neuralgia) की यह प्रमुख दवा है। इस दवाई का प्रभाव क्षेत्र विशेष रूप से स्नायु-शूल है। जैसे हृदय, सिर, चेहरा, आंख आदि के दर्द पर इसका मुख्य प्रभाव है। ऐसा हृदय-शूल तथा ऐसा सिर दर्द जो बायीं आंख के ऊपर आकर जम जाये। कभी कभी दायीं आंख के ऊपर भी आकर जम जाता है।

(2) सिर दर्द (Neuralgic headache), चेहरे का दर्द तथा आंखों के दर्द में इस औषधि का प्रमुख स्थान है। सिर-दर्द प्राय: एक तरफ होता है। प्रात: काल सूर्य के उदय के साथ यह शुरू होता है, ज्यों-ज्यों सूर्य चढ़ता जाता है त्यों-त्यों यह बढ़ता जाता है, और सूर्य के अस्त होने के साथ यह समाप्त हो जाता है। यह दर्द सिर की गुद्दी से उठता है, सिर पर चढ़कर, बायीं आंख के ऊपर जाकर ठहर जाता है।

इनके अलावा भी माइग्रेन की बहुत सी अन्य दवाइयां भी हैं, जिनको रोगी के मानसिक एवं शारीरिक लक्षणों के अनुसार उचित शक्ति, मात्रा एवं निर्धारित समय तक सेवन करवाया जाता है।

नोट: ऑर्गेनिक (Organic) देशी जड़ी बूटियों के बारे में पूर्वजों से प्राप्त अनमोल ज्ञान तथा दुष्प्रभाव रहित होम्योपैथिक एवं बॉयोकैमिक जर्मन दवाईयों के सतत अध्ययन, शोधन, परीक्षण और उपचार के दौरान हमने अनेक अनुभव सिद्ध उपयोगी नुस्खे तैयार किये हैं। जो बेशक कुछ गरीब या स्वास्थ्य के प्रति कंजूस लोगों को महंगे लग सकते हैं, लेकिन इन नुस्खों से हजारों रोगियों की “लाइलाज समझी जाने वाली” अनेक तकलीफों से मुक्ति मिल चुकी है। हर दिन सैकड़ों लोग स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर रहे हैं। चुनौतीपूर्ण मानव सेवा का यह क्रम हमारी वेब साइट ‘स्वास्थ्य रक्षक सखा’ के जरिये हर दिन देशभर में जारी है। लेकिन-‘तुरन्त, गारण्टेड और शर्तिया इलाज’ चाहने वाले हमें माफ करें।-डॉ. पुरुषोत्तम लाल मीणा

लेखन: 24.05.2018, सम्पादन: 16.03.2019

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