बवासीर (Piles or Hemorrhoids) का होम्योपैथक इलाज

बवासीर (Piles or Hemorrhoids) का होम्योपैथिक इलाज

भारत की 15% से अधिक वयस्क आबादी को बवासीर की बीमारी है। मगर शर्म-संकोच, अशिक्षा, अज्ञानता आदि के कारण इनमें से 90% लोग नारकीय जीवन जीने को विवश हैं। जबकि आदिवासी जड़ी बूटियों और दुष्प्रभाव रहित होम्योपैथिक पोषक तत्वों के उचित रीति से लगातार सेवन करने से बवासीर की समस्या से मुक्ति पायी जा सकती है। सबसे दु:खद स्थिति तो यह है कि अनेक भोले तथा अज्ञानी लोग गैर जिम्मेदार लोगों की सलाह मानकर बवासीर का ऑपरेशन करवाकर बहुत बड़ी गलती कर बैठते हैं। जबकि समझने वाली महत्वपूर्ण बात यह है कि केवल बवासीर में ही नहीं, बल्कि किसी भी तकलीफ में ऑपरेशन करवाना पहला नहीं, बल्कि अंतिम विकल्प होता है। बवासीर के समाधान हेतु आदिवासी जड़ी बूटियों के बारे में पहले अनेक बार बताया जा चुका है। अत: यहां पर बवासीर का होम्योपैथिक समाधान प्रस्तुत किया जा रहा है।

बवासीर का होम्योपैथिक समाधान: आगे पढने से पहले यह जानना जरूरी है कि होम्योपैथी में रोग का इलाज नहीं, बल्कि रोगी के लक्षणों का निदान किया जाता है। लक्षणों के मिलान में किसी अनुभवी होम्योपैथ को भी काफी सारा समय और परिश्रम करना होता है। मगर दु:खद बात यह है कि आज के भौतिक युग में जहां सब दौलत के पीछे भाग रहे हैं, होम्योपैथ भी मुफ्त में अपना कीमती वक्त क्यों किसी पर खर्चने लगे। हां जो पीड़ित होम्योपैथ के वक्त की कीमत चुकाता है, उसे, उसके लक्षणों का मिलान करने के बाद तकलीफों से मुक्ति मिलने की प्रबल संभावना होती है।

यद्यपि जो पीड़ित लोग किसी भी प्रकार का नशा करते हैं और, या होम्योपैथ को सही एवं सत्य जानकारी नहीं देते हैं, उन्हें स्वास्थ्य लाभ मिलना बहुत मुश्किल है।

दूसरी बात बवासीर की तकलीफ यदि वंशानुगत है या नहीं, दोनों ही स्थितियों में पीड़ित व्यक्ति का डाइजेशन सिस्टम यानी पाचन तंत्र बचपन से या वर्षों से खराब रहा होता है। जिसे ठीक किये बिना बवासीर से मुक्ति लगभग असंभव है।

स्वास्थ्य के प्रति अवेयरनेस के मकसद से यहां पर वर्णक्रमानुसार होम्योपैथी की कुछ प्रमुख दवाइयों के लक्षणानुसार नाम दिये जा रहे हैं। जिनका किस शक्ति में, कितनी मात्रा में और कैसे सेवन करना है, इसका निर्धारण पीड़ित की सम्पूर्ण लक्षणात्मक जानकारी प्राप्त करके कोई अनुभवी होम्योपैथ ही कर सकता है। अत: इनका सेवन करने से पहले किसी होम्योपैथ से विस्तार से परामर्श अवश्य करें।

1-Aesculus_Hippocastanum-एस्कुलस हिप्पोकैस्टेनम: इसका प्रभाव गुदा की ‘शिराओं’ (Veins) पर होता है। जिसमें पीड़ित को ऐसा अनुभव होता है, जैसे मल-द्वार में तिनके-से ठुंसे हुए हों। लाल-नीले (Purple) रंग का रुधिर आता है। बवासीर के मस्सों में यह बहुत उपयोगी है।

2-Antimonium_Crudum-ऐन्टिमोनियम क्रूडम: बवासीर के मस्सों से आंव आते रहना (Mucous piles) इसका मुख्य लक्षण है। आंव वाली बवासीर की यह प्रमुख दवा है। गुदा से निरन्तर आंव के निकलते यानी रिसते रहने से अन्दर का कपड़ा खराब हो जाता है, जिससे रोगी परेशान और शर्मिंदगी भरा जीवन जीने को विवश हो जाता है। ऐसी दशा में यह दवा बहुत उपयोगी है।

3-Argentum_Nitricum-अर्जेंटम नाइट्रिकम: रोगी को श्लेष्मा (mucus), रक्त और अत्यधिक गैस के साथ दस्त होते हों और मीठा खाने की विशेष चाहत हो, लेकिन मीठा खाना उसे माफिक नहीं पड़ता हो तो यह दवा का उपयोग हो सकती है।

4-Arsenicum_Album आर्सेनिकम एल्बम: जब मल में अत्यधिक दुर्गंध आती है और जिन लोगों को रात्रि के दौरान पेट में जलन और दर्द बना रहता है। ऐसी स्थिति में यह दवा लाभकारी है।

5-Collinsonia_Canadensis-कोलिनसोनिया कनाडेंसिस: रोगी को ऐसा अनुभव होता है जैसे गुदा-प्रदेश में छोटे-छोटे तिनके या लकड़ियां ठूंसी हुई हैं। साथ में पीड़ित को सख्त कब्ज भी होती है। जिसकी वजह से सूखे मलत्योग के दौरान मस्से छिल जाते हैं और खून बहने लगता है। ऐसी स्थिति में बवासीर में यह दवा बहुत लाभकारी है।

6-Hamamelis-हेमामेलिस: जिन्हें भी बवासीर में खून जाता है, उनके लिए यह दवा विशेष रूप से लाभकारी है।

7-Ignatia_Amara-इग्नेशिया अमारा: सामान्यत: बवासीर की तकलीफ में चलने-फिरने से गुदा के मस्सों में रगड़ लगती है और सामान्य अवस्था में रगड़ लगने से पीड़ित को कष्ट यानी दर्द होना चाहिए, परन्तु इसका प्रमुख लक्षण यह ​है कि बवासीर की शिकायत में रोगी को चलने-फिरने से कष्ट के बजाय, तकलीफ में आराम महसूस होता है।

8-Nitricum_Acidum-(Acidum Nitricum)-नाइट्रिकम एसिडम: मल इतना तेज, काटने और छीलने वाला होता है कि गुदा द्वार में दरारें पड़ जाती हैं। गुदा के किनारे चिटक जाते हैं। घाव हो जाते हैं। मस्से बाहर निकल आते हैं, वे भी चिटकते हैं। खून निकलता है। मस्से अत्यंत दर्द करते हैं जो छुए नहीं जा सकते। नर्म मलत्याग में भी भयंकर दर्द होता है, क्योंकि गुदा-प्रदेश चिटिका/चटखा रहता है, और वहां से जब छील देने वाला मलत्याग होता है, तो भले ही वह पतला ही क्यों न हो, रोगी को दर्द से तड़पा देता है। रोगी मलत्याग के एक-दो-घंटे बाद तक दर्द से कराहता रहता है और आराम से नहीं बैठ सकता। भयंकर पीड़ा से वह इधर-उधर चक्कर काटा करता है। पीड़ित को यदि सिर-दर्द, बहरापन, बवासीर कोई पीड़ा हो, हर पीड़ा में सवारी करने से राहत मिलती है। जब तक वह गाड़ी में सवार रहता है, तब तक उसकी मानसिक दशा भी अच्छी रहती है। इस प्रकार के बवासीर में यह विशेष रूप से उपयोगी है।

9-Nux_Vomica-नक्स वोमिका: जो लोग जंक फूड्स, तले हुए पदार्थ अधिक खाते हैं या शराब पीते है या धूम्रपान करते है या शारीरिक श्रम नहीं करते है, तेज मिजाज के होते हैं और जिन्हें बवासीर में खून बिलकुल नहीं जाता है, उनके लिए यह दवा बहुत ही लाभकारी है।

10-Mercurius_Corrosivus-मर्क्यूरियस कौरोसाइवस: पीड़ित को मलत्याग के दौरान मिश्रित रक्त आता हो तो इसका उपयोग लाभकारी है।

11-Paeonia_Officinalis-पियोनिया ऑफिसिनैलिस: बवासीर तथा बवासीर के कारण रक्तस्राव होना, मलद्वार के फटकर घाव बन जाना, मलद्वार क्षत विक्षत हो जाना। यहां तक कि भगन्दर (fistula) में बदल जाना। आदि तकलीफों में इससे विशेष फायदा होता है।

12-Phosphorus-फॉस्फोरस: पीड़ित को बलगम के साथ, लेकिन बिना रक्त के और दर्द रहित दस्त होते हैं, उनके लिए यह दवा लाभकारी है।
इत्यादि।

विनम्र_निवेदन: मुझे खेद है कि समयाभाव के कारण मैं जहां-तहां सोशल मीडिया पर इस आलेख के नीचे कमेंट्स करने वाले जिज्ञासु विद्वान पाठकों या पीड़ितों के सवालों के जवाब नहीं दे सकूँगा। जिन्हें वाकयी कोई जानकारी या मेरी सेवायें चाहिये केवल 8561955619 नम्बर पर मुझे वाट्सएप कर सकते हैं, लेकिन मैं उम्मीद करता हूं कि इस वाट्सएप पर कोई भी मुझे अनावश्यक/फॉर्मल मैसेज, इमेज और सामग्री भेजकर डिस्टर्ब नहीं करेंगे।

#जोहार यानी #प्रकृति_की_जय_हो!
आपका स्वास्थ्य रक्षक सखा-आदिवासी ताऊ: (एडवांस पेड टेलिफोनिक हेल्थ केयर एवं काउंसलिंग सर्विसेज), आदिवासी जड़ी-बूटियों द्वारा 1975 से और होम्योपैथी तथा बायोकेमी द्वारा 1990 से सतत हेल्थ केयर एवं हेल्थ अवेयरनेस का लम्बा अनुभव। संचालक: निरोगधाम, जयपुर, राजस्थान। WhatsApp No.: 8561955619 (Only Urgent Call: 10 to 18 Hrs only), 06.09.2020

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