स्वस्थ लीवर: जीवन का मूलाधार Healthy Liver: Foundations of Life

हमारा पाचन तंत्र (Digestive System) लीवर (यकृत-Liver) के संचालन पर निर्भर करता है। लीवर सही काम करता है तो पाचन तंत्र सम्बन्धी कोई तकलीफ नहीं होती है। इसके विपरीत यदि लीवर खराब हो गया, लीवर में कोई विकार हो गया या लीवर ने सही से काम करना बन्द कर दिया तो हमारा शरीर बीमार होने में समय नहीं लगाता। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार संसार में 40 फीसदी से अधिक लोगों को कोई न कोई लीवर सम्बन्धी तकलीफ पायी जाती है। जबकि एक अध्ययन के अनुसार भारत में 80 फीसदी से अधिक लोगों को लीवर सम्बन्धी तकलीफें हैं। इन हालातों में लीवर को ठीक रखने के लिये प्रत्येक व्यक्ति को सजग रहने की जरूरत है। अध्ययन और शोध प्रमाणित करते हैं कि लीवर खराब होने से आम तौर पर निम्न शारीरिक विकार खड़े हो जाते हैं:-

लीवर खराब होने पर निम्न शारीरिक विकार खड़े हो जाते हैं

  • 01. अपच।
  • 02. कब्ज।
  • 03. अफरा।
  • 04. भूख नहीं लगना।
  • 05. अनिद्रा।
  • 06. दस्त साफ नहीं जाना।
  • 07. गैस/ऐसीडिटी।
  • 08. खट्टी डकारें आना।
  • 09. जी मिचलाना।
  • 10. उल्टी आना।
  • 11. पीलिया/कामला/जोंडिस/पाण्डू रोग हो जाना।
  • 12. हड्डी ज्वर।
  • 13. बवासीर/पाईल्स।
  • 14. भगन्दर/गुदा द्वारा में फोड़ा।
  • 15. गुदाभ्रंश।
  • 16. पुरुषों को प्रमेह: यौन कमजोरी, स्वप्नदोष और, या शीघ्रपतन।
  • 17. स्त्रियों को प्रदर और अनियमित माहवारी।
  • 18. चर्मरोग, दाद, खाज, खुजली।
  • 19. कमजोरी।
  • इत्यादि।
उक्त सभी विकारों को नहीं होने देने के लिये पहली जरूरत है, लीवर को अस्वस्थ नहीं होने देना। यदि कोई विकार हो ही गया है तो लीवर को स्वस्थ करना पहली जरूरत है। लीवर को स्वस्थ बनाये रखने के लिये जनहित में कुछ अनुभवसिद्ध जानकारियां और उपाय यहां प्रस्तुत हैं:—
अनुभवसिद्ध जानकारियां और उपाय

1. ऑर्गेनिक अलसी बीज (Organic Flax Seeds): ऑर्गेनिक अलसी के बीजों को पीसकर खाने या किसी भी पेय में मिलाकर पीने से लीवर की बीमारियां नहीं होती हैं। अलसी हार्मोंन को रक्त में घूमने से रोकता है और लीवर का तनाव कम करता है। मेरे द्वारा अपने पेशेंट्स को Organic Flax Seeds Sophisticated in Herbs Extracts अर्थात जड़ी-बूटियों के अर्कों से परिष्कृत ऑर्गेनिक अलसी बीज, उचित कीमत पर, निर्धारित मात्रानुसार पैकिंग में उपलब्ध करवाये जाते हैं। जिनसे बहुत अच्छे परिणाम मिल रहे हैं।

