लॉ ब्लड प्रेशर-निम्न रक्तचाप-Low Blood Pressure

 
लॉ ब्लड प्रेशर-निम्न रक्तचाप-Low Blood Pressure
 
निम्न रक्तचाप या लॉ ब्लड प्रेशर (90-60) को डॉक्टरी भाषा में हाइपोटेंशन (Hypotension) कहते हैं। दुनिया की बहुत बड़ी आबादी इससे प्रभावित है, लेकिन अक्सर लोगों को यह पता ही नहीं होता कि वे निम्न रक्तचाप से पीड़ित हैं। वैसे निम्न रक्तचाप अपने आप में कोई बीमारी नहीं है, लेकिन यह शरीर में पल रही किसी गंभीर बीमारी जैसे हृदय रोग, तंत्रिका तंत्र की गड़बड़ी का लक्षण या संकेत हो सकता है।
 
आगे बढने से पहले कुछ महत्वूपर्ण तकनीकी जानकारी:
 
हमारे हृदय (दिल) से सारे शरीर को साफ खून की सप्लाई लगातार होती रहती है। अलग-अलग अंगों को होने वाली यह सप्लाई आर्टरीज-Arteries-धमनियों के जरिये होती है। ब्लड को प्रेशर से सारे शरीर तक पहुंचाने के लिए हृदय लगातार सिकुड़ता और वापस नॉर्मल होता रहता है। एक मिनट में आमतौर पर 60 से 70 बार जब हृदय सिकुड़ता है तो खून अधिकतम दबाव के साथ आर्टरीज में जाता है। इसे सिस्टोलिक प्रेशर (Systolic Pressure) कहते हैं। ब्लड प्रेशर दिन भर एक-सा नहीं रहता। जब हम सोकर उठते हैं तो ज्यादातर यह कम होता है। जब हम शारीरिक परिश्रम करते है। जैसे तेज चलना, दौड़ना या टेंशन हो, तो यह बढ़ जाता है। सामान्य रक्तचाप 120/80 होना चाहिये। थोड़ा-बहुत ऊपर-नीचे होने से खास फर्क नहीं पड़ता, लेकिन अगर ऊपर का 90 से कम हो जाये तो उसे लॉ बीपी Low BP अर्थात निम्न रक्तचाप या हाइपोटेंशन कहते हैं। लॉ बीपी या हाइपोटेंशन को आमतौर पर लोग गंभीरता से नहीं लेते हैं और इसे लेकर तमाम गलतफहमियां भी हैं। सही तरीके से इलाज न होने पर लॉ बीपी कई समस्याओं की वजह बन सकता है। इसलिए इसे अनदेखा न करें तथा कोई भी लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से मिलें।
 
भारत के संदर्भ में देखें तो 40-50 वर्ष की आयु को पार करते-करते अधिकांश स्त्री-पुरुष रक्तचाप की तकलीफ से पीड़ित होते हुए दिखाई देने लगते हैं। कुछ स्त्री-पुरुषों को उच्च रक्तचाप (High Blood Pressure) से तो कुछ को निम्न रक्तचाप से पीड़ित हो जाते हैं। आधुनिक चिकित्सा विशेषज्ञों के मतानुसार, उच्च रक्तचाप की तुलना में निम्न रक्तचाप (Low Blood Pressure) से पीड़ित पेशेंट/रोगी को बहुत अधिक हानि होने की संभावना बनी रहती है। सर्वाधिक चिंताजनक स्थिति तो यह है कि आधुनिक चिकित्सा विज्ञान अर्थात ऐलोपैथी में अभी तक ऐसी कोई पेटेंट दवा उपलब्ध नहीं है। जिसका सेवन करके निम्न रक्तचाप को नियंत्रित किया जा सके।
 
