ऑर्गेनिक शोधित कौंच पाउडर के बारे में एक रोमांचकारी अनुभव

 
 
ऑर्गेनिक शोधित कौंच पाउडर के बारे में एक रोमांचकारी अनुभव
 
लेखक: आदिवासी ताऊ डॉ. पुरुषोत्तम लाल मीणा, हेल्थवाट्सएप: 8561955619
 
कौंच का सेवन करने के इच्छुक प्रत्येक पुरुष को इस लेख को अवश्य पढना चाहिये।

कुछ वर्ष पहले मैंने एक 65 वर्षीय पेशेंट की 16 साल पुरानी अनेकों तकलीफों का उपचार किया था। उसकी स्थिति बहुत खराब थी। मगर एक अच्छी बात यह हुई कि वह पेशेंट लगातार और अनुशासित रीति से धैर्यपूर्वक 18 महीने तक निर्धारित आदिवासी जड़ी बूटियों और दुष्प्रभाव रहित होम्योपैथिक दवाइयों का निरंतर सेवन करने के बाद पूरी तरह से स्वस्थ हो गया। इस दौरान उसने सभी दिशानिर्देशों का पालन किया और कभी भी मेरी सेवा का प्रतिफल अदा करने में कोई कंजूसी नहीं की। इस कारण इतने लम्बे समय तक उसकी सेवा में कोई व्यवधान नहीं हुआ।
 
स्वस्थ होने के कुछ महिने बाद उसने एक दिन फोन पर ख्वाहिश जाहिर की, कि ”डॉक्टर साहब मुझे कुछ ऐसी दवाई दें, जिससे मेरे जीवन में फिर से बहार आ जाये।” तब तक उनकी आयु 67 वर्ष के करीब पहुंच चुकी थी।
 
यहां यह स्पष्ट करना जरूरी है कि चूंकि उसका पाचंन तंत्र तो मेरे उपचार से पहले से ही पूरी तरह से स्वस्थ हो चुका था। अत: मैंने उसे किसी बड़े नुस्खे के बजाय निरोगधाम पर उत्पादित काले एवं सफेद कौंच का 600 ग्राम ऑर्गेनिक मिश्रित शोधित पाउडर सुबह-शाम 5-5 ग्राम शहद या दूध के साथ सेवन करने के निर्देश के साथ भिजवा दिया।
 
लगभग 1 महिना बाद उनकी 60 वर्षीय पत्नी का फोन आया। उन्होंने नम्रतापूर्वक, लेकिन सीधा सवाल पूछा, ”डॉक्टर साहब आपने मेरे मिस्टर को ऐसी कौनसी दवाई भेज दी जो वे बुढापे में, मुझे तंग करने लगे हैं?” मैंने भी उन्हें पूरा सम्मान प्रदान करते हुए पूछा कि ”क्या आपके पति इससे पहले बिलकुल भी सक्षम नहीं थे?” जवाब में उन्होंने बताया, ”सर ऐसा नहीं है, मगर 50 वर्ष की उम्र के बाद से ही 2-4 महीने में कभी-कभी आधा अधूरा सेक्स करने की कोशिश भर कर पाते थे। अनेक बार इतना भी नहीं कर पाते थे। लेकिन अब तो पिछले 15 दिनों में 2 बार सफलतापूर्वक संभोग किया है!” मैंने उन्हें तो अपने तरीके से समझा दिया। बाद में उनके पति से भी बात की और उसने बताया कि ”डॉ. साहब मुझे पर्याप्त समय तक पूर्ण उत्तेजना होती है और स्खलन भी होता है।”
 
इस केस से कौंच की नैसर्गिक त्रिगुणी क्षमता (Natural Triple Capacity) का बहुत बड़ा प्रमाण मिल गया। मैं अनेक लेखों और वक्तव्यों में इस बात को बताता रहा हूं कि कौंच में ऐसी अदभुत औषधीय क्षमता है, जिसके कारण यह पुरुषों में
 
  1. पर्याप्त यौन उत्तेजना एवं तनाव पैदा करता है।

  2. पर्याप्त स्वस्थ एवं गाढे वीर्य का वर्धन करता है। और

  3. पर्याप्त समय तक यौन स्तंभन को कायम रखता है।

 
उपरोक्त तीन गुणों के कारण ही कौंच को वियाग्रा का बाप कहा जाता है।
 
अनेक वैद्य लिखते हैं कि कौंच में वियाग्रा से 10 गुणा अधिक ताकत होती है। जिसे मैं कुछ सरल शब्दों स्पष्ट करना चाहूंगा।
 
वियाग्रा लिंग में रक्त के बहाव को बढाकर केवल तात्कालिक शारीरिक उत्तेजना तक सीमित रहता है। जिससे पुरुषों के यौनांगों में तनाव और स्तंभन की अनुभूति तो होती है। मगर उनके मन में यौन उमंग का अभाव रहता है, वीर्य वर्धन नहीं होता है और वियाग्रा का लगातार सेवन करने वाले पुरुषों में कुछ समय बाद नपुंसकता देखी जा सकती है। जबकि कौंच से बेशक वियाग्रा की भांति तत्काल परिणाम नहीं मिलें, लेकिन लगातार सेवन से स्थायी और निरापद परिणाम (safe results) मिलते हैं। याद रहे जिन लोगों का पाचन तंत्र स्वस्थ नहीं है और नाना प्रकार के नशों/चाय के सेवन से जिनका शरीर टोक्सिंस/विषैले द्रव्यों से भरा हुआ है, उनको कौंच के इन परिणामों की उम्मीद नहीं करनी चाहिये।
 
यहां ध्यान देने वाली सबसे बड़ी बात यह है कि जिन लोगों का पाचन तंत्र स्वस्थ होता है, उन्हें केवन कैंच ही नहीं, बल्कि सभी औषधियां तुरंत और आश्चर्यजनक प्रभाव दिखाती हैं। इसी प्रकार कौंच के सेवन का यह एक रोमांचकारी अनुभव से ओतप्रोत उदाहरण यहां प्रस्तुत किया गया है। यहां यह बताना भी जरूरी समझता हूं। यही एक मात्र उदाहरण नहीं है, बल्कि मेरे अनुभव में ऐसे अनेकों अन्य उदाहरण भी हैं।

मगर जो लोग तनाव एवं अवसाद भरा जीवन जीते हैं और जिनका पाचन तंत्र, रोग प्रतिरोधक तंत्र और रेस्प्रेटरी सिस्टम स्वस्थ नहीं है, उन्हें इस प्रकार की किसी भी औषधि का सेवन करने से पहले इन्हें ठीक करना चाहिये। अन्यथा उन्हें निराशा हाथ लगेगी तथा औषधि खरीदने में खर्च की गयी राशि निरर्थक हो जायेगी। अंतिम बात: उपरोक्त सभी बातों के साथ यौन जीवन को स्वस्थ रखने के लिये नियमित व्यायाम बहुत जरूरी है।

 
यह संस्मरण लिखने का अवसर प्रदान करने के लिये सोशल मीडिया पर बार-बार कौंच के शोधित बीज का उपयोग जानने के इच्छुक जिज्ञासुओं का दिल आभार प्रकट करता हूं।
 
नोट: ऑर्गेनिक एवं विधिवत शोधित कौंच का ही सेवन करें। बिना शोधित कौंच पाउडर का सेवन करने से किडनियां खराब होने का खतरा बना रहता है। बाजार में अनेक लोग बिना शोधित कौंच पाउडर को शोधित बताकर बेच रहे हैं।

 
जोहार यानी प्रकृति की जय हो!
आपका स्वास्थ्य रक्षक सखा-आदिवासी ताऊ: (एडवांस पेड टेलिफोनिक/Online हेल्थ केयर एवं काउंसलिंग सर्विसेज), आदिवासी जड़ी बूटियों द्वारा 1975 से और होम्योपैथी तथा बायोकेमी द्वारा 1990 से हेल्थ केयर का अनुभव। संचालक: निरोगधाम, जयपुर, राजस्थान।
WhatsApp No.: 8561955619 (Only Urgent Call: 10 to 18 Hrs) दिनांक: 22.11.2020 संपादित दिनांक: 22.03.2021

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