यौन समस्याओं के सही समाधान और उपचार इतने महंगे तथा मुश्किल क्यों?

 

यौन समस्याओं के सही समाधान और
उपचार इतने महंगे तथा मुश्किल क्यों?-#आदिवासी_ताऊ

नोट: जिन्हें वाकयी यौन विषयक ज्ञान की चाहत है, समय निकालकर सम्पूर्ण लेख एक से अधिक बार पढें।

ढोंगी और कुंठित समाज में यौन विषयों पर सार्वजनकि रूप लिखना हमेशा चुनौतीपूर्ण होता है, बावजूद इसके इस चुनौतीपूर्ण विषय पर लिखने का साहस कर रहा हूं।

समझने वाली सबसे पहली और जरूरी बात: बहुत कम युवा, स्त्री और पुरुष यौन समस्याओं के बारे में खुलकर लिखने और बोलने का साहस जुटा पाते हैं। कुछ हिम्मत करते हैं तो दूसरे जो नहीं चाहते कि सेक्स जैसे विषय पर सदभावनापूर्वक स्वस्थ विमर्श हो, वे इसे अश्लील घोषित करके बीच में अनेक प्रकार के व्यवधान पैदा करते रहते हैं। रोड़ा अटकाने में ऐसे लोगों को आनंद आता है। इसके बावजूद भी बड़े परिश्रम से हमारे द्वारा 15 सितम्बर, 2019 से ‘हेल्थकेयर बाय आदिवासी ताऊ’ (Health Care By Adiwasi Tau) नाम से संचालित फेसबुक ग्रुप के मार्फत हमने अन्य सभी सामान्य स्वास्थ्य समस्याओं की भांति सेक्स समस्याओं पर भी खुलक​र लिखने और विमर्श को आगे बढाने की साहसिक पेशकश की है। बहुत कम ग्रुप सदस्य खुलकर विमर्श में हिस्सेदारी करते हैं। मगर विमर्श के नाम पर ग्रुप के अधिकतर सदस्य मौन साधे रहते हैं। यद्यपि उनका व्यवधान पैदा नहीं करना भी अपने आप में बड़ा योगदान है।

यदाकदा कुछ सदस्य यौन समस्याओं पर घुमा फिराकर अपने विचार लिखते रहते हैं। इस बार भी ऐसा हुआ है। जिसकी वजह से मुझे यह लेख लिखने का अवसर मिला है। जिसके लिये सबसे पहले ग्रुप के सम्मानित युवा सदस्य मनोज कुमार मीणा जी का अग्रिम धन्यवाद और आभार व्यक्त करता हूं। मैंने इस लेख को लिखने में मेरी एक सुबह का अमूल्य समय लगाया है। उम्मीद करता हूं कि सेक्स विषय पर जानकारी चाहने की जिज्ञासा रखने वाले संजीदा पाठकों के लिये यह लेख उपयोगी और मार्गदर्शक साबित होगा। मेरा आग्रह है कि इस आलेख को कम से कम दो बार अवश्य पढें। उसके बाद जरूरी समझें तो इसमें लिखी बातों पर अपनी प्रतिक्रिया/राय व्यक्त करें। सवाल पूछें। जिससे मुझे आगे लिखने का अवसर मिल सके।

आगे बढने से पहले अवगत करवाना जरूरी है कि मेरे द्वारा युवकों और पुरुषों के हितार्थ हस्तनिर्मित “Extra Power & Stamina Booster” नामक हेल्थ किट #TRPC_11 पर लिखे एक छोटे से लेख के नीचे ग्रुप के सम्मानित युवा सदस्य मनोज कुमार मीणा जी ने अपनी बात या अपनी पीड़ा निम्न शब्दों में व्यक्त की है:

”Rate is very high, for complete course……..sir, sexual complications are very common now, but a common man unable to afford these medicines due to their higher prices.” —-पूर्ण कोर्स के लिए, रेट बहुत अधिक है, ……… सर, यौन जटिलताएं अब बहुत आम हैं, लेकिन एक आम आदमी इन दवाओं की अधिक कीमतों के कारण इन दवाओं को खरीदने में असमर्थ है।-गूगल अनुवाद।

Manoj Kumar Meena ID (यह न तो टैग हो पा रही है और न ही मेंशन) Link: https://www.facebook.com/groups/2259513320826592/user/100000469035840/

