Menorrhagia is the Enemy of Women’s Health-महिलाओं के स्वास्थ्य का दुश्मन रक्त प्रदर या अतिरज स्राव

 

महिलाओं के स्वास्थ्य का दुश्मन रक्त प्रदर या अतिरज स्राव
Menorrhagia is the Enemy of Women’s Health

अतिरज स्राव किसे कहते हैं?
रक्तप्रदर या अतिरज स्राव जिसे अंग्रेजी में (Menorrhagia-Abnormally heavy bleeding at menstruation) कहा जाता है। इसमें माहवारी का स्राव निर्धारित अवधि के बाद भी चलता रहता है। यानि माहवारी से 10-15 दिन तक या बीच-बीच में रक्त आता रहता है। महीने में 15-20 दिन में या 10-15 दिन के अंतराल से 2-3 बार माहवारी आ जाती है। दु:खद अधिकतर स्त्रियां इसे छिपाती हैं।
 
इसका कारण क्या?
इसका मुख्य कारण हार्मोंस का संतुलन बिगड़ना-Unbalance होना या पेशेंट का तनावग्रस्त, अवसादग्रस्त, असंतुष्ट, अनिद्राग्रस्त, वियोगग्रस्त, स्नायुरोगग्रस्त आदि किसी मानसिक बीमारी से ग्रस्त होना भी होता है। इनके अलावा भी कुछ अन्य कारण भी हो सकते हैं। जैसे भयंकर कब्ज, योनी में संक्रमण, चोट या ट्यूमर होना।
 
वैधानिक चेतावनी:
किसी भी प्रकार का उपचार शुरू करने से पहले उक्त बीमारी के विशेषज्ञ और अनुभवी उपचारक से परामर्श जरूर करना चाहिये।
 
योनि की साफ-सफाई अनिवार्य:
संक्रमण नाशक किसी अच्छे द्रव्य या पाउडर से नियमित रूप से योनि की हर दिन और यौन संसर्ग के बाद साफ-सफाई बहुत जरूरी होती है। जिसमें महिलाएं अकसर लापरवाही करती हैं, जो बहुत सारी बीमारियों का कारण बन सकता है। मैं उपचार के दौरान पेशेंट्स को मेरा खुद का बना AC-16 Anti Infection & Contraction Powder (एंटी इन्फेक्शन एण्ड कंण्ट्राक्शन पाउडर-संक्रमण रोधी एवं संकोचक पाउडर) एवं AC-10 FIT & Fine Powder (फिट एण्ड फाइन पाउडर) उपलब्ध करवाता हूं। जिसके बहुत अच्छे परिणाम हैं।

बहुत जरूरी होने पर व्यक्तिगत परामर्श हेतु केवल हेल्थ वाट्सएप नम्बर: 8561955619 पर ही सम्पर्क करें।
पेट की सफाई:
इस दिनों 2/3 से अधिक स्त्री-पुरुषों का पाचन तंत्र (Digestive System) स्वस्थ नहीं है। अधिकतर को कब्ज, अपचन, गैस या कोई अन्य पाचन सम्बन्धी बीमारी बनी ही रहती है। अत: दवाई शुरू करने और बेहतर परिणाम प्राप्त करने के हेतु सबसे पहले उचित दवाई के जरिये पेशेंट के पेट की सफाई बहुत जरूरी है। जिसके लिये शुद्ध, ताजा एवं ऑर्गेनिक आंवले से बने त्रिफला का सेवन करवाया जा सकता है। मैं अपने पेशेंट्स को ऑर्गेनिक जड़ी-बूटियों के स्वनिर्मित दो-तीन प्रकार के पाउडर सेवन करवाता हूं।
 
अनुभवसिद्ध होम्योपैथिक उपचार:
(1) Hydrastis Canadensis-Q एवं (2) Janosia Ashoka-Q: दोनों की 100-100 मिलीलीर की जर्मनी सील पैक दवाई खरीदें और दोनों को एक बड़ी गर्म पानी से साफ करके सुखाई गई कांच की बोतल में मिक्स कर लें। इस मिश्रण की 20-20 बूँद दिन में 3 बार 15-15 मिलीलीटर पानी में मिलाकर रोगिणी को पिलावें। इसके साथ में (3) Secale Cornutum-200: की 30 नम्बर की 5-7 पिल्स की 3 खुराक। इन दवाइयों का रोगिणी के स्वस्थ होने तक प्रतिदिन सेवन करवाया जा सकता है। यद्यपि रोगिणी के लक्षणों के अनुसार निर्धारित होम्योपैथिक उपचार ही सही होता है।
 
अनुभवसिद्ध आयुर्वेदिक उपचार:

(1) ऑर्गेनिक कांटा गोखरू पाउडर
(2) ऑर्गेनिक शतावरी जड़ पाउडर एवं
(3) ऑर्गेनिक सफेद कौंच बीज का शोधित पाउडर

तीनों को समभाग मिलाकर रोगिणी की बीमारी के अनुसार 3 से 5 ग्राम तक बकरी या गाय के 250 मिलीलीटर दूध में उबालकर कम से कम 1 से 2 महिने या स्वस्थ होने तक पिलाने से अतिरज स्राव यानी रक्तप्रदर एवं श्वेत प्रदर से अधिकतर स्त्रियों को मुक्ति मिल जाती है।

 
नोट: उक्त दोनों प्रकार के उपचार में एक साथ लिये जा सकते हैं, लेकिन बेहतर होगा कि कोई एक प्रकार का ही उपचार लें।
 
परहेज:

रोगिणी को जिन खाद्य एवं पेय के सेवन से तकलीफें बढती हों, उनका सेवन नहीं करें। यदि रोगिणी की यौन संसर्ग के दौरान दर्द होता हो तो स्वस्थ होने तक संसर्ग नहीं करें।

लेखन दिनांक: 28.11.2019, संपादन: 03.02.2020

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