अनेकों बीमारियों की जन्मदात्री अपर्याप्त नींद की समस्या का निदान संभव है, बशर्ते…!

 
 
अनेकों बीमारियों की जन्मदात्री अपर्याप्त नींद की समस्या का निदान संभव है, बशर्ते…!-आदिवासी ताऊ डॉ. पुरुषोत्तम लाल मीणा
 
 
अनिद्रा की समस्याएं झेल रहे लोगों के हित में फेसबुक पर Health Care by Adiwasi Tau नाम से संचालित अपने पब्लिक ग्रुप पर मैंने निम्न पंक्तियां लिखी थी-
 
”जिन्हें रात को भरपूर नींद नहीं आती, पहला सूत्र-दिन में सोना बन्द करें और जागने का समय फिक्स करें। कुछ ही दिनों में नींद को हर हाल में आना होगा। लगातार जारी…आदिवासी ताऊ-8561955619”

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प्रतिक्रिया में एक मित्र Pooran Meena Rajasthani जी ने मेरे समक्ष एक सटीक सवाल दाग दिया कि-
 
”Sir ji Running staff kya kare?”
 
(नोट: मित्र Pooran Meena Rajasthani जी संभवत: रेलवे में पायलेट या गार्ड के पद पर पदस्थ हैं और यदि मैं गलत नहीं हूं तो रेलवे में रेल-क्रू को आम बोलचाल में Running Staff यानी दिनरात दौड़ने वाले कर्मी कहा जाता है।)
 
जब मित्र Pooran Meena Rajasthani जी ने सवाल दाग ही दिया है तो इस विषय पर पूर्ण विवेचना के जवाब तो देना मेरा कर्तव्य बनता है।
 
मित्र मैं खुद 20 साल, 9 महिना तथा 5 दिन तक रेल परिवार का हिस्सा रहा हूं। साथ ही मानव व्यवहारशास्त्र पर लम्बे समय से काम करता रहा हूं। लम्बे समय से दाम्पत्य विवादों तथा यौन उलझनों पर काउंसलिंग करता रहा हूं। अत: सामान्य लोगों की तुलना में इस विषय की अधिक जानकारी रखता हूं कि Running Staff एवं रात्रिकालीन ड्यूटी करने वाले रेल सेवकों को किस-किस प्रकार की शारीरिक, मानसिक, सामाजिक एवं पारिवारिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। लेकिन सबसे पहले इस बात को सहजता से समझना और स्वीकारना होगा कि प्रकृति के विरुद्ध जीवन जीने वालों को इसकी कीमत हर हाल में चुकानी ही होती है।
 
यही वजह है कि रेलवे, अपने रेल-क्रू को 30 फीसदी अतिरिक्त वेतन का भुगतान करता है। रात्रिकालीन ड्यूटी करने वालों को भी अतिरिक्त भुगतान करता है। यद्यपि मुझे ज्ञात है कि इसके बाद भी इस राशि से नींद की या नींद से होने वाली क्षति की प्रतिपूर्ति नहीं हो सकती है। पर्याप्त नींद नहीं ले पाने वाले लोगों को इसके दुष्प्रभाव झेलने ही पड़ते हैं।
 
काश रेलवे अपने ऐसे रेल सेवकों के वेतन पर भुगतान की जाने वाली राशि का मात्र 00.5 फीसदी हिस्सा भी, इस बात पर खर्च कर पाता कि रात्रि में ड्यूटी करने वाला स्टाफ पर्याप्त तथा गहरी नींद कैसे ले और अपने स्वास्थ्य, मनोबल तथा व्यवहार को सामान्य कैसे बनाये रखे, तो रात्रिकालीन ड्यूटी करने वालों को किसी प्रकार की परेशानी नहीं झेलनी पड़ती?
 
मगर दु:खद और चिंताजनक पहलु है कि रेलवे बोर्ड में नीति नियंता पदों पर आसीन उच्चाधिकारियों या रेल मंत्री सहित, आजादी के बाद से किसी भी सरकार को इस बात की परवाह नहीं रही है, कि-
 
रेल संचालन या रात्रिकालीन कार्य को निष्पादित करने वाले रेल सेवकों को दैनिक जीवन में किस प्रकार की व्यवहारिक, मानसिक, पारिवारिक और स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं झेलनी पड़ती हैं? यदि उन्हें इसकी समझ या ज्ञान रहा होता तो बात सिर्फ 30 फीसदी अतिरिक्त वेतन भुगतान करने पर ही समाप्त नहीं की गयी होती?

अपर्याप्त नींद के दुष्प्रभाव:
आगे बढने से पहले मैं, मेरा नैतिक दायित्व समझता हूं कि अपर्याप्त नींद के दुष्प्रभावों के बारे में भी जानकारी प्रदान करूं। इसलिये यह लिखना जरूरी समझता हूं कि अनेक वैज्ञानिक, मनोवैज्ञानिक तथा मानव व्यवहारशास्त्रीय अध्ययनों तथा शोधों से प्रमाणित हुआ है कि जिन लोगों को किसी भी कारण से नियमित रूप से 6 से 8 घंटे की गहरी नींद नहीं आती/मिल पाती है, उन्हें सामान्य लोगों की तुलना में अनेक प्रकार की शारीरिक और मानसिक बीमारियों के होने का खतरा कई गुना अधिक बढ जाता है:-
 
1. ऑस्ट‍ियोपोरोसिस (Osteoporosis-A medical condition in which the bones become brittle and fragile from loss of tissues):
गहरी और पर्याप्त नींद नहीं आने/मिलने के कारण ऐसे लोगों की हड्डियां कमजोर होना शुरू हो जाती हैं। हड्डियों में विद्यमान मिनरल्स का संतुलन भी बिगड़ जाता है। इसके चलते जोड़ों के दर्द की समस्या पैदा हो जाती है। इसी कारण ऐसे लोगों को वृद्धावस्था में शारीरिक विकलांगता या जरा सी असावधानी में हड्डी टूटने का खतरा बढ जाता है।
 
2. मधुमेह (डायबिटीज-Diabetes):
गहरी और पर्याप्त नींद नहीं आने/मिलने के कारण हार्मोन असंतुलित हो जाते हैं। जिसकी वजह से मन में हाई कैलोरी फूड/पेय खाने-पीने की लालसा बढ जाती है। ऐसे लोगों के मन में दूसरों की तुलना में मिठास युक्त भोजन, पेय और जंक फूड खाने की लालसा बढ़ जाती है। इस कारण अस्वास्थ्यकर भोजन खाने से उनका स्वास्थ्य तो खराब होता ही है, साथ ही वजन भी बढ़ता जाता है। ऐसे खाद्य-पेय के सेवन से हाई ब्लड प्रेशर, हृदयाघात और मधुमेह जैसी बीमारियों के होने का खतरा अधिक बढ़ जाता है।
 
3. हृदयाघात यानी दिल का दौरा (हार्ट अटैक Heart Attack):
इंसान जब गहरी नींद में सोता है तो निरंतर शरीर की आंतरिक मरम्मत होने के साथ-साथ, आंतरिक सफाई भी/डिटॉक्सीफिकेशन (Detoxification) होती रहती है। जिन लोगों को पर्याप्त और गहरी नींद नहीं आती/मिलती है, उनके शरीर के टॉक्सिंस (Toxins) यानी विषाक्त पदार्थ साफ नहीं हो पाते हैं और शरीर में ही जमा होते रहते हैं। जिसकी वजह से उन्हें हाई ब्लड प्रेशर तथा हार्ट ब्लॉकेज (Heart Blockage) की आशंका बढ़ जाती है। परिणामस्वरूप हृदयाघात यानी हार्ट अटैक होने का खतरा भी बढ़ जाता है।
 
4. मनोस्थिति पर दुष्प्रभाव (Side-Effect on the Mental State):
अपर्याप्त नींद का सीधा असर हमारी मानसिक स्थिति पर भी पड़ता है। जितने समय और जितनी अधिक गहरी नींद हम सोते हैं, उतने ही समय तक हमारा दिमाग भी अपने लिये नयी या अतिरिक्त ऊर्जा भी जुटा लेता है। जिन लोगों की नींद पूरी नहीं हो पाती है, तुलनात्मक रूप से उनका दिमाग तरोताजा एवं स्फूर्तिदायक नहीं हो पाता है। इस कारण ऐसे लोगों को अनेकों प्रकार की मानसिक समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं और कई बार याददाश्त से जुड़ी परेशानी भी हो सकती हैं।
 
5. यौनेच्छा में कमी (Decreased Sexual Desire):
पर्याप्त और गहरी नींद सोने से टेस्टोस्टेरॉन हार्मोन (Testosterone Hormone) का स्तर यानी लेवल बढ़ जाता है। यहां यह उल्लेखनीय है कि टेस्टोस्टेरॉन हार्मोन के कारण ही स्त्री-पुरुषों में यौन संबंध बनाने की इच्छा जागृत होती है। लेकिन पर्याप्त और गहरी नींद नहीं आने/मिलने पर टेस्टोस्टेरॉन हार्मोन का स्तर गड़बड़ा जाता है। जिसके चलते पुरुषों में स्थायी या अस्थायी तौर पर यौनेच्छा और यौनोत्तेजना में भी कमी या नपुंसकता जैसी स्थिति हो सकती है। स्त्रियों में यौनेच्छा का अभाव और चिड़चिड़ापन देखा जा सकता है।
 
6. अस्वस्थ पाचन तंत्र (Unhealthy Digestive System):
वैज्ञानिक शोधों और अध्ययनों से बारम्बार प्रमाणित हुआ है और मेरा अपना भी अनुभव है कि कम गहरी और अपर्याप्त नींद लेने/मिलने की वजह पाचन तंत्र पर भी काफी कुप्रभाव पड़ता है। पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है, जिसकी वजह पेट साफ न होने, गैस बनने, कब्ज होने, आंतों में अल्सर, मुंह में बार-बार छाले होना, बवासीर, गुदाभ्रंश आदि की समस्या भी हो सकती है।
 
7. कैंसर एवं नपुंसकता (Cancer and Impotence):
कई शोधों और अध्ययनों में ये बात सामने आई है कि कम गहरी और अपर्याप्त नींद लेने/मिलने की वजह से महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर (Breast Cancer) होने और पुरुषों में असमय नपुंसकता का खतरा बढ़ रहा है। इसके साथ-साथ शरीर में जन्मने वाली कोशिकाओं को भी काफी नुकसान होता रहता है। जिसकी वजह से समय से पहले वृद्धावस्था दिखाई देने लगती है। जिसके अनेक अस्वास्थ्यकर दुष्प्रभाव हो सकते हैं।
 
अन्य समस्याएं:
उपरोक्त के अलावा गहरी और अपर्याप्त नींद नहीं लेने/मिलने की वजह से ऐसे लोगों की कार्यक्षमता प्रभावित होने लगती है। यौन असंतुष्टि सहित अनेक कारणों से ऐसे लोग तनावग्रस्त रहने लगते हैं। जिसके कारण उनके स्वभाव में मन ही मन घुटन या चिड़चिड़ेपन या लड़ने झगड़ने की प्रवृत्ति जन्म लेने लगती है। जिसके कारण वे अपने मनोभावों पर नियंत्रण खो देते हैं और ऐसे लोगों के अपने मित्रों, जीवन साथी और पड़ौसियों से झगड़े-फसाद हो जाते हैं या अपने अफसर से उन्हें चार्जशीट मिल जाती है। इत्यादि।

अपर्याप्त नींद की समस्या पर वैश्विक और भारतीय दृष्टिकोंण:
वैश्विक स्तर पर रात्रिकालीन कार्य करने वाले स्टाफ की नींद की समस्याओं को लेकर स्वास्थ्य के प्रति जागृत देशों में उल्लेखनीय कार्य हो रहा है। भारत में योग के नाम पर जितना रुपया बर्बाद किया जा रहा है या अकेले कथित योग गुरू रामदेव की सुरक्षा पर जितना रुपया खर्च किया जा रहा है, यदि उतना धन भी अपर्याप्त नींद के समाधान पर खर्च किया गया होता तो हालातों में बड़ा भारी बदलाव लाया जा सकता था।

मगर भारत में राजनेताओं की दृष्टि में नींद जैसी मामली समस्याओं के समाधान से वोट नहीं मिला करते हैं। अत: लोक सेवकों या देश के लोगों को किसी भी कारण से पर्याप्त नींद नहीं आने/मिलने की किसी को परवाह नहीं है। भारत में वोट तो हिंदू और मुसलमानों को आपस में लड़ाने की नयी-नयी युक्ति तलाशने से मिलते हैं। अत: मित्रवर Pooran Meena Rajasthani जी सरकार की बला से आप भोगते रहो अनिद्रा के दुष्प्रभाव, रेलवे या केन्द्र सरकार आपके लिये कुछ नहीं करने वाली है!
 
अपर्याप्त नींद की समस्या झेल रहे लोगों के लिये मैं क्या कर सकता हूं?
जहां तक मेरी ओर से इस बारे में जनहित में सहयोग की बात है तो अवश्य ही मैं आप जैसे नींद की समस्या झेल रहे लोगों की सहर्ष मदद करने को तैयार हूं। आप मिलकर कम से कम 500 लोगों की कम से कम 3 घंटे की एक इनडोर कार्यशाला (Indoor Workshop) आयोजित करें। मैं आपको नींद सहित बहुत सी शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के समाधान में सहयोगी बनने का प्रयास करूंगा। मेरा मानना है कि आप लोगों को हर 3 महिने में ऐसी कार्यशालाओं का आयोजन अपने स्तर पर करना चाहिये। यदि दृढ निश्चय कर लो तो यह कार्य मुश्किल नहीं है, विशेषकर 30 फीसदी अतिरिक्त वेतन पाने वालों के लिये तो बिलकुल भी मुश्किल नहीं है। बशर्ते आप सब 30 फीसदी अतिरिक्त वेतन का मात्र 2 फीसदी सालाना भी अपने स्वास्थ्य पर खर्च करने का दृढ निश्चय कर सकें।
 
लेकिन अनेकों लोग मुझ से कई गुना अधिक ज्ञान रखते हैं…
मैं तो इस विषय का बहुत छोटा सा जानकार हूं, इस देश में अनेकों लोग मुझ से कई गुना अधिक ज्ञान रखते हैं, जो इस विषय पर लच्छेदार इंग्लिश में निरंतर अपनी व्यावसायिक सेवाएं प्रदान करते रहते हैं। अंतिम बात अनेकों बीमारियों की जन्मदात्री अपर्याप्त नींद की समस्या का निदान संभव है, बशर्ते आप खुद अपनी मदद करने को तैयार हों! क्योंकि जो अपनी मदद नहीं करता, दुनिया में कोई उसकी मदद नहीं कर सकता!
 
शुभकामनाओं सहित आपका-अपना।
आदिवासी ताऊ डॉ. पुरुषोत्तम लाल मीणा, देशी जड़ी बूटी तथा होम्योपैथी का परम्परागत उपचारक, काउंसर एवं मोटीवेशनल स्पीकर
हेल्थकेयर वाट्सएप: 856195569, 31.12.2019 No Clinic & No OPD. Only Online Services.

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