मेरा हमेशा से यह मानना रहा है कि सभी प्रकार के सवाल जवाब मांगते हैं। लोगों को उनके सवालों के जवाब तथा उनकी समस्याओं के समाधान मिलने ही चाहिये। जो जिम्मेदार लोग जानते हुए भी समाधान पेश नहीं करते हैं, वे मेरी राय में जवाब चाहने वालों की नजर में दोषी, डरपोक या कायर होते हैं। विद्यार्थी काल से सवाल पूछने का मेरा स्वभाव रहा है। इसलिये मैं भी उन सवालों के जवाब देने से इनकार नहीं कर सकता, जिनके जवाब देना मेरा नैतिक, कानूनी या सामाजिक दायित्व है। मैं हमेशा से यथासंभव सवालों और समस्याओं के समाधान प्रस्तुत करने के पक्ष में रहा हूं। इसलिये उक्त युवक के सवाल का यथासंभव सही समाधान पेश करना भी जरूरी है। समाधान भी खानापूर्ति वाला नहीं, वास्तविक तथा व्यावहारिक समाधान होना जरूरी है। जिन पाठकों को वाकयी उक्त सवाल का जवाब या समाधान चाहिये वे सभी धैर्यपूर्वक इस आलेख को अद्योपांत पढने में कुछ समय खर्च करें।

मेरे पाठक और मुझे करीब से जानने वाले यह बात भलीभांति जानते हैं कि मुझे कड़वा लिखने, बोलने और सुनने की आदत है। अत: इस विषय के बारे में भी कुछ ऐसा ही पढें। आपका स्वागत है।

बाजार का अर्थशास्त्र: जब किसी व्यक्ति की क्रयशक्ति कमजोर होती है तो उसे हर सस्ती वस्तु महंगी नजर आती है। इसके विपरीत जब क्रयशक्ति सशक्त यानी मजबूत होती है तो महंगी वस्तुएं भी बहुत सस्ती लगने लगती हैं। यह तो हुआ भौतिक वस्तुओं के उपयोग और हमारी जेब की स्थिति का अर्थशास्त्र। मनोज कुमार मीणा जी को व्यावसायिक जवाब तो इन शब्दों में पूर्ण हुआ। मगर मुझे पता है, यह पूर्ण समाधान नहीं है।

औषधियों की कीमत का गणित: अब हम बात करते हैं, यौन तकलीफों और उनके उपचार की उच्च कीमतों के गणित के बारे में जानकारी प्रदान करने की। मेरे द्वारा यौन समस्याओं के समाधान हेतु पेशेंट्स को जरूरत के अनुसार बहुत सी ऑर्गेनिक औषधियों तथा जर्मन होम्योपैथिक दवाइयों का सेवन करवाया जाता है। जो बाजार में मिलने वाली औषधियों की तुलना में कई गुनी महंगी होती हैं। जिनमें से एक जो यौन विकारों के लिये बहुत कॉमन औषधि है, उसका नाम है-‘ऑर्गेनिक कौंच बीज’, जिसे आम बोलचाल में ‘वियाग्रा का बाप’ तक कहा जाता है। यौन विकारों के उपचार में दर्जनों दूसरी औषधियों का भी उपयोग किया जाता है, लेकिन विषय को समझने हेतु अकेले कौंच के बारे में कुछ बातें सार्वजनिक करना जरूरी समझता हूं।

कौंच का बीज लेख लिखे जाते समय बाजार में गुणवत्ता के अनुसार मात्र 80 रुपये से 120 रुपये प्रतिकिलो तक आराम से में मिल रहा है। मगर इस बात की कोई गारंटी नहीं कि-

1. बाजार में मिलने वाला कौंच का बीज इसी वर्ष का है या 10 साल पुराना?
2. कौंच का बीज ऑर्गेनिक है या नहीं?
3. इस कारण अपने पेशेंट्स के उपचार हेतु हमें कौंच का बीज हमारे निरोगधाम पर ही ऑर्गेनिक रीति से पैदा करना करना होता है।
4. निरोगधाम राजस्थान, जयपुर में स्थित है, यहां पर जमीन की कीमत 1 करोड़ रुपये प्रति बीघा से अधिक है। एक बीघा अर्थात 3025 वर्ग गज जमीन का टुकड़ा।
5. एक बीघा जमीन में 5 क्विंटल से अधिक ऑर्गेनिक कौंच बीज की पैदावार नहीं हो सकती।
6. हां इन बीजों की शुद्धता और उनके परिणाम मिलने की अवश्य सुनिश्चितता होती है।
7. एक किलो कौंच बीज को शोधित करने में वर्तमान में मुझे 1800 रुपये का खर्चा आता है।
8. तब एक किलो बीज में मात्र 600 ग्राम शोधित कौंच बीज पाउडर तैयार होता है।

पेशेंट से पूछताछ और काउंसलिंग पर होने वाले समय की कीमत का आकलन तो बाद में करेंगे,सबसे पहले तो अकेले इस कौंच का भाव ही निर्धारित कर लीजिये। एक किलो कौंच पाउडर कितना महंगा हो सकता है? उपरोक्त तथ्यों से सहज अनुमान लगाया जा सकता है कि ऑर्गेनिक औषधियों की कीमत अधिक क्यों होती है?

सवाल के समाधान हेतु विवेचना: अब बात करते हैं, मनोज कुमार मीणा जी के सवाल की, कि ”….sexual complications are very common now…यौन जटिलताएं अब बहुत आम हैं…”

पहली बात: आपने या आप जैसी स्थितियों का सामना कर रहे लोगों ने कभी विचार किया कि ये ‘यौन जटिलताएं आम क्यों हैं?’

दूसरी बात: जब यौन जटिलताएं अब बहुत आम हैं तो इनके समाधान भी आम ही होने चाहिये, लेकिन समाधान तो कहीं दूर तक भी नजर नहीं आ रहे हैं।

यह सही है कि यौन जटिलताएं अब बहुत आम हैं। जटिल इसलिये हैं, क्योंकि हमारे भारतीय मानव समाज ने यौन विषय को, आम तथा कथित सभ्य लोगों के मध्य चर्चायोग्य नहीं रहने दिया गया है। सभी युवा एवं सभी सक्षम स्त्री-पुरुष यौनसुख तो चाहते हैं, लेकिन सेक्स के बारे में खुलकर बात करना समाज द्वारा अश्लीलता घोषित किया हुआ है। ऐसी स्थिति में ‘यौन जटिलताएं अब बहुत आम हैं’ यह तो स्वाभाविक रूप से इन आत्मघाती परिस्थितियों का ही दु:खद दुष्परिणाम है।

हमारे समाज में एक तरफ सेक्स पर खुलकर बात करने की पारिवारिक और सामाजिक स्वीकृति नहीं है, तो दूसरी ओर कचराज्ञान फैलाने वालों का लगातार विस्तार हो रहा है। कचराज्ञान फैलाने वालों पर कोई नियंत्रण नहीं है। युवा और प्रौढ भी सेक्स के बारे में बहुत कुछ जानने को आतुर तो रहते हैं, सभी में जानने की असीमित भूख है, लेकिन उनमें से अधिकतर सार्वजनिक रूप से सवाल पूछने की हिम्मत नहीं जुटा पाते। यही वजह है कि भारत जैसे विशाल देश में यौन विषय में पीचडी करने वाले नगण्यतम हैं। सर्वाधिक दु:खद तो यह है कि विशाल भारत के किसी भी विश्वविद्यालय में सेक्स शिक्षा पर कोई सरकारी डिग्री या मास्टर डिग्री कोर्स तक नहीं है।

इसके बाद भी हम चाहते हैं कि हमारी ‘यौन जटिलताएं’ जो ‘अब बहुत आम हैं’ उनका समाधान भी बहुत आसानी से सबको आसानी से केवल सुलभ भी नहीं हो, बल्कि वह सस्ता भी हो। सोच तो मैं भी सकता हूं कि यह सब सस्ता और सुलभ होना चाहिये। मगर सोचने से क्या होगा? सवाल तो यह कि यह संभव कैसे होगा? इसके कारणों को भी जानना तथा समझना जरूरी है।

मेरे पास कुल जितने लोग उपचार हेतु सम्पर्क करते हैं, उनमें से आधे से अधिक केवल यौन समस्याओं, यौन जटिलताओं और यौन उलझनों से बुरी तरह से पीड़ित रहते हैं। जो पेशेंट अन्य तकलीफों से पीड़ित होते हैं, उनको भी कमोबेश कुछ न कुछ यौन जटिलताएं होती ही हैं। जैसे हिस्टीरिया और ल्यूकोरिया से पीड़ित हर युवा या प्रोढ स्त्री यौन जटिलताओं और, या यौन असंतोष की शिकार रही होती हैं। सबसे बड़ी, महत्वपूर्ण और दुर्भाग्यपूर्ण बात तो यह है कि अधिकतर युवक और, या प्रौढ स्त्री-पुरुष सिर्फ दवाइयों के भरोसे ठीक यौन समस्याओं के समाधान चाहते हैं। अधिकतर को अपनी तकलीफ के नाम बताने के अलावा, उन तकलीफों पर विस्तार से चर्चा करना तक मंजूर नहीं। इसी कारण अधिकतर पेशेंट जमकर लुटते भी रहते हैं।

सबसे महत्वपूर्ण बात: इस बारे में जो सबसे महत्वपूर्ण बात, जिसे अधिकतर लोग जानना और समझना ही नहीं चाहते या उन्हें कोई समझाने वाला ही नहीं है। वो बात यह है कि

‘सेक्स दो टांगों के बीच का नहीं, बल्कि दो कानों के बीच का खेल है।’

अर्थात् सेक्स (स्त्री तथा पुरुष दोनों के संदर्भ में) सबसे पहले मन में पैदा होता है और उसके बाद शरीर में प्रकट होता है। सबसे बड़ी बात हमारा मन हमारे अवचेतन मन (subconscious mind) से नियंत्रित/संचालित होता है और मन से शरीर नियंत्रित या संचालित होता है। मगर अवचेतन मन के बारे में अनभिज्ञता व्याप्त है।

हजारों सालों से हमारे अवचेतन मन (subconscious mind) पर सेक्स को लेकर जो अधकचरा या कचरा ज्ञान जेनेटिकली (genetically-आनुवंशिक रूप से) विरासत में प्राप्त होता रहा है, वह हमारे मन में फूलों की महक पैदा नहीं करता, बल्कि सिर्फ कचरा और कचरे की सड़ांद यानी बदबू ही उत्पन्न करता रहता है और इसको निष्कासित नहीं करने तक आगे भी कचरा ही पैदा करता रहेगा है। जिसके दुष्परिणाम यौन समस्या, यौन जटिलता, यौन असफलता आदि के रूप में शरीर पर प्रकट होता रहेगा। इसी के दुष्परिणामस्वरूप वर्तमान में बड़ी संख्या में युवकों को विवाह के नाम से ही डर लगने लगा है। इससे अधिक दुर्भाग्यपूर्ण और भयावह स्थिति कुछ नहीं हो सकती।

मैं समझता हूं कि सभी प्रकार की यौन जटिलताओं के शिकार पेशेंट्स का उपचार बहुत जरूरी है। मैं अपने अनुभव से लिख रहा हूं कि केवल दवाइयों के भरोसे इन यौन विकारों का उपचार संभव नहीं है। जेनेटिकली (genetically-आनुवंशिक रूप से) जमा कचरे को अवचेतन मन से साफ किये बिना सही उपचार संभव नहीं है। मगर सफाई तब ही तो संभव है, जब यह पता चले कि किसी व्यक्ति विशेष के अवचेतन मन में कौनसी वैचारिक गंदगी और कितने गहरे तक जमी हुई है? जिसका ज्ञान खुद पीड़ित युवाओं और पुरुषों तक को नहीं होता है, क्योंकि वे तो यौन जटिलताओं को शारीरिक बीमारी या अपनी नीयति समझ कर अपने नसीब को कोसते रहते हैं!

सबसे दु:खद पहलु तो यह भी है कि ऐसी यौन जटिलताओं से पीड़ित शतप्रतिशत यौन रोगी, केवल शारीरिक उपचार तलाशते रहते हैं, जबकि उन्हें शारीरिक उपचार बाद में, सबसे पहले तो मानसिक उपचार की जरूरत होती है। जब तक उनका अवेचतन मन पूरी तरह से स्वस्थ और स्वच्छ होकर निर्विकार नहीं होगा, शारीरिक जटिलताओं के ठीक होने की कल्पना करना ही बेहूदगी, बल्कि मूर्खता है। ऐसे लोगों को उपचारक यानी शारीरिक डॉक्टर से पहले एक विश्वसनीय और अनुभवी सेक्स काउंसलर यानी यौन सलाहकार की जरूरत होती है। जिसके सामने वे खुलकर अपनी समस्या साझा कर सकें और वो उनके मानसिक विभ्रमों और फोबिया का समाधान करने के साथ-साथ कामकला के बारे में उन्हें आधारभूत जरूरी जानकारी प्रदान कर सके।