2. पत्तेदार सब्जियां और सेब (Leafy Vegetables and Apple): पत्तेदार हरी सब्ज़ियों और सेब में पेक्टिन (Pectin) नामक तत्व पाया जाता है, जो पाचन तंत्र के विषैले तत्वों को बाहर निकालकर अर्थात डिटॉक्सीफाई करके लीवर को ठीक रखता है। अत: इनका पर्याप्त मात्रा में सेवन करने से लीवर स्वस्थ रहता है।
3. मुलेठी (Mulethi, Liquorice): सादा पानी को उबाल लें। यदि उसमें कुछ गंदलापन नीचे बैठता है तो पानी को निथार लें। इसके बाद 200 मिलीलीटर पानी को फिर से उबालें और उबलते हुए पानी में ही में मुलेठी की जड़ का 2 चम्मच/टी-स्पून पाउडर डालकर पानी को आंच से नीचे उतार लें। जब पानी ठंडा हो जाए तो उसे छानकर कर रख लें और दिन में दो बार सेवन करें। इससे लीवर स्वस्थ रहता है। यहां तक कि कुछ ही दिनों में खराब और संक्रमित लीवर (Damaged & Infected Liver) भी ठीक होने लगता है।
4. भूई आंवला (फीलैंथस निरूरी या चनका पिदरा)(Phyllanthus Niruri or Chanca Piedra): ऑर्गेनिक भूमि/भूई आंवला लीवर के सभी प्रकार के विकारों को दूर करता है। भूई आंवला को भू-धात्री भी कहा जाता है। इसे जड़ सहित उखाड़कर पानी में पीस लें और नियमित रूप से पियें। इससे लीवर की सूजन, फैटी लीवर, पीलिया आदि सभी तकलीफों में बहुत अच्छे परिणाम मिलते हैं। यह फैमिली टॉनिक के समान है। जिसे छोटे-बड़े सभी सेवन कर सकते हैं। इसके स्वाद में कड़वापन होने के कारण, इसके पाउडर को कैप्सूल में भी सेवन किया जा सकता है। अपने अनुभव के आधार पर भूई आंवला के बारे में बताना जरूरी समझता हूं कि यह लीवर की श्रेष्ठतम एवं प्रमाणिक औषधियों में से एक है। चाहे लीवर बढ़ गया हो या लीवर में सूजन आ गयी हो, बिलीरुबिन बढ़ गया हो, पीलिया हो गया हो, सभी तकलीफों को भूई आंवला बिलकुल ठीक कर देता है। जयपुर स्थित हमारे निरोगधाम पर विधिवत ऑर्गेनिक पद्धति से भूई आंवला पैदा किया जाता हैं और अपने पेशेंट्स को उचित कीमत पर, निर्धारित मात्रानुसार पैकिंग में रजिस्टर्ड पार्सल से इसका पाउडर या चुरकुट घर बैठे उपलब्ध करवाया जाता है।
5. पपीता और नींबू (Papaya and Lemon): लीवर ही नहीं, बल्कि लीवर सिरोसिस (Liver Cirrhosis)* तक के उपचार के लिए पपीता एवं नींबू का मिश्रण श्रेृष्ठ उपचार (Best treatment) है। इनका सेवन बहुत सरल और बहुत आसान है। दो चम्मच पपीता के रस में आधा चम्मच नींबू का रस मिलाकर प्रतिदिन पीने से लीवर स्वस्थ रहता है और लीवर सिरोसिस ठीक हो जाता है। लीवर की रक्षा के लिए तीन-चार सप्ताह तक नियमित रूप से इसका सेवन करना चाहिए।
*A chronic disease of the liver marked by degeneration of cells, inflammation, and fibrous thickening of tissue. It is typically a result of alcoholism or hepatitis.
6. पालक और गाजर (Spinach and Carrot): लीवर तथा लीवर सिरोसिस के उपचार के लिए पालक एवं गाजर के रस का समान मात्रा का मिश्रण का सेवन करना भी उल्लेखनीय उपचार है। दिन में कम से कम एक बार इसका सेवन जरूर करना चाहिए।
