शीघ्रपतन (Premature Ejaculation) रोकने हेतु कितनी अवैज्ञानिकता व्याप्त है?

 
शीघ्रपतन (Premature Ejaculation) रोकने हेतु कितनी अवैज्ञानिकता व्याप्त है?
जबकि प्रॉपर काउंसलिंग (मनोव्यावहारिक उलझनों का समाधान एवं समझ के विकास) एवं साथ में दवाइयों के सेवन द्वारा ही शीघ्रपतन का उपचार संभव है।
 
अनकों बार लिख चुकी उक्ति को फिर से दोहरा रहा हूं कि-
 
सेक्स दो कोनों के बीच का ऐसा खेल है, जिसे दो टांगों के बीच खेला जाता है।
 
बावजूद इसके शीघ्रपतन को केवल शारीरिक कमजोरी समझा जाता है। तब ही तो बाजार में ऐसे नुस्खे भी प्रचलित हैं:
 
”कबावचीनी तथा अकरकरा-इन दोनों को समभाग लें। पानी के साथ पीसकर लेप-सा बना लें। इस लेप को पुरुष अपने लिंग पर एवं स्त्री अपनी योनि में लगा दें। लगभग एक घण्टे के बाद दोनों ही इस लेप को साफ़ कर मैथुन-क्रिया में प्रवृत्त हो तो अवश्य ही स्तम्भन होगा।”
 
ऐसी बेहूदा तजबीज पढकर हंसी आती है, लगता है, जैसे इन लोगों ने शीघ्रपतन (Premature Ejaculation) को भी फोड़ा-फुंसी जैसी बाहरी तकलीफ मानकर, ड्रेसिंग जैसी बाहरी उपचारक विधि सुझा रहे हैं।
 
जबकि सबसे पहले यह समझना बेहद जरूरी है, बल्कि नितांत अनिवार्य कि सभी शारीरिक क्रियाएं, अवचेतन मन से संचालित होती हैं। जिसके लिये प्रॉपर काउंसलिंग (मनोव्यावहारिक उलझनों का समाधान एवं समझ के विकास) के साथ-साथ, मनोविकृतियों से मुक्ति दिलाने वाली तथा पाचन तंत्र को मजबूत करके शारीरिक कमजोरियों को ठीक करने वाली आंतरिक औषधियों का उचित मात्रा में निर्धारित समय तक सेवन करना भी नितांत जरूरी है।
 
जिसमें लक्षणानुसार उपयुक्त होम्योपैथिक दवाइयों और ऑर्गेनिक आदिवासी देशी जड़ी बूटियों से बहुत ही उत्साहवर्धक परिणाम मिलते हैं।
 
शीघ्रपतन एवं यौन रोगों की प्रमुख ऑर्गेनिक आदिवासी देशी जड़ी बूटियॉं:
1. अश्वगंधा जड़, 2. उटंगन बीज, 3. शोधित (rectified) शुद्ध कौंच बीज, 4. गिलोय सत या गिलोय बेल, 5. गोखरू बड़ा बीज, 6. तुलसी (काली) बीज, 7. बबूल फली, 8. बला, अतिबला और महाबला, 9. दालचीनी, 10. विदारीकंद, 11. शतावरी जड़, 12. सफ़ेद मूसली, 13. सेमलकंद, 14. वंशलोचन, 15. जायफल इत्यादि।
 
शीघ्रपतन एवं यौन रोगों की लक्षणानुसार प्रमुख होम्योपैथिक दवाइयॉं:
1. Agnus Castus, 2. Avena Sativa, 3. Baryta Carbonicum,  4. Caladium Senguinum, 5. Carboneum Sulphuratum, 6. China or Cinchona Officinalis, 7. Conium Maculatum, 8. Graphites, 9. Iodum, 10. Kali Bromatum, 11. Lycopodium, 12. Nuphar Luteum, 13. Nux Vomica, 14. Phosphorus, 15. Phosphoricum Acidum, 16. Picric Acid, 17. Selenium, 18. Staphysagria इत्यादि।
 
मगर जैसे ब्लैक बोर्ड को साफ किये बिना, लिखे हुए को पढा नहीं जा सकता, उसी प्रकार से मनोविकृतियों, मनोभ्रांतियों, सेक्स फोबिया, यौन अज्ञानता आदि के बारे में प्रॉपर काउंसलिंग के बिना उक्त होम्योपैथिक एवं ऑर्गेनिक आदिवासी देशी जड़ी बूटियों से वांछित और चिरस्थायी परिणाम नहीं मिलते रहे हैं। यही वजह है कि मेरे यहां पेशेंट्स को हमेशा इंतजार करना पड़ता है। पेशेंट की सम्पूर्ण जानकारी लेने, जानकारी के अनुसार केस का विश्लेषण करके उचित दवाई का उचित मात्रा में चयन करने और जहां जरूरी हो, वहां काउंसलिंग में घंटों समय व्यतीत होता है। जो पशेंट समय की कीमत अदा कर सकते हैं, उनकी सेवा की जाती है।
 
आदिवासी ताऊ डॉ. पुरुषोत्तम लाल मीणा, परम्परागत उपचारक एवं काउंसलर तथा संचालक:
निरोगधाम (लाइलाज का इलाज), जयपुर, राजस्थान। वाट्सएप: 8561955619, 31.05.2020

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