अर्थशास्त्र का कड़वा और क्रूर नियम: दुर्भाग्य से हमारे देश में सेक्स एक्सपर्ट काउंसलर्स की संख्या और आमजन के लिये उनकी उपलब्धता बहुत कम या नगण्य हैं। यहां पर समझने वाली कड़वी सच्चाई यही है कि जो भी सुविधा या सेवा जितनी कम मात्रा में उपलब्ध होती है, उसकी मांग अधिकतम होती है। अधिक मांग के अनुरूप ही ऐसी सुविधाएं एवं सेवाएं दुर्लभ और महंगी होती जाती है। जो कोई भी बिना मोलभाव किये इन सेवाओं की चुपचाप वांछित कीमत चुका सकता है, केवल वही ऐसी सेवाओं को प्राप्त कर सकता है। यही व्यावहारिक अर्थशास्त्र का कड़वा और क्रूर नियम है।

इस सबके बाद भी यहां सबसे बड़ा पेच तो यह है कि हर युवा या प्रत्येक पुरुष अपनी मर्दानगी या यौन समस्या या यौन जटिलताओं के बारे में बात करने में शर्म-संकोच के चलते झिझकता है। ऐसे लोग सार्वजनिक रूप से सवाल तक नहीं पूछना चाहते। कड़वी हकीकत तो यह भी है कि ऐसे लोगों में से अधिकतर तो सिर्फ ऐसी किसी जादुई दवाई की तलाश होती है, जिसका सेवन करते ही रातोंरात वे तूफानी मर्दानगी से भर जायें! इसी वजह से अनेक भोले, नासमझ या यौन समाधान चाहने वाले लोग वियाग्रा (Viagra) जैसी क्षणिक रक्तावेग पैदा (जिसे यौन उत्तेजना समझाने की मूर्खता की जाती है) करके हमेशा को यौन क्षमताओं को शिथिल कर देने वाली दवाइयों का सेवन करने को विवश हो जाते हैं!

उपरोक्त सभी बातों और विवेचन के प्रकाश में अपने अनुभवों के अनुसार मुझे जनहित में सार्वजनिक रूप से कुछ तथ्यों को सार्वजनिक करना जरूरी लगता है:-

– 1. अपने जन्मजात यानी आनुवांशिक दिमाग में, यानी अवचेतन मन में स्थापित धारणाओं के कारण युवा या पुरुष सेक्स के बारे में बात करने से जब तक झिझकते रहते हैं, अपनी मुसीबतों को बढाते रहते हैं।
– 2. जो कुछेक युवा या पुरुष थक हारकर और झिझक को खूंटी पर टांगकर बात करने की हिम्मत जुटाते हैं, वे भी सिर्फ संकेतों ही बात करना चाहते हैं और समाधान के नाम पर सिर्फ दवाइयां या शर्तिया/गारंटीड समाधान करने वाले कोर्स चाहते हैं।
– 3. बहुत कम युवा और पुरुष अपनी यौन जटिलताओं के वास्तविक समाधान हेतु बिल्कुल अकेले में खुलकर बात करने को तैयार होते हैं। सेक्स पर बात करना भी उन्हें ऐसा लगता है, जैसे वे सामने वाले के सामने नंगे हो रहे हैं। काउंसलर द्वारा कुरेद-कुरेद कर पूछने पर भी बमुश्किल अपनी समस्या को बता पाते हैं।
– 4. इस सबके विपरीत यौन विकारों से पीड़ित युवाओं या पुरुषों की चाहत यदि यह हो कि प्रत्येक शर्मीले, संकोची मर्दों की मर्दानगी को गोपनीय रखने की शपथ लेकर यदि कोई व्यक्ति उन्हें बिल्कुल अकेले में बहुत सा समय प्रदान करके उनकी उलझनों को सुलझाने हेतु खुद ही प्रयास करे। बेशक वे घुमा घुमाकर आधे-अधूरे जवाब दें। समस्या समाधान करने वाला पेशेंट पर अपने जीवन का अमूल्य समय खर्च करके उसकी उलझनों का समाधान करके उन्हें सलझाये और तदनुसार शारीरिक उपचार भी करे। मगर इस सबके ऐवज में कीमत बहुत कम वूसले, क्योंकि ”sexual complications are very common” क्या यह सब व्यावहारिक रूप से संभव है?
– 5. हां सेक्स समस्याओं का भी आज के दौर में सस्ता ही नहीं, बल्कि बहुत सस्ता समाधान संभव है। यदि एक साथ 50 युवक/पुरुष सार्वजनिक रूप से या ऑनलाइन अपनी तकलीफों पर खुलकर बात कर सकें तो तुलनात्मक रूप से उनकी उलझनें आधे से कम समय में और मात्र 5 फीसदी खर्चे में सुलझ सकती हैं। मगर कोई भी नवयुवक/पुरुष कभी नहीं चाहता है कि उसकी/उनकी मर्दाना ताकत (जो है ही नहीं) के बारे में उसके अलावा कोई दूसरा जानें। ऐसे में सेक्स समस्याओं का सस्ता उपचार केवल कल्पना मात्र ही है।

काउंसलिंग के साथ श्रमसाध्य लक्षणात्मक उपचार प्रक्रिया: मेरे द्वारा यौन विकारों के समाधान के तीन तरीके अपनाये जाते हैं।

#पहला: आदिवासी जड़ी-बूटियों का सेवन करवाना। जिससे शारीरिक बल और आरोग्य की कोशिश की जाती है। जो तुलनात्मक रूप से महंगी होती हैं। जिनके बारे में लेख के शुरू में कौंच के बीच का उदाहरण देकर स्पष्ट किया जा चुका है।

#दूसरा: काउंसलिंग, सबसे पहली बात तो यही है कि अनेक लोग तो यही नहीं जानते कि काउंसलिंग कहते किसे हैं? उनके लिये इतना जान लेना पर्याप्त होगा कि किसी अनुभवी और, या विषय विशेषज्ञ द्वारा किसी समस्‍या के विषय में व्‍यावसायिक रूप से रुपये लेकर या मुफ्त में व्यक्तिगत रूप से ऐसी सलाह और समझाइश देना। जिससे व्यक्ति की समस्याओं, मानसिक उलझनों, विभ्रमों आदि का परिणामदायी व्यावहारिक समाधान हो जाता है। संक्षेप में इसी को काउंसलिंग कह सकते हैं। काउंसलिंग के जरिये पेशेंट की मानसिक उलझनों का निराकरण करके, उसको सेक्स सम्बन्धी विषयों की व्यावहारि​क तथा सैद्धांतिक जानकारी प्रदान की जाती है। पेशेंट की सभी जानकारियों को हर हाल में गोपनीय रखा जाने का विश्वास दिलाकर, पेशेंट से व्यक्तिगत रूप से या फोन पर एक से अधिक बार 30 मिनट से 1 घंटे तक चर्चा की जाती है। इसमें लगने वाले समय की कीमत अदा करना पेशेंट का अनिवार्य दायित्व होता है। काउंसलिंग की कीमत खुद काउंसलर द्वारा अपनी योग्यता, अनुभव, मांग और हैसियत के ली जाती है। जो काउंसलर का पारितोषिक होता है।

#तीसरा: शारीरिक और मानसिक लक्षणों के अनुसार होम्योपैथिक दवाइयों का चयन करके दुष्प्रभाव रहित जर्मन होम्यापैथिक दवाइयों का उचित मात्रा, शक्ति में निर्धारित समय तक सेवन करवाना। मगर इन दवाइयों का चयन करना बहुत कठिन एवं श्रमसाध्य कार्य होता है। जिसके लिये पेशेंट की पूरी फाइल बनानी होती है। जिसके तीन चरण होते हैं।

(1) #फाइल_बनाना: फाइल बनाने हेतु पेशेंट से फोन पर 50 से 80 मिनट तक बात करके 100 से अधिक सवाल पूछकर उसके जवाब फाइल में नोट किये जाते हैं।

(2) #दवाइयों_का_चयन: पेशेंट की फाइल में दर्ज मानसिक एवं शारीरिक लक्षणों के अनुसार दवाइयों के लक्षणों से मिलान करके सही, उपयुक्त होम्योपैथिक दवाई का चयन करना होता है, जो बहुत कठिन कार्य होता है। इसमें कितना समय लग जाये, इसे पहले से नहीं बताया जा सकता।

उदाहरण के लिये कुछ दवाइयों के लक्षण प्रस्तुत हैं:

1. #एग्नस_कैस्टस (Agnus Castus): लक्षण: मन स्थिर नहीं रहना। मृत्यु का भय। अत्यधिक उदासी। याददाश्त कमजोर। उत्साहहीनता। स्नायुओं में कमजोरी। पीला पेशाब। यौनांग ठंडे एवं ढीले। संभोग की इच्छा का अभाव। बिना संभोग वीर्यपात हो जाना। अगर किसी पुरुषों को अधिक हस्तमैथुन करने से उनके शरीर में कमजोरी आ गयी हैं तथा उक्त लक्षण हैं तो उनके लिए ये दवाई बहुत लाभकारी हैं।

2. #कॉस्टिकम (Causticum): लक्षण: अकेले रहने या सोने से डर लगना। किसी भी बात पर चीखने चिल्लाने लगना। किसी से ठीक से बात नहीं करना और उदास बैठे रहना। जोर से खांसने, छींकने, चिल्लाने या वजन उठाने से पेशाब की बूंद निकल जाना। पेशाब रुक-रुक कर और बूंद-बूंद आना। मिठाई या किसी भी मीठी चीज को देखते ही मन खराब हो जाना। बेहद कमजोरी। चिरस्थायी दु:ख, शोक, भय, प्रसन्नता, क्रोध, खिजलाहट आदि को लम्बे समय तक सहने के कारण गला, जीभ, चेहरा, आँख, मलाशय, मूत्राशय, जरायु तथा हाथ-पैर आदि में पक्षाघात (लकवा) जैसी शिथिलता या पक्षाघात हो जाना या पक्षाघात हो जाने के बाद मांसपेशियों में खिंचाव आदि लक्षणों के साथ पुरुषों को यौन कमजोरी हो या स्त्रियों को किसी प्रकार की गर्भाशय की कमजोरी सम्बन्धी समस्या हो तो कॉस्टिकम बहुत उपयोगी दवाई है।

3. #कैलेडियम (Caladium Seguinum): लक्षण: अत्यधिक हस्तमैथुन करने के कारण। अत्यन्त भुलक्कड़ हो जाना। जो काम कर चुका हो उसके बारे में फिर फिर सोचने लगता है कि उसने वह काम किया या नहीं; जैसे दरवाजा बन्द करने के बाद लौटकर फिर विचार करना कि दरवाजा बन्द किया या नहीं और फिर दुबारा जाकर दरवाजे की कुण्डी एवं ताले को हाथ लगाकर देखकर इत्मिनान करता रहता है। मन अत्यन्त विषयासक्त हो जाता है। स्त्री-प्रसंग की उत्कट इच्छा होती है, परन्तु मैथुन करने में असमर्थता होती है। स्त्री का आलिंगन करता है, परन्तु उत्तेजना नहीं आ पाती है। यौन-विचारों से ग्रस्त रात भर करवटें बदलता रहता है। अर्ध-निद्रित अवस्था में उत्तेजना होती है, परन्तु आँख खुलते ही इन्द्रिय शिथल हो जाती है। जितना ही वह किसी विषय पर मन केन्द्रित करना चाहता है, उतना ही मन उस पर केन्द्रित नहीं हो पाता। पेशेंट द्वारा धूम्रपान करने का लम्बा इतिहास भी रहा हो सकता है। ऐसे लक्षणों में लिंग की शिथिलता को कैलेडियम दूर कर देती है।

4. #फ्लोरिक_एसिड #Fluoric_Acid: लक्षण: अपने परिवार के लोगों तथा अपने दायित्वों के प्रति उदासीनता। बिना विचारे काम करने की भावना। लापरवाही का स्वभाव हो जाना। स्मरण शक्ति कमजोर। मन में प्रसन्नता और अभिमान का होना। साथ में पुरुष को इतनी अधिक यौन उत्तेजना होती है कि एक औरत से उसका जी नहीं भरता, वह बहुत सारी स्त्रियों या वैश्याओें के साथ यौन सम्बन्ध बना लेता है। वह बहुत सी स्त्रियों के साथ संभोग करने को लालायित रहता है। उसको हर स्त्री में वासना नजर आती है। यह अति कामुक औरतों के लिये भी उपयोगी है। इन लक्षणों में इस दवाई का सेवन करवाने से स्त्री—पुरुष दोनों का मानसिक संतुलन बना रहता है और कामुक विचार नियंत्रित हो जाते हैं।

(3) #विश्लेषण: उपरोक्तानुसार हजारों होम्योपैथिक दवाइयों में से होम्योपैथ उपचारक को परिश्रम करके पेशेंट के लक्षणों के अनुकूल दवाई का पता लगाना होता है। उपयुक्त दवाई का चयन करने के बाद पेशेंट के मानसिक और शारीरिक लक्षणों तथा केस हिस्ट्री, पूर्व उपचार, पेशेंट के स्वभाव, उसकी खानपीन, नशे की आदतों आदि को ध्यान मे रखते हुए सर्वाधिक उचित दवाई को निर्धारित मात्रा, उचित शक्ति में सिंगल या मिश्रण करके सेवन करवाने हेतु निर्धारण करना होता है। जिसमें अत्यधिक समय लगता है। मगर इसी से पेशेंट्स को आरोग्य की प्राप्ति होती है। अत: इसमें समय खर्च करना भी जरूरी होता है।

अंत में फिर से मनोज कुमार मीणा जी की पीड़ा या शिकातय को सामने रखते हैं कि हमारा उपचार या कोर्स बहुत महंगा है। उपरोक्त विवेचना के बाद मुझे नहीं लगता कि अब कुछ और बताने या लिखने की जरूरत है। यद्यपि इस बारे में बहुत कुछ लिखा जाना था जो लेख लम्बा होने के कारण नहीं लिखा गया है। उम्मीद है, मेरे उपचार को महंगा समझने वाले ग्रुप सदस्यों सहित सभी पेशेंट/पाठकों के लिये उपरोक्त जानकारी उपचार प्रक्रिया को समझने और उसके चार्जेज की महत्ता को समझने में सहायक होगी।

वास्तव में देखा जाये तो कम से कम मेरे द्वारा जितने समर्पण के साथ पेशेंट का उपचार किया जाता रहा है, उसके बदले में सेवा शुल्क के रूप में बहुत की कम, बल्कि सांकेतिक कीमत ही वसूल की जाती रही है। प्रत्येक पेशेंट पर औसत कम से कम मुझे 2-3 घंटा समय खर्चना पड़ता है। क्योंकि अकसर मेरे पास मानसिक उलझनों में उलझे हुए तथा अनेकों जगह से निराश हो चुके पेशेंट ही आते हैं। इसी वजह से मैं बहुत कम पेशेंट की सेवा कर पाता हूंं और मेरे यहां वर्तमान में 45 दिन से दो महीना तक की वेटिंग लिस्ट पेंडिंग रहती है। जिसे कम करने की भरसक कौशिश जारी है।

मेरे स्तर के काउंसलर की मार्केट वैल्यू का आकलन किया जाये तो मेरी सेवा के बदले प्रति पेशेंट कम से कम 40-50 हजार रुपये मिलने चाहिये। दवाइयों का खर्चा इसके अलावा अलग से लिया जाता है। मगर मेरी इस सेवा का महत्व समझकर इसकी कीमत अदा कर सकें, ऐसे पेशेंट अभी भारत में बहुत कम हैं। इस कारण मेरे द्वारा बहुत कम/सांकेतिक चार्जेज वसूले जा रहे हैं। इसके बावजूद मैं अपनी ओर से पेशेंट को सम्पूर्ण प्रदान करने की कोशिश करता हूं। इसी कारण मेरे द्वारा बहुत लिमीटेड पेशेंट का ही उपचार किया जा रहा है। पाठकों संभावित पेशेंट्स से मेरा सार्वजनिक रूप से आग्रह है कि मुझ से मोलभाव करके कम कीमत में या मुफ्त में उपचार करवाने की उम्मीद कतई नहीं करें। कारण आप जान ही चुके हैं कि मैं पहले से ही बहुत ही कम कीमत पर अपनी सेवाएं उपलब्ध करवा रहा हूं।

पठकों की जिज्ञासाओं और सवालों का सदैव स्वागत है। आपके सवाल हमें अच्छा करने की प्रेरणा प्रदान करते हैं।

जोहार यानी प्रकृति मां की जय हो।
आदिवासी ताऊ डॉ. पुरुषोत्तम लाल मीणा 8561955619: काउंसलर, मोटीवेटर, होम्योपैथ, आदिवासी जड़ी-बूटी उपचारक एवं संचालक: निरोगधाम (जड़ी-बूटी उत्पादन एवं वितरण फार्म), जयपुर, राजस्थान। 08.06.2021, संपादित: 11.09.2021

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