आत्महत्या (Suicide) नहीं करें: वियोग या जुदाई का भी इलाज सम्भव है।

एक ऐसा संवेदनशील विषय, जिस पर लोग खुलकर बात करने तक से कतराते हैं। हम देखते हैं कि अनेकानेक किशोर-किशोरियां, युवक-युवतियां या परिपक्व स्त्री-पुरुष जिन्हें प्रेम में निराशा या धोखे का सामना करना पड़ा हो। वे जो दिन-रात अपने दु:ख या शोक या गम या जुदाई के वियोग में दु:खी रहने की वजह से या अपने हालातों के बारे में दिन-रात सोचते रहने के कारण सो तक नहीं पाते हैं। 

इन हालातों में जीवन के प्रति उनकी आशाओं और उमंगों पर तुषारपात हो जाता है। इस कारण वे मानसिक तथा अनेक प्रकार के शारीरिक रोगों से पीड़ित हो जाते हैं। उन्हें हर पल ऐसा लगता है। जैसे-

  • 1. उनके जीवन में हर समय अर्थात चिरस्थाई दु:ख ही दु:ख रहने वाले हैं।
  • 2. शोक, झुंझलाहट, ईर्ष्या, निराशा, हतोत्साह ही उनकी पहचान बन जाता है।
  • 3. उनको जीवन में कुछ भी अच्छा नहीं लगता है।
  • 4. उनके हृदय की धड़कन बढने लगती है और उन्हें हृदय में पीड़ा होती रहती है।
  • 5. सांस लेने में कठिनाई होती है और मन में हमेशा आत्महत्या के विचार आते हैं।

इन सब हालातों से लम्बे समय तक परेशान एवं व्यथित रहने के कारण, अंतत: कुछ लोग ऐसी मनोस्थिति में पहुंच जाते हैं कि वे न तो कुछ सोच सकते हैं और न समाधान निकाल पाने में समर्थ रह पाते हैं। उन्हें हर ओर तथा हर बात में केवल निराशा और उदासीनता ही नजर आती है।

ऐसी दु:खद मनोशारीरिक हालातों का सामना कर रहे लोग आमतौर पर अपने दु:ख को अपने परिजनों को बता नहीं पाते हैं। यदि बताने का साहस भी करते हैं तो उन्हें पागल या बदचलन करार दे दिया जाता है।

इस डर से ऐसे लोग दु:खों को सह सकने की क्षमता शेष रहने तक अपनी पीड़ा ​को दबारकर अंदर ही अंदर घुटते और रोते-विलखते रहते हैं।

जब दर्द और घुटन असहनीय हो जाती हैं, तो इनमें से अनेकों असमय मौत को गले लगा लेते हैं। जबकि बहुतेरे पागलखानों की दीवारों से सिर फोड़ते रहते हैं।

ऐसी दु:खद स्थिति का सामना कर रहे, लोगों से मेरे कुछ सवाल और जरूरी सलाह-
  • 1. प्रेम होना और प्रेम का टूटना अनादिकाल से जारी रही प्राकृतिक घटना है।
  • 2. यह कोई ऐसी अनहोनी घटना नहीं जो पहली बार केवल आपके ही साथ घटी हो?
  • 3. इतिहास में ऐसा लाखों-करोड़ों लड़कियों, लड़कों, स्त्रियों और पुरुषों के साथ होता रहा है, जब उनका दिल टूटा और उन्हें जीवन के प्रति निराशा ने घेर लिया। मगर उन हालातों से उबरने के बाद उन सभी लोगों ने वृद्धावस्था तक सामान्य तथा सफल जीवन जिया।
  • 4. ऐसे लोगों के लिये सबसे बड़ी और महत्वपूर्ण विचारणीय बात यह भी है कि जीवन अमूल्य है और जीवन जीने को प्रतिबद्ध लोगों के लिये संसार में हर समस्या का कुछ न कुछ समाधान या निराकरण अवश्य है।

उपरोक्त हालातों में मानसिक एवं शारीरिक रूप से टूट चुके अनेकानेक लोगों का होम्योपैथिक दवाइयों तथा उचित काउंसलिंग के जरिये ठीक करने का मुझे भी अनुभव है। 

अत: विश्वासपूर्वक लिख रहा हूॅं कि वियोग या जुदाई में अंदर ही अंदर घुट-घुट कर हर पल बिलखने या मरने से बेहतर है, अपनी पीड़ा किसी अनुभवी और विश्वसनीय मानव व्यवहारशास्त्री और, या होम्योपैथ को बतायें। होम्योपैथी की दुष्प्रभाव रहित दवाइयां ऐसी मनोस्थिति को बदलने और पीड़ित के जीवन में आशा तथा ऊर्जा का संचार करने में आश्चर्यजनक रूप से सहायक बन सकने में सक्षम होती हैं।

मुझे उम्मीद है कि यह जानकारी उपयोगी सिद्ध होगी। अत: पाठक यदि उचित समझें तो इस सामग्री को जनहित में आगे फॉरवर्ड/शेयर कर सकते हैं।-लेखन दिनांक: 23 दिसम्बर, 2018

नोट: मानवीय संवेदनाओं के अहसास की पीड़ा को समझने और महसूस करने में सक्षम व्यक्ति ही इंसान कहलाने का सच्चा हकदार होता है। अतः हर इंसान को इन हालातों को बिना पूर्वाग्रह के समझने की योग्यता अर्जित करनी होगी। जीवन बहुत बड़ा है, न जाने कब इन हालातों में कोई हमारा अपना उलझ जाए?

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