बवासीर (पाइल्स) का इलाज Treatment of Hemorrhoids (Piles)


बवासीर (पाइल्स) का इलाज

Treatment of Hemorrhoids (Piles)

01. सबसे पहली बात जो बवासीर से पीड़ित प्रत्येक व्यक्ति को अच्छे से समझ लेनी चाहिये, वह यह है कि बवासीर गुदा मार्ग की ऊपरी या बाहरी बीमारी नहीं है, बल्कि बवासीर पेशेंट की आंतरिक बीमारी का बाहरी लक्षण है। अत: सबसे पहले यह समझना जरूरी है कि बवासीर क्या है और क्यों होता है? इस बात को समझने के लिये निम्न कुछ मौलिक बातों को समझना उचित होगा:-

(1) आनुवांशिक कारणों से कुछ लोगों को जन्म या बचपन से ही कब्ज रहती/होती है। या
(2) अधिक मिर्च मसाले एवं बाजारू भोजन खाने एवं अनियमित जीवनचर्या के कारण कब्ज उत्पन्न होने लगती है।
(3) लगातार कब्ज रहने के कारण मल कठोर तथा शुष्क हो जाता है।
(4) कठोर और शुष्क मल असानी से बाहर नहीं आ पाता है। अत: मल त्याग हेतु व्यक्ति को अधिक जोर लगाना पड़ता है। जिससे गुदा का आंतरिक हिस्सा जख्मी हो जाता है।
(5) लगातार कब्ज रहने के कारण पेट में अम्लता भी बढ जाती है। जिसके कारण मल पतला और जलन पैदा करने वाला आने लगता है। जिसके कारण भी गुदा का आंतरिक हिस्सा जख्मी हो जाता है।
(6) उक्त दोनों में से कोई सी भी स्थिति लगातार लम्बे समय तक बनी रहने पर गुदा मार्ग की आंतरिक कोशिकाएं तेजी से नष्ट होने लगती हैं और साथ ही साथ आंतरिक तंत्रिकाएं (Nerves) भी जख्मी हो जाती हैं या फूल जाती हैं।
(7) जिसके चलते गुदा में मस्से फूल जाते हैं, गुदा में सोजन आ जाती है और, या गुदा से मल के साथ रक्त भी आने लगता है।
(8) सामान्यत: आम बोलचाल में इसे ही बवासीर रोग कहा जाता है।
(9) इस प्रकार बवासीर का मुख्य कारण वर्षों तक कब्ज का कब्जा रहना होता है।

02. जो लोग वर्षों तक कब्ज की परवाह नहीं करते, उन्हें बवासीर तो हो ही जाती है। साथ ही साथ गैस, अपच यानी अजीर्ण (Indigestion), आंतों और, या गले में जलन रहने लगती है। आंतों और, या गले में अल्सर यानी छाले हो जाते हैं। गैस सिर को चढने के कारण सिर दर्द रहने लगता है। बवासीर के समय पर उचित एवं सही उपचार के अभाव में गुदाद्वार में भगंदर-फिस्टुला-Fistula यानी जख्म या फोड़ा भी हो सकता है। गुदाद्वार में दरारें आ सकती हैं। जिससे मलत्याग के समय असहनीय पीड़ा होती है। कुछ मामलों में गुदाभ्रंश (Rectum Colaapse) की समस्या भी आ सकती है। इस असहनीय दर्दनाक पीड़ा से भयभीत होकर कुछ रोगी नासमझी में बवासीर, भगंदर या गुदाभ्रंश का ऑपरेशन करवा लेते हैं। ऑपरेशन के बाद ये तकलीफें वाकई लाइलाज बन जाती हैं (These problems really become incurable after the operation), क्योंकि किन्हीं अपवादों को छोड़कर इन सभी तकलीफों का ऑपरेशन से स्थायी  समाधान नहीं होता है। बल्कि होता यह है कि ऑपरेशन के बाद, फिर दूसरा और तीसरा ऑपरेशन, यह सिलसिला ताउम्र चलता रहता है। अनेक लोगों की जिंदगी तो जीते जी नर्क बन जाती है।

03. इसका भी कारण समझना जरूरी है। जैसा कि ऊपर लिखा जा चुका है कि बवासीर गुदा मार्ग की ऊपरी या बाहरी बीमारी नहीं है, क्योंकि बवासीर का मुख्य कारण वर्षों तक कब्ज का कब्जा रहना होता है। इसलिये यदि कोई सामान्य विवेक का व्यक्ति भी इस बात पर विचार करेगा तो उसे आसानी से समझ में आ जायेगा कि जब तक पाचन तंत्र ठीक नहीं होगा। जब तक सख्त, कठोर और अम्लीय मल बनना बंद नहीं होगा। ऐसे में बाहरी ऑपरेशन करके बवासीर को कैसे ठीक किया जा सकता है? मगर दुर्भाग्य से बवासीर से पीड़ित लोग अपने पाचन तंत्र को स्वस्थ एवं दुरुस्त करने पर ध्यान नहीं देकर, येन केन प्रकारेण और कैसे भी जल्दी से जल्दी बवासीर की तकलीफ से मुक्ति पाना चाहते हैं। बस यहीं वे गलती कर जाते हैं और पेशेंट्स की इसी कमजोरी का ऑपरेशन करने वाले लाभ उठाते हैं। जबकि समझने वाली मूल बात यह है कि किसी भी बीमारी या तकलीफ में ऑपरेशन पहला नहीं, बल्कि अंतिम विकल्प होता है। यही स्थिति गुर्दे की पथरी की भी होती है। जिसको ऑपरेशन के जरिये निकाल दिया जाता है, लेकिन ऑपरेशन के जरिये पथरी को बाहर निकाल देना समस्या का समाधान नहीं है, बल्कि पथरी का शरीर में बनना बंद करना असली उपचार होता है। जिस पर कोई ध्यान नहीं देता है। इसी वजह से हमारे देश में हर दिन बवासीर, भगंदर, गुदाभ्रंश, योनिभ्रंश, पथरी आदि के हजारों रोगियों के ऑपरेशन किये जा रहे हैं। जिसमें उनकी वर्षों की कमाई गयी पूंजी बर्बाद हो रही है।

04. बवासीर का उपचार: बवासीर से पीड़ित अधिकतर लोग शर्म-संकोच के चलते अपनी तकलीफ को परिवार के सदस्यों तक से छिपाते हैं और इधर-उधर की दवाइयां लेते रहते हैं। या किसी अनुभवी डॉक्टर से नियमित रूप से उपचार नहीं लेते हैं। अधिकतर रोगियों को इतनी सी बात समझ में नहीं आती कि वर्षों/दशकों तक पेट खराब रहने और कब्ज रहने के बाद जन्मी बवासीर की तकलीफ का, (बिना कब्ज को ठीक किये) उपचार कैसे किया जा सकता है या बिना कब्ज से मुक्ति पाये सफल उपचार कैसे सम्भव है?

05. यहाँ समझने की सबसे पहली जरूरत यह होती है कि सबसे पहले रोगी के पाचन तंत्र और कब्ज को ठीक करना। जिसके लिये पहले से कोई सुनिश्चित समय सीमा तय नहीं की जा सकती, क्योंकि रोगी का स्वस्थ होना केवल दवाइयों पर ही निर्भर नहीं करता, बल्कि कुछ ऐसी अन्य बातें या कारक भी होते हैं, जिनके कारण पेशेंट के रोग मुक्त होने में कम या अधिक समय लग सकता है। जैसे-

(1) शुरूआत में रोग को दबाने हेतु लिये गये उपचार के दुष्प्रभाव,
(2) रोगी की जीवनचर्या,
(3) खान-पान की आदतें,
(4) लीवर की स्थिति,
(5) रोगी के जीवन में चिंता-तनाव और अवसाद की स्थिति,
(6) वंशानुगत पाचनतंत्र की क्षमता,
(7) रोग प्रतिरोधक क्षमता,
(8) रोगी द्वारा दवा पर प्रतिक्रिया करने की क्षमता इत्यादि।

06. इस सब के बावजूद अधिकतर रोगी मुझ जैसे पराम्परागत या होम्योपैथिक पद्धति के उपचारकों से इलाज की निश्चित समय सीमा तथा गारंटेड इलाज की उम्मीद करते हैं। जो व्यावहारिक एवं कानूनी तौर पर गलत एवं असंभव है, फिर भी रोगी की जेब से पैसे निकलवाने के चक्कर में धन के लोभी अनेक निष्ठुर तथा असंवेदनशील डॉक्टर रोगी की भाषा बोलने लगे हैं। जिसके कितने अच्छे या बुरे परिणाम या दुष्परिणाम होते हैं, इस बात को ऐसे गारंटी चाहने वाले पेशेंट ही अच्छे से जानते हैं।

07. मेरा अनुभव तो यही है कि बवासीर का मूल कब्ज है। अत: बवासीर के उपचार के लिये सबसे पहले कब्ज को ठीक करने के लिये सरल, सौम्य तथा उचित दवाइयों का, उचित मात्रा में स्वस्थ होने तक नियमित रूप ये सेवन करना पहली और अंतिम जरूरत है। ठीक होना या नहीं होना, डॉक्टर, रोगी तथा रोग की स्थिति एवं दवाइयों के साथ-साथ प्रकृति पर भी निर्भर करता है। क्योंकि अंतिम सत्य यही है कि डॉक्टर केवल दवाई देता है, रोगी को पूर्णत: स्वस्थ तो प्रकृति ही करती है।

08. सबसे दु:खद तो यह है कि इस सबके बाद भी ऐसे पेशेंट्स द्वारा अज्ञानतावश उम्मीद की जाती है कि देशी जड़ी बूटियों या होम्योपैथिक दवाइयों से कोई चमत्कार हो जाता होगा और वे बहुत जल्दी ठीक हो जायेंगे। इसी मानसिकता के चलते वे लगातार एक के बाद एक डॉक्टर तथा वैद्यों को बदलते रहते हैं। इस कारण जहां ऐसे पेशेंट्स के धन की बर्बादी और स्वास्थ्य की दुर्दशा होती जाती है, वहीं उनका रोग भी लगातार बढकर गंभीर होता जाता है। जिसकी वजह से शरीर में अनेक प्रकार के दूसरे शारीरिक उपद्रव खड़े होने लगते हैं। जिनमें स्मरण शक्ति की कमजोरी, चर्म रोग, अनिद्रा, दृष्टि दोष, अवसाद, ब्लड प्रेशर, यौन कमजोरी आदि प्रमुख हैं। (In which weakness of memory, skin diseases, insomnia, vision impairment, depression, blood pressure, sexual weakness etc. are prominent)

09. इन विकट हालातों का सामना कर रहे जो रोगी किसी तरीके से मेरे सम्पर्क में आते हैं, उनमें से भी अधिकतर मुझ से भी झटपट तथा गारंटेड इलाज की उम्मीद करते हैं, जो लगभग असंभव होता है। क्योंकि सबसे पहले तो मुझे ऐसे पेशेंट्स का बिगड़ा हुआ डाइजेशन सिस्टम (Designation System) ठीक करना होता है। ताकि उन्हें मेरी ओर से जो महत्वपूर्ण ऑर्गेनिक देसी जड़ी-बूटियां सेवन करायी जावें, वे उसके शरीर में जाकर ठीक से डायजेस्ट हो (पच) सकें और इन जड़ी बूटियों में अंतर्निहित गुणों से पेशेंट के शरीर के लिये जरूरी रस, रक्त, वीर्य, विटामिंस, प्रोटींस, मिनरल्स आदि का निर्माण हो सके। इसके साथ-साथ रोगी की इम्यूनिटी पावर यानी रोगों से लड़ने की ताकत भी प्राकृतिक रीति से इस प्रकार से बढाई जाती है कि वह आगे भी निरंतर बनी रहे। इस प्रकिया में महीनों, बल्कि कुछ मामलों में सालों का समय भी लग सकता है।

10. दूसरा दु:खद पहलु यह भी है कि ऐसे अधिकतर पेशेंट्स में धैर्य का अभाव देखा जाता है। उनकी इसी कमी के कारण उन्हें कुछ चालाक लोग लूटते रहते हैं। बल्कि अनेक उपचारकों का व्यवसाय भी ऐसे ही रोगियों के कारण चल रहा है। मगर ऐसे पेशेंट्स की तुरंत एवं गारंटेड इलाज शुरू करने की जिद पूरी नहीं कर पाने के कारण मुझ से उपचार हेतु सम्पर्क करने वाले 10 पेशेंट्स में से मुश्किल से, मैं 2 पेशेंट्स के ही केस ले पाता हूं। इसका सुखद परिणाम यह होता है कि जो पेशेंट मुझ से काउंसलिंग एवं लगातार दवाइयां लेते हैं, उनके स्वस्थ होने की दर 90 फीसदी से अधिक है। शेष पेशेंट्स को लम्बे समय तक पोषक तत्वों तथा जड़ी बूटियों का नियमित सेवन करना पड़ सकता है। यहां पर यह और जोड़ना चाहूंगा कि अपने स्वास्थ्य को तरोताजा बनाये रखने के लिये वंशानुगत या पुरानी जिद्दी कब्ज से पीड़ित सभी रोगियों को दुष्प्रभाव रहित पोषक तत्वों और जड़ी बूटियों का नियमित सेवन करते रहना चाहिये। जिससे उनकी पाचन क्रिया स्वस्थ और तंदुरुस्त बनी रहे।

11. संभव है कि बवासीर से मुक्ति का किन्हीं अन्य अधिक जानकार और अनुभवी वैद्यों तथा उपचारकों के पास मुझ से अधिक सुगम मार्ग हो? मेरे अनुभव में डाइजेशन सिस्टम और इम्यूनिटी पावर को बढाये बिना इस प्रकार की समस्याओं का प्राकृतिक रीति से सकारात्मक समाधान संभव ही नहीं है। जिन्हें मेरे तरीके पर विश्वास और आस्था होती है, मैं उनकी सेवा करता हूं और खुशी की बात है कि उन्हें कुछ महीनों में सकारात्मक परिणाम भी मिलते लगते हैं।

12. उपरोक्त समस्त विवरण को पढने या जानने-समझने के बाद जो पेशेंट मुझ से उपचार लेने को उत्साहित हों, उन्हें इस लेख के जरिये सार्वजनिक रूप से स्पष्ट संदेश दिया जा रहा है कि-

मेरा न तो कोई अस्पताल या क्लीनिक है और न ही मेरा कोई सहायक है।
दूसरी ओर पेशेंट्स की संख्या लगातार बढती ही जा रही है।
इस कारण मेरे यहां पेशेंट्स की 1 से डेढ महीना की वेटिंग लिस्ट हमेशा पेंडिग रहती है।

13. जो पेशेंट मेरी कड़वी, किंतु वास्तविक बातों को समझ और स्वीकार करने के साथ-साथ धैर्यपूर्वक इंतजार करने और मुझ से उपरोक्तानुसार उपचार करवाने के लिये सहमत हो जाते हैं। उनका मेरे हेल्थकेयर वाट्सएप नं.: 8561955619 (Call Between 10 to 18 hrs. only) पर स्वागत है। ऐसे पेशेंट्स को स्वस्थ करने की मैं सम्पूर्ण कोशिश करता हूं। यद्यपि परिणाम तो प्रकृति (जिसे अधिकतर लोग ईश्वर मानते हैं) पर ही निर्भर करते हैं। उपचार लेने की शुरूआत करने से पहले जानें-

1. मैं पेशेंट को उपचार प्रक्रिया की सारी बातें मेरे हेल्थकेयर वाट्सएप 8561955619 पर लिखित में क्लीयर कर देता हूं।
2. सारी बातों को जानने, समझने और सहमत होने के बाद, पेशेंट को दो महीना के अनुमानित चार्जेज बैंक खाते में अग्रिम/एडवांश जमा करवाने होते हैं।
3. इसके बाद पेशेंट के लक्षणों और बीमारी के बार में पेशेंट से कम से कम 30-40 मिनट मो. पर विस्तार से जानकारी प्राप्त करता हूं।
4. पेशेंट के लक्षणों और उसकी सभी तकलीफों के विवरण के आधार पर प्रत्येक पेशेंट का विश्लेषण करके, पेशेंट के लिये वांछित ऑर्गेनिक देसी जड़ी-बूटियों तथा होम्योपैथिक व बायोकेमिक दवाइयों की सूची बना करके, दवाइयों का कुल अंतिम मूल्य निर्धारण किया है।
5. अंतिम मूल्य निर्धारण के बाद यदि कोई बकाया राशि पेशेंट से लेनी हो तो उसके बारे में पेशेंट को वाट्एसप पर सूचित किया जाता है। शेष राशि जमा करने के बाद, पेशेंट को उसके बताये पत्राचार के पते पर भारतीय डाक सेवा से रजिस्टर्ड पार्सल के जरिये दवाइयां भिजवादी जाती हैं।
6. पेशेंट को हर 7 दिन में अपनी हेल्थ रिपोर्ट मेरे हेल्थकेयर वाट्सएप पर भेजनी होती है।
7. 40 दिन की दवाइयों का सेवन करने के बाद पेशेंट को हमसे बात करनी होती है और आगे दवाइयां जारी रख्ना जरूरी होने पर 20 दिन एडवांश आगे की दवाई का मूल्य जमा करना होता है। जिससे दवाई सेवन में बीच में गैप/अंतरल नहीं होने पाये।

अंत में, मैं जनहित में सभी को बहुत आसान और सरल सी बात समझाना चाहता हूं कि-

(1) अन्य किसी भी प्रकार के आलतू-फालतू के शौक पालने से पहले अपने स्वास्थ्य की रक्षा के महत्व को समझना सीखें।
(2) पेशेंट्स को समझना होगा कि महंगे वाहन, आकर्षक कपड़े, आलीशान मकान, साज श्रृंगार, शारीरिक सौंदर्य और करोड़ों का बैंक बैलेंस भी कोई मायने नहीं रखते, यदि उन्होंने अपना स्वास्थ्य खो दिया। विशेषकर यदि पाचन शक्ति कमजोर हो चुकी है, तो जीवन निरर्थक है।
(3) इसलिये यदि आपको पूर्ण आयु तक सम्पूर्णता से स्वस्थ तथा जिंदादिल जिंदगी जीनी है तो खाली पेट चाय, कॉफी, धूम्रपान, गुटखा, शराब आदि सभी प्रकार के नशे की लतों को तुरंत त्याग देना चाहिये और इनके बजाय उत्साहवर्धक साहित्य खरीद कर पढने, पौष्टिक खाद्य व पेय पदार्थों और आरोग्यकारी, पुष्टिकारक तथा बलवर्धक औषधियों का सेवन करने पर अपनी कमाई का कुछ हिस्सा उदारतापूर्वक खर्च करते रहना चाहिए।
(4) इससे आपको अपने जीवन में ग्लानि, दुर्बलता, स्मरण शक्ति का लोप आदि की शिकायतें कभी नहीं होती हैं।
(5) कौन मूर्ख व्यक्ति ऐसा होगा, जो स्वस्थ एवं तंदुरुस्त नहीं रहना चाहेगा?

आदिवासी ताऊ डॉ. पुरुषोत्तम लाल मीणा, संचालक निरोगधाम, जयपुर। पराम्परागत उपचारक एवं काउंसलर, हेल्थकेयर वाट्सएप: 8561955619 बात केवल 10 से 18 बजे के मध्य। 23.01.2020, संपादन दिनांक: 23.01.2020.

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