काउंसलिंग से यौन जीवन, उत्साह और आत्मविश्वास मजबूत हुए

 

काउंसलिंग से यौन जीवन, उत्साह और आत्मविश्वास मजबूत हुए

मेरा लम्बा अनुभव है कि दवाइयों के सेवन के साथ, बिना काउंसलिंग के बहुत कम यौन रोगी/पेशेंट पूरी तरह से स्वस्थ हो पाते हैं। विशेषकर निम्न तकलीफों से पीड़ित यौन रोगियों के लिये तो काउंसलिंग बहुत जरूरी, बल्कि अपरिहार्य होती है:-

1. किसी भी उम्र के शीघ्रपतन के पुरुष।

2. ऐसे पुरुष जिन्हें संभोग से पहले या संभोग के दौरान अचानक यौनांगों में शिथिलता आ जाती हो।
3. ऐसे पुरुष जिन्हें संभोग करते समय मन ही मन पिछली बार सेक्स में असफलता के कारण इस बार भी सेक्स में असफल होने का भय बना रहता है। Anticipatory Fear-प्रत्याशित भय के शिकार।

4. ऐसे अविवाहित युवा जिनका अपनी किन्हीं गलतियों या गलत जानकारियों के कारण आत्मविश्वास कमजोर हो चुका हो और जिन्हें विवाह के बाद सफलतापूर्वक सेक्स नहीं कर पाने का भय सताता रहता है। इस वजह से विवाह को टालते रहते हैं।

5. ऐसे पुरुष जिन्हें मन ही मन यह संशय बना रहता है कि वे अपनी पत्नी को संतुष्ट कर पा रहे हैं या नहीं?
6. ऐसे युवा जिन्हें प्रथम संभोग के दौरान किसी कारण से सफलता नहीं मिली हो। जिसकी वजह से उनका आत्मविश्वास कमजोर हो चुका होता है और दुबारा सेक्स करते समय असफलता डर सताता रहता है।
7. जिन पुरुषों को उनकी पत्नियां सेक्स में संतुष्ट न कर पाने का ताना/उलाहना देती रहती हैं। इस कारण तनाव में रहते हैं और लगातार उनकी सेक्स क्षमता कम होती जा रही हैं।
8. जिन युवाओं को भ्रामक जानकारियों या प्राकृतिक कारणों से ऐसा लगता है कि उनके लिंग का आकार छोटा है, इस कारण वो सेक्स कर पायेगा या नहीं?
9. तनाव, दवाब, चिंता, डिपरेशन, थॉयराइल आदि तकलीफों से पीड़ित स्त्री-पुरुषों के लिये।
10. जिन पेशेंट्स के दिमांग में कोई बात घर कर चुकी हो जो उसे अंदर ही अंदर खाये जा रही हो।
11. किसी के द्वारा प्यार, व्यापार या सम्बन्धों में धोखा दिये जाने या किसी की जुदाई के वियोग या किसी स्वजन की मौत के सदमें से न उबर पाने वाले लोगों के लिये।

उपरोक्त के अलावा कुछ ऐसी शारीरिक तकलीफें भी होती हैं, जिनके मूल में मानसिक कारण रहे होते हैं, उनसे मुक्ति हेतु भी काउंसलिंग बहुत जरूरी होती है। प्रस्तुत मामले में पेशेंट को उसकी यौन समस्याओं के साथ, उसकी अनेक प्रकार की शारीरिक तकलीफों में भी काउंसलिंग के बहुत सुखद परिणाम मिले हैं। प्रस्तुत पेशेंट की मनोस्थित वर्षों से बहुत ही खराब एवं कमजोर थी। जिसके कारण उसका दाम्पत्य जीवन तो बर्बाद हो रहा था, साथ ही वह निराशा एवं अवसाद का भी शिकार हो चुका था। जीवन जीने में कोई आनंद ही नहीं आ रहा था, बल्कि हकीकत में तो जीवने से विरक्त हो चुका था। इस कारण उसके दफ्तर के दैनिक कार्यों के निष्पादन पर कुप्रभाव पड़ रहा था। प्रकृति की कृपा से अब वह उत्साहित है। सबसे बड़ी बात उसका आत्मविश्वास लौट आया है। जीने के लिये उत्साह और आत्मविश्वास बहुत जरूरी होते हैं।

आदिवासी ताऊ, 8561955619, काउंसलर, होम्योपैथ, परम्परागत उपचारक एवं संचालक-निरोगधाम, जयपुर, राजस्थान। 11.08.2021

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