निम्न रक्तचाप (हाइपरटेंशन) वह दाब है, जिससे धमनियों और नसों में रक्त का प्रवाह कम होने के लक्षण या संकेत दिखाई देते हैं। जब रक्त का प्रवाह कफी कम होता हो तो मस्तिष्क, हृदय तथा गुर्दे जैसे महत्वपूर्ण आंतरिक अंगों में ऑक्सीजन और पौष्टिक पदार्थ नहीं पहुंच पाते हैं। जिससे ये इंद्रियां सामान्य रूप से काम नहीं कर पाती हैं और इससे ये इंद्रियां स्थायी रूप से क्षतिग्रस्त हो सकती हैं। उच्च रक्तचाप के विपरीत, निम्न रक्तचाप की पहचान मूलतः लक्षण और संकेत से होती है, न कि केवल विशिष्ट रक्त दाब नंबर से। यही कारण है कि किसी-किसी पेशेंट का रक्तचाप 90/50 होता है, लेकिन फिर भी उसमें निम्न रक्त चाप के लक्षण दिखाई नहीं पड़ते हैं। जबकि कुछ पेशेंट रक्तचाप 100/60 तक गिर जाता है तो भी उनमें निम्न रक्तचाप के लक्षण दिखाई देने लगते हैं। निम्न रक्तचाप के कारण जीवन को खतरा हो सकता है। निम्न रक्तचाप की स्थिति में गुर्दे, हृदय, फेफड़े तथा मस्तिष्क तेजी से खराब होने लगते हैं। पक्षाघात या ब्रेन हेमरेज (Brain Hemorrhage) हो सकता है। अत: लापरवाई उचित नहीं। अत: निम्न रक्तचाप से पीड़ित व्यक्ति की विशेष देखरेख जरूरी है।
 
निम्न रक्तचाप के कारण:
Reasons for Low Blood Pressure:
 
  • 1. किसी भी ज्ञात या अज्ञात कारण से उत्पन्न शारीरिक निर्बलता।
  • 2. गर्भावस्था में हार्मोन असंतुलन होने से थायरॉइड की सक्रियता कम हो जाना।
  • 3. कुछ अत्यावश्यक विटामिंस जैसे बी-12 और आयरन की कमी रक्ताल्पता-एनीमिया (Anemia) का कारण बन सकती है, जो निम्न रक्तचाप में बदल सकता है। ।
  • 4. लीवर सम्बन्धी की बीमारियां होना।
  • 5. भोजन में पौष्टिक तत्वों की कमी (Lack of Nutrition Substances in Food)।
  • 6. शारीरिक निर्बलता (Physical Disability)।
  • 7. गृह कलह।
  • 8. अन्दर ही अन्दर घुटते रहना।
  • 9. अधिक मानसिक तनाव या मानसिक दबाव।
  • 10. लम्बे समय तक क्षय रोग, मधुमेह, आंत्रिक ज्वर, अतिसार, आंत्रों में कृमि होने के कारण।
  • 11. स्त्रियों द्वारा नियमित रूप से और सही समय पर पर्याप्त और पौष्टिक भोजन नहीं लेना।
  • 12. गर्भावस्था में या प्रसव के बाद पौष्टिक आहार नहीं लेना।

इत्यादि।

निम्न रक्तचाप के लक्षण:
Symptoms of Low Blood Pressure:
 
  • 1. छाती में दर्द।
  • 2. सांस फूलना।
  • 3. अनियमित धड़कनें।
  • 4. कुछ समय के लिए धुंधला दिखना या कुछ भी दिखाई नहीं देना।
  • 5. भूख नहीं लगना।
  • 6. भोजन के प्रति अरुचि।
  • 7. बैठे या लेटी अवस्था से उठकर खड़े होने पर या खड़े होने की कोशिश करने पर आंखों के आगे अंधेरा सा छा जाता है और, या सिर घूमना, सिर चकराना और चक्कर आना।
  • 8. पेशेंट हमेशा पड़े रहना चाहता है और उसकी कोई भी काम करने की इच्छा नहीं होती।
  • 9. शारीरिक और मानसिक कमजोरी अनुभव होना (Feeling Physical and Mental Weakness):
  • 10. पेशेंट चलने-फिरने में बहुत कठिनाई अनुभव करता है। यहां तक कि रोगी को सीढ़ियां चढ़ने में बहुत परेशानी होती है।
  • 11. हृदय जोर-जोर से धड़कता है और सारा शरीर पसीने से भीग जाता है।
  • 12. पेशेंट की भूख इस हद तक नष्ट हो जाती है कि स्वादिष्ट पकवानों की खुश्बू भी उसे खाने के लिये प्रेरित नहीं कर पाती।
  • 13. पुरुषों में यौन उत्तेजना की कमी और अंतत: नपुंसकता आ जाती है।
  • 13. स्त्रियों में काम-इच्छा कम या समाप्त हो जाती है।
  • 14. स्त्री-पुरुष का यौन आनंद समाप्त हो जाता है।
  • 15. जरा-सा भी शारीरिक श्रम करने पर हृदय जोरों से धड़कना।
  • 16. पेशेंट को कभी-कभी या यदाकदा भयंकर सिरदर्द हो सकता है।
  • 17. अधिक प्यास लगना।
इत्यादि।
 
निम्न रक्तचाप के दुष्परिणाम:
Side Effects of Low Blood Pressure:
 
यदि किसी पेशेंट को निम्न रक्तचाप की समस्या है और उसका समय पर सही इलाज नहीं करवाया जाता है, तो निम्न दुष्परिणाम हो सकते हैं:-
 
  • 1. कुछ दिनों से चक्कर, थकान, उबकाई जैसे लक्षण नज़र आ रहे हैं, तो यह पेशेंट के लिये काफी गंभीर और खतरनाक हो सकता है। इसके कारण हार्ट प्रॉब्लम्स और किडनी फेलियर का शिकार भी हो सकता है।
  • 2. निम्न रक्तचाप नर्वस सिस्टम एवं ब्रेन को भी डैमेज कर सकता है।
  • 3. निम्न रक्तचाप का पेशेंट स्ट्रोक (Stroke), डेमेन्शिया (Dementia-मनोभ्रम), ब्रेन डिसऑर्डर  (Brain Disorder), किडनी डिसीज़ (Kidney Disease) आदि से पीड़ित हो सकता है।
  • 4. निम्न रक्तचाप पेशेंट को चक्कर आकर गिरने से गंभीर चोट आने की संभावना बनी रहती।
  • 5. प्रेग्नेंसी के दौरान यदि निम्न रक्तचाप का ध्यान न रखा जाये, तो स्टिल बर्थ (Still Birth) (कोख में बच्चे की मृत्यु) जैसे कॉम्प्लीकेशन्स-(Complications)-(जटिलताएं) हो सकती हैं।
  • 6. निम्न रक्तचाप के कारण पेशेंट शॉक (सदमा) पहुंच सकता है, जिससे शरीर के कई महत्वपूर्ण ऑर्गन्स बुरी तरह क्षतिग्रसत हो सकते हैं। यह स्थिति प्राणघातक हो सकती है।
  • 7. अंदरूनी रक्तस्राव के कारण ब्लड इंफेक्शन की आशंका बढ़ जाती है।

इत्यादि।

निम्न रक्तचाप के रोगी को क्या नहीं करना चाहिए?
What should not be done by Low Blood Pressure Patient?
 
  • 1. जहां तक संभव हो निम्न रक्तचाप से पीड़ित रोगी को अधिक परिश्रम वाला कार्य नहीं करना चाहिये।
  • 2. सीढियों पर अधिक नहीं चढना चाहिये।
  • 3. धूप में अधिक चलने-फिरने से भी बचना चाहिए।
इत्यादि।
 
निम्न रक्तचाप के पेशेंट को क्या नहीं खाना चाहिए?
What should not be eaten by Low Blood Pressure Patient?
 
  • 1. घी, तेल से बने अधिक गरिष्ठ पकवानों या दैनिक भोजन का सेवन नहीं करें।
  • 2. अधिक मिर्च-मसालों और खट्टे खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करें।
  • 3. एक साथ अधिक मात्रा में भोजन नहीं करना चाहिए।
इत्यादि।
 
निम्न रक्तचाप के पेशेंट को क्या खाना चाहिए?
What should be eaten by Low Blood Pressure Patient?
 
  • 1. थोड़ी-थोड़ी मात्रा में दिन में कई बार भोजन करना चाहिए।
  • 2. पर्याप्त मात्रा में पानी पीते रहें।
  • 3. रक्ताल्पता से पीड़ित पेशेंट को प्रतिदिन दूध में उबाल कर खजूर खाने चाहिये।
  • 4. फल-सब्जियों और पौष्टिक खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए।
  • 5. भोजन के साथ गाजर, मूली, खीरा, ककड़ी का सलाद अवश्य खाएं।
  • 6. हरी सब्जियों का सूप बनाकर प्रतिदिन सेवन करें।
  • 7. पाचन क्रिया ठीक हो तो रात को पानी में भिगाई हुई बादाम की तीन-चार गिरियों को सुबह पीसकर दूध में मिलाकर पियें। या बादाम का पेस्ट बना लें और उसे हल्के गर्म दूध के साथ पिएं।
  • 8. अंकुरित अनाज व दालों का खूब सेवन करें।
  • 9. शुद्ध ऑर्गेनिक आंवले के 25 ग्राम रस में 10 ग्राम शहद मिलाकर सेवन करें।
  • 10. शुद्ध ऑर्गेनिक गाजर के 200 ग्राम रस में पालक का 50 ग्राम रस मिलाकर पियें।
  • 11. शुद्ध ऑर्गेनिक पालक और बथुआ को दैनिक भोजन में शामिल करें। नोट: रक्तवर्णी बथुआ विशेष उपयोगी होता है। यदि ताजा बथुआ और पालक का नहीं मिले तो पालक का ताजा एवं शुद्ध ऑर्गेनिक पाउडर भी उपयोग में लाया जा सकता है।
  • 12. शुद्ध ऑर्गेनिक अनार, संतरे, अंगूर, सेब, गाजर, चुकंदर, अनन्नास आदि फल खाएं या इनका रस पिएं।
  • 13. आंवले, सेब व गाजर का मुरब्बा सेवन करें।
  • 14. अदरक और नमक मिलाकर खाएं।
  • 15. प्रतिदिन कम से कम 2 बार कच्चे चुकंदर का 1 कप जूस पिएं। यह सबसे अच्छा घरेलू नुस्खा है।
  • 16. अचानक रक्तचाप कम हो जाने पर पेशेंट को 1 कप स्ट्रॉन्ग ब्लैक कॉफी पिलायें।
  • 17. शकरकंद का एक कप जूस दिन में दो बार पियें। यह निम्न रक्तचाप का सबसे अच्छा घरेलू उपचार है।
  • 18. मिट्टी के बर्तन में 32 किशमिश भिगोएं। बर्तन में 150 मिलीलीटर पानी भर दें। सुबह खाली पेट एक-एक कर किशमिश को चबाएं, उसके बाद पानी पी लें।
  • 19. तुलसी की 10-15 पत्तियों का रस निकाल लें और उसे एक चम्मच शहद के साथ खाली पेट चाट लें।
इत्यादि।
 
निम्न रक्तचाप के पेशेंट के लिये सावधानियां:
Precautions for Low Blood Pressure Patients:
 
  • 1. प्रतिदिन कम से कम आठ गिलास पानी और, या तरल पदार्थ अवश्य पिएं।
  • 2. लेटे हों तो एकदम से सीधे उठकर खड़े न हों, बल्कि पहले बैठें, कुछ सेकेंड रुकें, फिर उठकर खड़े हों।
  • 3. खाने में थोड़ी सी नमक की मात्र बढ़ा दें।
  • 4. खाने के बाद एक कप चाय या कॉफी पी सकते हैं।
  • 5. शराब का सेवन पूरी तरह बंद कर दें।
  • 6. यदि भोजन के तत्काल बाद रक्तचाप कम अर्थात निम्न हो जाता हो तो एक साथ अधिक मात्रा में खाना नहीं खायें। बल्कि थोड़ी-थोड़ी मात्र में खायें। खाने के बाद थोड़ा आराम करें और भोजन में काबरेहाइड्रेट्स की मात्र कम कर दें।
 
अनुभवसिद्ध औषधियां:
Experienced Remedies:
 
उपरोक्त लेख 8 जून, 2013 को पहली बार प्रकाशित किया गया। जिस पर पेशेंट्स की अनेक प्रकार की प्रतिक्रियाएं प्राप्त हुई। अधिकांश की चाहत थी कि उच्च रक्तचाप की भांति कोई ऐसी आयुर्वेदिक औषधि उपलब्ध करवाई जाये, जिसे नियमित रूप से सेवन किया जा सके। यहां यह उल्लेखनीय है कि आधुनिक चिकित्सा विज्ञान अर्थात ऐलोपैथी में अभी तक ऐसी कोई दवा उपलब्ध नहीं है। जिसका सेवन करके निम्न रक्तचाप को नियंत्रित किया जा सके। निम्न रक्तचाप को नियंत्रित करने के लिये नियमित रूप से उपरोक्त बताये अनुसार भोजन का सेवन व्यावहारिक दृष्टि से आसान नहीं है। अत: मेरी ओर से निम्न रक्तचाप से पीड़ित पेशेंट्स को उनके मानसिक, शारीरिक एवं स्वभावगत लक्षणों के अनुसार कोनियम, डिजीटेलिस, कैलमिया, जेल्सीमियम, कल्केरिया फॉस, रेडियम, कैक्टस, ऐवाइना सैटाइवा, क्रेटेगस आदि में से जो भी उचित हो उन होम्यापैथिक दवाइयों का सेवन करवाया जाता है। साथ ही पेशेंट्स को शुद्ध, ताजा एवं ऑर्गेनिक देशी जड़ी-बूटियों से निर्मित निम्न दवाइयों से जो जरूरी हो सेवन करवाई जाती हैं। जनवरी, 2015 से इनका कई सौ पेशेंट्स को सेवन करवाये जाने पर उत्साहवर्धक परिणाम हैं।
  • 1. TRP-4 Rejuvenation Powder-कायाकल्प पाउडर (भोजन के बाद)।
  • 2. TRP-21  Lost Power Gainer Powder-लॉस्ट पावर गैनर पाउडर।
  • 3. TRP-23 Stamina and Strength Gainer Powder-स्टैमिना एवं बलवर्धक पाउडर।
  • 4. TRP-32 Immunity Powder-प्रतिरक्षा पाउडर:
  • 5. TRP-35 Low Blood Pressure Balancing Powder-निम्न रक्तचाप संतुलन पाउडर।
 
कई सौ पेशेंट्स के उपचार से प्रमाणित हुआ है कि उपरोक्त दवाइयों का जरूरत के अनुसार 6 माह से एक साल तक नियमित रूप से सेवन करने के बाद पेशेंटस का जीवन लगभग पूरी तरह से सुरक्षित हो जाता है। लेकिन शराब और तम्बाकू उत्पादों का सेवन करने वालों को उक्त दवाइयां असर नहीं करती हैं। अत: सबसे पहले पेशेंट्स की नशे की आदत छुड़वानी होती है। जिन पेशेंट्स का पाचन तंत्र कमजोर होता है, उनको देशी जड़ी-बूटियों से निर्मित दवाइयां तब तक स्वस्थ नहीं कर सकती, जब तक कि उनका पाचन सही नहीं हो जाता है। जिन स्त्रियों को श्वेत प्रदर या यौन शीतलता अर्थात ठंडेपन की शिकायत होती है। साथ-साथ उसका भी उपचार जरूरी होता है। इसी प्रकार से जिन पुरुषों में निम्न रक्तचाप के कारण यौन कमजोरी या शीघ्रपतन की समस्या उत्पन्न हो चुकी होती है, साथ-साथ इन तकलीफों का भी उपचार जरूरी होता है। इस तरह से कुछ महिनों में पेशेंट्स को इन सभी तकलीफों से निजात दिलाने के बाद या साथ-साथ नियमित रूप से निम्न रक्तचाप की दवाइयों का लगातार सेवन करवाया जाता है। जिससे उनका रक्तचाप संतुलित हो जाता है और उनके जीवन को भी कोई खतरा नहीं रहता है। एक साल बाद नियमित रूप से ली जाने वाली दवाइयों की कीमत रक्तचाप से हो सकने वाली तकलीफों भी तुलना में बहुत कम होती हैं।
 
लेखन एवं प्रथम प्रकाशन दिनांक: Saturday, June 08, 2013
संपादन दिनांक: बुधवार, 15 मई, 2019. 20.03.2020

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *