कब्ज का कब्जा: पाचन तंत्र का स्वस्थ-दुरुस्त रहना पहली अनिवार्य शर्त

 
कब्ज का कब्जा: पाचन तंत्र का स्वस्थ-दुरुस्त रहना पहली अनिवार्य शर्त
 
कल 26 अप्रेल, 19 को मेरे एक मित्र ने पूछा डॉक्टर साहब कब्ज Constipation का कोई परमानेंट इलाज Permanent Treatment है क्या? मैंने उन्हें प्रतिप्रश्न किया कि ”दांतों की रोज-रोज सफाई हेतु दातुन या पेस्ट नहीं करनी पड़े क्या ऐसा कोई परमानेंट उपाय है?” वो बोले “जी नहीं।” तो मेरा अनुभव यही है कि जैसे दांतों को गंदगी से मुक्त रखने के लिये, जिस तरह से हर रोज दांतों की ठीक से सफाई (ध्यान दें सिर्फ सफाई नहीं, बल्कि ठीक से सफाई) जरूरी है। ठीक इसी प्रकार केवल कब्ज से बचने के लिये ही नहीं, बल्कि स्वस्थ, चुस्त, दुरुस्त और दीर्घायु जीवन के लिये पाचन तंत्र Digestive System का स्वस्थ और दुरुस्त Healthy and Sound रहना पहली अनिवार्य शर्त है।
 
जब तक हम पाचन तंत्र को ठीक नहीं रखेंगे, कब्ज से मुक्ति नहीं मिल सकती। अत: आज पाचन तंत्र के बारे में भी कुछ चर्चा हो जाये। आम लोगों के शब्दों में पाचन तंत्र खराब होने के कितने और कैसे-कैसे रूप हो सकते हैं?
 
01. दोनों वक्त बिना किसी दवा के नियमित रूप से मलत्याग करने जाता हूं, लेकिन लगातार गैस बनती रहती है।
 
—यह अस्वस्थ पाचन तंत्र का ही प्रमाण है। जिसके अनेक कारण हो सकते हैं। जैसे

(1) भोजन पेट में सड़ रहा है, तब ही तो गैस बन रही है। या
(2) पित्ताशय Gallbladder में पित्त Bile सूखकर पथरी Calculus or Stones बन चुका है। या 
(3) पित्ताशय की पथरी का उपचार न करवाकर, सर्जन से पित्ताशय की थैली ही काटवाकर फिंकवा दिया है।
इत्यादि!
 
ऐसे हालात में गरिष्ठ भोजन High Food or Heavy Food को पचाने के लिये पर्याप्त पित्त नहीं मिल पा रहा है, तो भोजन तो पेट में सड़ेगा ही और भोजन पेट में सड़ेगा तो गैस भी बनेगी ही। स्वाभाविक रूप से आसपास बैठे लोगों को आपकी अपानवायु (पाद) की बदबू से घृणा तथा घुटन Hatred and Suffocation होने लगेगी। आप हीन भावना के शिकार होंगे। जिससे तनाव बढेगा, और तनाव भी जिगर यानी लीवर Liver को कमजोर करके पाचन तंत्र यानी डाइजेशन सिस्टम Digestion System को खराब करने का बड़ा कारण है।
 
02. सुबह थोड़ी-थोड़ी देर में 2-3 बार मलत्याग करने जाता हूं।
 
—यह भी बीमार पाचन तंत्र का ही लक्षण है। This is also a sign of sick digestive system. सामान्यत: एक स्वस्थ व्यक्ति अधिकतम सुबह और शाम दो बार मलत्याग करता है, लेकिन अस्वस्थ पाचन तंत्र के कारण पेचिश Dysentery के रोग से पीड़ित व्यक्ति मरोड़ के साथ बार-बार मलत्याग करने जाता है, तब जाकर पूरी तरह से उसका पेट खाली हो पाता है। अनेक बार तो बार-बार मलत्याग करने पर भी मलत्याग की इच्छा बनी ही रहती है। यही नहीं, मल के साथ आंव (चिकना तरल पदार्थ, जिसमें रक्त भी मिला हो सकता है और नहीं भी) भी जाता है।
 
03. मैं सुबह जागते ही मलत्याग करता हूं। मगर दिनभर खट्टी डकारें आती हैं। पेट में अफारा Flatulence आता रहता है। ऐसा लगता है, जैसे भोजन पेट में भरा पड़ा है और पचा ही नहीं।
 
—निश्चय ही पाचन तंत्र की कमजोरी के कारण भोजन पचने में विलम्ब होता है और इसी वजह से पेट में इतने सारे उपद्रव खड़े होते रहते हैं।
 
04. मेरी समस्या यह है कि मेरा पेट तो सुबह खाली हो जाता है। खाना भी ठीक से खाता हूं। मगर मलत्याग करने में 40 मिनट से एक घंटा तक लग जाता है।
 
—आमतौर पर ऐसे लोगों का पाचन तंत्र तो खराब होता ही है। जिसके कारण बिना पचे मल सूखकर कठोर हो जाता है। जो आसानी से बाहर नहीं निकल पाता। इसके अलावा गुदाद्वार के ज्ञान तंतुओं में किन्हीं कारणों से इतनी कमजोरी अर्थात शिथिलता आ जाती है कि ढीले तथा पतले मल को भी आसानी से गुदाद्वार बाहर धकेलने की स्थिति में नहीं होता है। कुछ अन्य कारण भी हो सकते हैं। जिसके कारण इस तरह की स्थिति उत्पन्न होती है। 
 
05. मलत्याग के दौरान दर्द होता है। लगता है जैसे गुदा में कुछ चुभ रहा है। कभी-कभी मल के साथ खून भी आता है।
 
—ऐसे लोगों का पाचन तंत्र लम्बे समय से खराब रहा होता है। जिसकी परवाह नहीं करने या उचित उपचार नहीं करवाने के कारण, उन्हें बवासीर या फिशर Piles or Fissure हो चुके होते हैं या इनकी शुरूआत हो रही होती है।
 
06. पाचन तंत्र खराब होने के ऐसे अनेकों और भी प्रकार तथा कारण हो सकते हैं।
 
कुल मिलाकर जानने और समझने वाली महत्वपूर्ण बात यह है कि यदि शरीर बदबू मार रहा है तो खुश्बू वाले सेंट या इत्र लगाने से शरीर में बदबू पैदा होना नहीं रोका जा सकता। इसी तरह से मुंह से आने वाली बदबू को माउथवाश से रोककर, बदबू के कारण को समाप्त नहीं किया जा सकता।
 
07. पाचन तंत्र की खराबी के दुष्परिणाम झेलना और सहना ही होगा।
 
यहाँ समझने वाली मूल बात यहाँ है कि जब तक पांचन तंत्र के खराब होने की मूल वजह अर्थात कारण को ठीक नहीं किया जायेगा। पाचन तंत्र की खराबी के दुष्परिणामस्वरूप होने वाली अस्वास्थ्यकर तकलीफों या बीमारियों या लक्षणों यानी कब्जी, गैस, अफारा/आफरा, पेचिश, अपच, अजीर्ण, धातुरोग अर्थात प्रमेह, बदहजमी, बवासीर, गुदाभ्रंश या योनिभ्रंश, सफेद पानी अर्थात श्वेतप्रदर, शीघ्रपतन, यौन कमजोरी, रक्तचाप, बार-बार उबाकी यानी मचलाहट होना, आंतों में अल्सर अर्थात छाले, बार-बार मुंह में छाले होना, शरीर के स्रावों, सांस, मुंह या गैस में बदबू आना इत्यादि को झेलना और सहना ही होगा।
 
08. उच्च शिक्षा प्राप्त लोग भी सर्जरी करवाकर जीवन को नर्कमय बना लेते हैं।
 
सर्वाधिक दु:खद और चिंताजनक बात तो यह है कि अधिकतर उच्च शिक्षा प्राप्त लोग भी बीमारी को नहीं, बल्कि बीमारी के बाहरी लक्षणों का उपचार करवाने में अपनी मेहनत से कमाया धन और अमूल्य समय बर्बाद कर देते हैं अथवा गुमराह या भ्रमित होकर बवासीर तथा गुदाभ्रंश/योनिभ्रंश आदि की सर्जरी करवाकर जीवन को नर्कमय बना लेते हैं।
 
09. मैं जैसे-तैसे केवल जीवन को घसीट रहा हूँ।
 
अनेक पेशेंट मुझे लिखते हैं कि ”डॉक्टर साहब दफ्तर में बैठकर नौकरी करना भी मुश्किल हो गया। लिव-52, त्रिफला, ईसबगोल, अनेक प्रकार के आसव और सीरप मेरी जिन्दगी के हिस्सा बन गये हैं। फिर भी मैं जैसे-तैसे केवल जीवन को घसीट रहा हूँ।” मेरी राय में यह सब मूल समस्या अर्थात बीमार पाचन तंत्र के इलाज के बजाय केवल लक्षणों को बीमारी मानकर, लक्षणों का उपचार करने का नतीजा है।
 
10. होम्योपैथी में रोग का नहीं, रोगी का उपचार करते हैं।
 
इसीलिये होम्योपैथी में हम सामान्यत: रोग का नहीं, बल्कि सम्पूर्ण रोगी का उपचार करते हैं। हां रोगी का सम्पूर्ण उपचार करने के लिये रोगी के सम्पूर्ण शारीरिक, मानसिक, स्वभावगत, आदतों आदि लक्षणों का जानना बहुत जरूरी होता है। यही कारण है कि होम्योपैथी में दो रोगियों को एक जैसी बीमारी होने पर भी, उनके के लक्षणों अनुसार भिन्न-भिन्न दवाइयां दी जा सकती हैं। मगर अनेक रोगी अपने लक्षण को बताने तक में संकोच करते हैं। वहीं डॉक्टर्स भी समयाभाव के चलते बिना लक्षण जाने अंदाजे से दवाई लिख देते हैं। ऐसे में अनेक रोगी ठीक नहीं हो पाते और इस कारण होम्योपैथी Homeopathy की प्रतिष्ठा को भारी क्षति पहुंच रही है।
 
11. पेशेंट चाहते हैं कि उनका तुरत-फुरत इलाज हो जाये। यह असंभव है।
 
इसके अलावा वर्षों तक तकलीफ भोगने के बाद भी अधिकतर पेशेंट चाहते हैं कि उनका तुरत-फुरत इलाज हो जाये। यह असंभव है। ऐसे पेशेंट्स को यह समझने की जरूरत है, कि जब उन्होंने जाने अनजाने अपनी बीमारी को वर्षों तक शरीर में निवास करने दिया है कि उसे इतनी आसानी से शरीर से निकालकर बाहर नहीं किया सकता। तुरत-फुरत और गारण्टेड इलाज की चाहत रखने वाले पेशेंट्स के केस तो मैं लेता ही नहीं हूं। क्योंकि व्यावहारिक और कानूनी पहलुओं को देखें तो कोई भी डॉक्टर किसी भी बीमारी को ठीक करने की गारण्टी नहीं दे सकता है। जो गारण्टी देकर लोगों को गुमराह करते हैं, वे कानून के अपराधी हैं। फिर भी केस हिस्ट्री देखने के बाद कुछ ऐसे रोगियों की सेवा करने की पूरी कोशिश करता हूं, जिन्हें वाकई मेरी सेवाओं की जरूरत प्रतीत होती है।
 
12. जड़ी-बूटियों का ज्ञान विरासत में मिला है।
 
सौभाग्य से मुझे होम्यापैथी का ककहरा नहीं जानने से बहुत पहले से देशी जड़ी-बूटियों का ज्ञान पूर्वजों से विरासत में (13 वर्ष की आयु से ही) मिला है और वर्तमान में हम हमारे जयपुर स्थित निरोगधाम पर अनेकानेक जड़ी-बूटियां को ऑर्गेनिक Organic रीति से उगा रहे हैं। जो तुलनात्मक रूप से अधिक प्रभावी सिद्ध हो रही हैं। इसके अलावा मैं होम्योपैथी का उपचार भी साथ में देता हूं। अत: तुलनात्मक रूप से अच्छे परिणाम मिल रहे हैं। लेकिन सामाजिक दायित्व निर्वाह में अधिक समय व्यततीत होने के कारण केवल ऑनलाइन सेवाएं ही दे पाता हूं। फिर भी पेशेंट की संख्या अधिक होने के कारण वेटिंग लिस्ट काफी लम्बी रहती है।
 
13. ऑपरेशन करवाकर, अपने जीवन को जीते जी नर्क नहीं बनायें, निराश नहीं हों और धैर्यपूर्वक निरंतर दवाइयों का सेवन जारी रखें।

 
अंत में यही कहना चाहूंगा कि जिस किसी को पाचन सम्बन्धी उपरोक्त में से कोई भी तकलीफ हो तो कैमिस्ट से गोली या सीरप लेकर या किसी के बहकावे में आकर ऑपरेशन करवाकर, अपने जीवन को जीते जी नर्क नहीं बनायें, बल्कि अपने पास के किसी अनुभवी होम्यापैथ और, या आयुर्वेद के डॉक्टर से सम्पर्क करें, लेकिन याद रहे कि पुरानी एवं जटिल बीमारियों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाने या ऐलोपैथिक दवाइयों के दुष्प्रभाव सहित अनेक कारणों से अनेक बार कुछ पेशेंट्स का शरीर दवाइयों पर प्रतिक्रिया प्रकट करने में कई महीने का समय ले सकता है। अत: निराश नहीं हों और धैर्यपूर्वक निरंतर दवाइयों का सेवन जारी रखें।
 
स्वस्थ-दुरुस्त रहने का सूत्र: केवल धन और भोग ही सब कुछ नहीं है, प्रकृति तथा स्वास्थ्य के प्रति भी सजग और सावधान रहें।

14. सार्वजनिक संदेश:

उपरोक्त समस्त विवरण को पढने या जानने-समझने के बाद जो पेशेंट मुझ से उपचार लेने को उत्साहित हों, उन्हें इस लेख के जरिये सार्वजनिक रूप से स्पष्ट संदेश दिया जा रहा है कि-

मेरा न तो कोई अस्पताल या क्लीनिक है और न ही मेरा कोई सहायक है।
दूसरी ओर पेशेंट्स की संख्या लगातार बढती ही जा रही है।
इस कारण मेरे यहां पेशेंट्स की 1 से डेढ महीना की वेटिंग लिस्ट हमेशा पेंडिग रहती है।

15. हेल्थकेयर वाट्सएप नं.: 8561955619 पर स्वागत:

जो पेशेंट मेरी कड़वी, किंतु वास्तविक बातों को समझने और स्वीकार करने के साथ-साथ धैर्यपूर्वक इंतजार करने और मुझ से उपरोक्तानुसार उपचार करवाने के लिये सहमत हो जाते हैं। उनका मेरे हेल्थकेयर वाट्सएप नं.: 8561955619 (Call Between 10 to 18 hrs. only) पर स्वागत है। ऐसे पेशेंट्स को स्वस्थ करने की मैं सम्पूर्ण कोशिश करता हूं। यद्यपि परिणाम तो प्रकृति (जिसे अधिकतर लोग ईश्वर मानते हैं) पर ही निर्भर करते हैं। उपचार लेने की शुरूआत करने से पहले जानें:-

1. मैं पेशेंट को उपचार प्रक्रिया की सारी बातें मेरे हेल्थकेयर वाट्सएप 8561955619 पर लिखित में क्लीयर कर देता हूं।
2. सारी बातों को जानने, समझने और सहमत होने के बाद, पेशेंट को दो महीना के अनुमानित चार्जेज बैंक खाते में अग्रिम/एडवांश जमा करवाने होते हैं।
3. इसके बाद पेशेंट के लक्षणों और बीमारी के बार में पेशेंट से कम से कम 30-40 मिनट मो. पर विस्तार से जानकारी प्राप्त करता हूं।
4. पेशेंट के लक्षणों और उसकी सभी तकलीफों के विवरण के आधार पर प्रत्येक पेशेंट का विश्लेषण करके, पेशेंट के लिये वांछित ऑर्गेनिक देसी-जड़ी बूटियों तथा होम्योपैथिक व बायोकेमिक दवाइयों सूची करके उनका अंतिम मूल्य निर्धारण किया है।
5. अंतिम मूल्य निर्धारण के बाद यदि कोई बकाया राशि पेशेंट से लेनी हो तो उसके बारे में पेशेंट को वाट्एसप पर सूचित किया जाता है। शेष राशि जमा करने के बाद, पेशेंट को उसके बताये पत्राचार के पते पर भारतीय डाक सेवा से रजिस्टर्ड पार्सल के जरिये दवाइयां भिजवादी जाती हैं।
6. पेशेंट को हर 7 दिन में अपनी हेल्थ रिपोर्ट मेरे हेल्थकेयर वाट्सएप पर भेजनी होती है।
7. 40 दिन की दवाइयों का सेवन करने के बाद पेशेंट को हमसे बात करनी होती है और आगे दवाइयां जारी रख्ना जरूरी होने पर 20 दिन एडवांश आगे की दवाई का मूल्य जमा करना होता है। जिससे दवाई सेवन में बीच में गैप/अंतरल नहीं होने पाये।

मैं जनहित में सभी को बहुत आसान और सरल सी बात समझाना चाहता हूं कि-

(1) अन्य किसी भी प्रकार के आलतू-फालतू के शौक पालने से पहले अपने स्वास्थ्य की रक्षा के महत्व को समझना सीखें।
(2) पेशेंट्स को समझना होगा कि महंगे वाहन, आकर्षक कपड़े, आलीशान मकान, साज श्रृंगार, शारीरिक सौंदर्य और करोड़ों का बैंक बैलेंस भी कोई मायने नहीं रखते, यदि उन्होंने अपना स्वास्थ्य खो दिया। विशेषकर यदि पाचन शक्ति कमजोर हो चुकी है, तो जीवन निरर्थक है।
(3) इसलिये यदि आपको पूर्ण आयु तक सम्पूर्णता से स्वस्थ तथा जिंदादिल जिंदगी जीनी है तो खाली पेट चाय, कॉफी, धूम्रपान, गुटखा, शराब आदि सभी प्रकार के नशे की लतों को तुरंत त्याग देना चाहिये और इनके बजाय उत्साहवर्धक साहित्य खरीद कर पढने, पौष्टिक खाद्य व पेय पदार्थों और आरोग्यकारी, पुष्टिकारक तथा बलवर्धक औषधियों का सेवन करने पर अपनी कमाई का कुछ हिस्सा उदारतापूर्वक खर्च करते रहना चाहिए।
(4) इससे आपको अपने जीवन में ग्लानि, दुर्बलता, स्मरण शक्ति का लोप आदि की शिकायतें कभी नहीं होती हैं।
(5) कौन मूर्ख व्यक्ति ऐसा होगा, जो स्वस्थ एवं तंदुरुस्त नहीं रहना चाहेगा?

आदिवासी ताऊ डॉ. पुरुषोत्तम लाल मीणा, संचालक निरोगधाम, जयपुर। पराम्परागत उपचारक एवं काउंसलर, हेल्थकेयर वाट्सएप: 8561955619 बात केवल 10 से 18 बजे के मध्य। लेखन दिनांक: 27.04.2019, संपादन दिनांक:  24.01.2020

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