7. सिंहपर्णी (Dandelion): लीवर को स्वस्थ रखने के लिये ताजा ऑर्गेनिक सिंहपर्णी की जड़ या जड़ के पाउडर की चाय दिन में दो बार पीना चाहिये। इसे पानी में उबालकर भी पिया जा सकता है। बाज़ार में सिंहपर्णी का पाउडर भी मिलता है, लेकिन उसकी शुद्धता और गुणवत्ता के बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता। अत: किसी अच्छी कम्पनी का ही खरीदें। हमने इस वर्ष (2018) से निरोगधाम पर सिंहपर्णी का ऑर्गेनिक रीति से पौधरोपण शुरू कर दिया है। उम्मीद है कि भविष्य में हम हमारे पेशेंट्स को ऑर्गेनिक सिंहपर्णी की जड़ का पाउडर उपलब्ध करवा सकेंगे।
8. आंवला (Gooseberry): सर्दियों के मौसम में भरपूर उपजने वाला आंवला विटामिन सी के सबसे संपन्न, सरल एवं प्राकृतिक स्रोतों में से एक है। इसका नियमित सेवन लीवर की सुचारू कार्यशीलता को बनाये रखने में सहायक होता है। वैज्ञानिक शोधों और क्लीनीकल अध्ययनों में साबित हुया है कि आंवला में लीवर को स्वस्थ एवं सुरक्षित रखने वाले सभी तत्व मौजूद होते हैं। अत: सर्दियों के मौसम में लीवर को स्वस्थ रखने के दिनभर में कम से कम 3 कच्चे आंवले खाने चाहिये। कसैला और अत्यधिक खट्टा स्वाद होने के कारण शुरु-शुरू में इसे खाने में असहजता हो सकती है, लेकिन नियमित रूप से खाने पर आंवला स्वादिष्ट लगने लगता है। ऑर्गेनिक आंवले का ताजा पाउडर भी उचित रीति से सेवन किया जा सकता है। इसके कैप्सूल भी उपलब्ध हैं। मेरे द्वारा अपने हजारों पेशेंट्स को निरोगधाम पर ऑर्गेनिक रीति से तैयार किया गये आंवले के पाउडर का सफलतापूर्वक सेवन करवाया जा रहा है। जिसके परिणाम भी बहुत अच्छे हैं। सर्वसुलभ आंवला लीवर की प्रतिरक्षा और उपचार के लिये सर्वश्रेष्ठ और विश्वसनीय औषधियों में से एक है।
9. सेब का सिरका (Apple Vinegar): सेब का सिरका, लीवर में मौजूद सभी विषैले पदार्थों (Toxins) को बाहर निकालने में सहायक होता है। नियमित रूप से दोपहर एवं शाम के भोजन से पहले सेब के सिरके को पीने से लीवर स्वस्थ रहता है और शरीर की चर्बी भी घटती है। सेब के सिरके का अनेक रीतियों से सेवन किया जा सकता है। एक गिलास पानी में एक चम्मच सेब का सिरका मिलाएं, या इस मिश्रण में एक चम्मच शहद भी मिलाएं। इस म‍िश्रण को दिन में दो से तीन बार पिया जा सकता है।
10. अखरोट एवं एवोकैडो (Walnuts and Avocados): अखरोट एवं एवोकैडो को अपने दैनिक आहार में शामिल करके भी लीवर की तकलीफों से बचा जा सकता है। अखरोट एवं एवोकैडो लीवर में जमा विषाक्त पदार्थों (Toxins) को बाहर निकालकर इसकी प्राकृतिक रूप से सफाई करता है।
11. हल्दी (Turmeric): जंक फूड (Junk Food) में हल्दी का उपयोग नहीं किया जाता है। अत: जंक फूड सेवन करने वालों को कोई न कोई लीवर सम्बन्धी तकलीफ अवश्य हो सकती है। जबकि हल्‍दी में एंटीसेप्टिक गुण मौजूद होते है और हल्‍दी एंटीऑक्सीडेंट के रूप में कार्य करती है। हल्दी की रोगनिरोधक क्षमता हैपेटाइटिस बी एवं हैपेटाइटिस सी का कारण बनने वाले वायरस को बढ़ने से रोकती है। इसलिए हल्‍दी को अपने भोजन में अवश्य शामिल करना चाहिये। सोने से पहले एक गिलास दूध में थोड़ी सी हल्दी मिलाकर पीना बहुत उपयोगी है। हल्दी लीवर की रक्षा एवं अस्वस्थ लीवर के सुधार हेतु अत्‍यंत उपयोगी है।-29.11.2018, संपादित दिनांक: 03.11.2019

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *