सर्दी, जुकाम और छींकों का देशी जड़ी-बूटी एवं होम्योपैथिक इलाज Herbal and homeopathic treatment of colds, colds and sneezes

 
सर्दी, जुकाम और छींकों का देशी जड़ी-बूटी एवं होम्योपैथिक इलाज
Herbal and Homeopathic treatment of Colds and Sneezes
 
 
(बार-बार सर्दी तथा जुकाम लगना और लगातार छींकों से मुक्ति हेतु इम्यूनिटी पावर और हेल्दी डाइजेशन सिस्टम पहली अनिवार्य शर्त है)
 
बार-बार सर्दी तथा जुकाम लगना और लगातार छींकें आना। आमतौर पर इस प्रकार की तकलीफों के मूल में ऐसे पेशेंट्स की रोगप्रिरोधक क्षमता यानी इम्यूनिटी पावर के कमजोर होने का पहला और स्पष्ट संकेत होता है। मगर याद रहे रोगप्रिरोधक क्षमता एक दिन में इतनी अधिक कमजोर नहीं हो सकती है। इसके कमजोर होने में वर्षों लगते हैं। जिसके पीछे पेशेंट्स की लापरवाही और अनियमित जीवचर्या बड़े कारण होते हैं। दुर्भाग्य से अनेक लोगों को, कुछ बीमारियां वंशानुगत तौर पर उपहार में मिलती हैं, जिनकी वजह से उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता अत्यधिक कमजोर होती है या उनकी लापरवाही और अनियमित जीवचर्या जल्दी ही कमजोर हो जाती है।
 
इस प्रकार के पेशेंट्स अपनी तकलीफों से तत्काल राहत पाने के लिये मजबूरी में जिन दवाइयों का सेवन करते हैं, उनके दुष्प्रभावों यानी साइड इफैक्ट्स के कारण ऐसे पेशेंट्स का डायजेशन सिस्टम यानी पाचन तंत्र खराब हो होता है। जिसके उपचार हेतु ली जाने वाली रेचक दवाइयां पूरे पाचनतंत्र का कबाड़ा कर देती हैं। (Laxative medicines, taken for the treatment of which, ruin the whole digestive system)
 
ऐसे दु:खी और परेशान पेशेंट्स में से कुछ तो सर्जनों की लुभावनी बातों में फंसकर अपनी नाक कटवा लेते हैं। अर्थात नाक की आंतरिक झिल्लियों या हड्डी का ऑपरेशन भी करवा लेते हैं। मगर उन्हें बार-बार सर्दी तथा जुकाम लगने और लगातार छींकें आने की तकलीफ से छुटकारा नहीं मिल पाता है। कुछ डॉक्टर तो ऑपरेशन के बाद पेशेंट को कह देते हैं कि यह एलर्जी है जो ऑपरेशन से ठीक नहीं हो सकती। क्या इनको यह बात ऑपरेशन से पहले नहीं पता थी? सब कुछ जानते हुए भी रुपयों की खातिर ऑपरेशन कर डालते हैं।
 
हकीकत तो यह है कि ऐसे ऑपरेशन करवा लेने के बाद दूसरी चिकित्सा पद्धति से भी ऐसे पेशेंट्स के पूरी तरह से और शीघ्र स्वस्थ होने की दर काफी कम हो जाती है। मेरा स्पष्ट मत है कि प्रकृति की अनुपम कृति यानी हमारे शरीर से छेड़छाड़ केवल विशेष पिरिस्थितियों में ही की जानी चाहिये। अत: मैं बार-बार लिखता और बोलता रहा हूं कि ‘ऑपरेशन पहले नहीं, बल्कि अंतिम विकल्प है।’
 
मैंने देखा है कि बिना विचारे बवासीर, गुदाभ्रंश, योनिभ्रंश, नाक की झिल्ली/हड्डी या प्रोस्टेट ग्रंथि का ऑपरेशन करवाने वाले लोगों में से बड़ी संख्या में लोग पछताते हैं और बिना विचारे जल्दबाजी में ऑपरेशन करवाने की गलती की कीमत अपने धन और स्वास्थ्य को गंवाकर चुकाते हैं। कुछ तो ताउम्र नर्कमय जीवन जीने को विवश हो जाते हैं।
 
सबसे दु:खद तो यह है कि इसके बाद भी ऐसे पेशेंट्स द्वारा अज्ञानतावश उम्मीद की जाती है कि देशी जड़ी बूटियों या होम्योपैथिक दवाइयों से कोई चमत्कार हो जाता होगा और वे बहुत जल्दी ठीक हो जायेंगे। इसी मानसिकता के चलते वे लगातार एक के बाद एक डॉक्टर तथा वैद्यों को बदलते रहते हैं। इस कारण जहां ऐसे पेशेंट्स के धन की बर्बादी और स्वास्थ्य की दुर्दशा होती जाती है, वहीं रोग भी लगातार बढकर गंभीर होता जाता है। जिसकी वजह से शरीर में अनेक प्रकार के दूसरे शारीरिक उपद्रव खड़े होने लगते हैं। जिनमें यौन क्षमताओं में कमी या कमजोरी, चर्म रोग, स्मरण शक्ति की कमजोरी आदि प्रमुख हैं।
 
इन हालातों का सामना कर रहे जो रोगी किसी तरीके से मेरे सम्पर्क में आते हैं, उनमें से भी अधिकतर मुझ से भी झटपट तथा गारंटेड इलाज की उम्मीद करते हैं, जो लगभग असंभव होता है। क्योंकि सबसे पहले तो मुझे ऐसे पेशेंट्स का बिगड़ा हुआ डायजेशन सिस्टम ठीक करना होता है। ताकि उन्हें जो महत्वपूर्ण ऑर्गेनिक देसी जड़ी बूटियां सेवन कराया जायें, वे ठीक से डायजेस्ट हो पच सकें। ताकि इन जड़ी बूटियों के शरीर के लिये जरूरी रस, रक्त, वीर्य, विटामिंस, प्रोटींस, मिनरल्स आदि का निर्माण हो सके। इसके साथ—सााि रोगी की इम्यूनिटी पावर यानी रोगों से लड़ने की ताकत भी प्राकृतिक रीति से इस प्रकार से बढानी होती है कि वह आगे भी निरंतर बनी रहे। इस प्रकिया में महिनों बल्कि सालों का समय भी लग सकता है।
 
सबसे दु:खद पहलु-अधिकतर पेशेंट्स में धैर्य का अभाव देखा जाता है। इस कारण मुझ से उपचार हेतु सम्पर्क करने वाले 10 में से मुश्किल से, मैं दो पेशेंट्स के ही केस ले पाता हूं। हां जो पेशेंट लगातार दवाइयां लेते हैं, उनके स्थायी रूप से स्वस्थ होने की दर 80 फीसदी से अधिक है। शेष पेशेंट्स को लम्बे समय तक रोग प्रतिरोधक क्षमता वर्धक पोषक तत्वों तथा जड़ी बूटियों का नियमित सेवन करना पड़ सकता है।
 
संभव है कि बार-बार सर्दी तथा जुकाम लगने और लगातार छींकें आने की समस्या से मुक्ति का किन्हीं अन्य अधिक जानकार और अनुभवी वैद्यों तथा उपचारकों के पास मुझ से अधिक सुगम मार्ग हो सकता है? मेरे अनुभव में डायजेशन सिस्टम तथा इम्यूनिटी पावर को बढाये बिना इस प्रकार की समस्या का उपचारात्मक समाधान संभव नहीं। जिन्हें मेरे तरीके पर विश्वास और आस्था होती है, मैं उनकी सेवा करता हूं और खुशी की बात है कि उन्हें कुछ महिनों में सकारात्मक परिणाम भी मिलते लगते हैं।

उपरोक्त समस्त विवरण को पढने के बाद जो पेशेंट मुझ से उपचार लेने को उत्साहित हों, उन्हें इस लेख के जरिये सार्वजनिक रूप से स्पष्ट संदेश दिया जा रहा है कि मेरा न तो कोई अस्पताल या क्लीनिक है और न ही मेरा कोई सहायक है। दूसरी ओर पेशेंट्स की संख्या लगातार बढती ही जा रही है। इस कारण मेरे यहां पेशेंट्स की 1 से डेढ महीना की वेटिंग लिस्ट हमेशा पेंडिग रहती है। जो पेशेंट मेरी कड़वी, किंतु वास्तविक बातों को समझ और स्वीकार करने के साथ-साथ धैर्यपूर्वक इंतजार करने और मुझ से उपरोक्तानुसार उपचार करवाने के लिये सहमत हो जाते हैं। उनको स्वस्थ करने की मैं सम्पूर्ण कोशिश करता हूं। यद्यपि परिणाम तो प्रकृति (जिसे अधिकतर लोग ईश्वर मानते हैं) पर ही निर्भर करते हैं। उपचार लेने की शुरूआत करने से पहले जानें-

1. मैं पेशेंट को उपचार प्रक्रिया की सारी बातें मेरे हेल्थकेयर वाट्सएप 8561955619 पर लिखित में क्लीयर कर देता हूं।
2. सारी बातों को जानने, समझने और सहमत होने के बाद, पेशेंट को दो महीना के अनुमानित चार्जेज बैंक खाते में अग्रिम/एडवांश जमा करवाने होते हैं।
3. इसके बाद पेशेंट के लक्षणों और बीमारी के बार में पेशेंट से कम से कम 30-40 मिनट मो. पर विस्तार से जानकारी प्राप्त करता हूं।
4. पेशेंट के लक्षणों और उसकी सभी तकलीफों के विवरण के आधार पर प्रत्येक पेशेंट का विश्लेषण करके, पेशेंट के लिये वांछित ऑर्गेनिक देसी जड़ी-बूटियों तथा होम्योपैथिक व बायोकेमिक दवाइयों की सूची बना करके, दवाइयों का कुल अंतिम मूल्य निर्धारण किया है।
5. अंतिम मूल्य निर्धारण के बाद यदि कोई बकाया राशि पेशेंट से लेनी हो तो उसके बारे में पेशेंट को वाट्एसप पर सूचित किया जाता है। शेष राशि जमा करने के बाद, पेशेंट को उसके बताये पत्राचार के पते पर भारतीय डाक सेवा से रजिस्टर्ड पार्सल के जरिये दवाइयां भिजवादी जाती हैं।
6. पेशेंट को हर 7 दिन में अपनी हेल्थ रिपोर्ट मेरे हेल्थकेयर वाट्सएप पर भेजनी होती है।
7. 40 दिन की दवाइयों का सेवन करने के बाद पेशेंट को हमसे बात करनी होती है और आगे दवाइयां जारी रख्ना जरूरी होने पर 20 दिन एडवांश आगे की दवाई का मूल्य जमा करना होता है। जिससे दवाई सेवन में बीच में गैप/अंतरल नहीं होने पाये।

 
आदिवासी ताऊ डॉ. पुरुषोत्तम लाल मीणा, संचालक निरोगधाम, जयपुर। पराम्परागत उपचारक एवं काउंसलर, हेल्थकेयर वाट्सएप: 8561955619 बात केवल 10 से 18 बजे के मध्य। 18.01.2020, संपादन दिनांक: 22.01.2020.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *