तुलसी-Tulsi-Basil के औषधीय गुण

 
तुलसी-Tulsi-Basil के औषधीय गुण
डॉ. पुरुषोत्तम लाल मीणा
स्वास्थ्य परामर्श हेतु मेरा हेल्थ वाट्सएप: 8561955619
 
सावधानी: तुलसी गुणकारी हैं, लेकिन कुछ गम्भीर बीमारियों में इसका सेवन डॉक्टर की सलाह से ही करें। गर्भावस्था और रक्त स्राव वाली स्थिति में तुलसी का उपयोग नहीं करना चाहिए।

मात्रा:

  1. स्वरस: 1 से 2 मिलीलीटर तक।
  2. बीजचूर्ण: 100 से 500 मिलीग्राम।
  3. पंचांगचूर्ण: 1 से 5 ग्राम।
  4. पत्ता: बड़ा हो तो 1 अन्यथा छोटे हों तो 2-3 तक। 

सावधानी:
1. कार्तिक माह में तुलसी का सेवन वर्जित है।
2. तुलसी के साथ पान का सेवन नहीं करें।
3. तुलसी का सेवन करने के बाद दूध नहीं पियें।
4. बीजों का अधिक मात्रा में सेवन नहीं करें।
5. हानि निवारणार्थ गुलाब या गुलकंद का सेवन करें।

 
धार्मिक अनुष्ठानों में उपयोग करने के कारण नहीं, बल्कि स्वास्थ्य रक्षक होने के कारण भी तुलसी एक अनुपम पौधा है। चर्म रोग, दमा, टीबी, पथरी, यौन समस्या जैसी अनेकों बीमारियों के उपचार में ‘तुलसी’ औषधि का कार्य करती है| तुलसी का हर हिस्सा औषधीय रूप में उपयोगी है। तुलसी के पत्ते, बीज और जड़ में रोगनाशक क्षमता होती है। तुलसी का पौधा वातावरण में फैले विषाणुओं और अशुद्धियों का नाश कर देता है।
 
विज्ञान द्वारा शोधित गुण: तुलसी में एंटीऑक्सीडेंट, एंटीबैक्टीरियल और जीवाणुरोधी गुण होते हैं। इसके अलावा तुलसी में मैग्नीशियम, कैल्शियम, विटामिन-ए, आयरन, विटामिन-सी प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं।
 
तुलसी के औषधीय गुण:
 
1. रोग प्रतिरोधक क्षमता बढाये: तुलसी हमारे शरीर के इम्यून सिस्टम यानी रोगों से लड़ने की ताकत को मजबूती प्रदान करती है। जिससे हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। तुलसी हमारे शरीर के लिए जरूरी पोषक तत्वों का अमूल्य भंडार है। सामान्य स्थिति में भी यदि इसका सेवन करते रहें तो छोटी मोटी बीमारियां तो आस पास भी नहीं फटकती हैं।
 
2. सर्दी-जुकाम: जैसे ही मौसम बदलता है, हम में से अनेकों को सर्दी जुकाम होना एक सामान्य की परेशानी होती है। इसमें में तुलसी के पत्ते लाभकारी होते हैं। सर्दी जुकाम होते ही तुलसी के चार पत्ते और अदरक मिलाकर दूध की चाय बनायें। दिन में 2 से 3 बार इस चाय के सेवन करने से सर्दी जुकाम में तुरंत आराम मिलता है। यदि हल्का सा बुखार भी महसूस हो रहा हो तो उसमें भी इस चाय से अवश्य आराम मिलेगा।
 
3. डेंगू एवं मलेरिया: हम सभी जानते हैं कि विश्व में सर्वाधिक मौतों का कारण मच्छर होते हैं और मच्छरों की वजह से डेंगू मलेरिया जैसी जानलेवा बीमारियां खूब पनप रही हैं। तुलसी के पौधे में डेंगू और मलेरिया से लड़ने की अपार शक्ति होती है। तुलसी की पत्तियों का रस लें और इसमें काली मिर्च का पाउडर मिला लें। अब इसे मलेरिया से पीड़ित व्यक्ति को चटायें, इससे रोगी को तुरंत आराम मिलेगा। इसके अलावा घरों में तुलसी का पौधा अवश्य लगायें। क्योंकि तुलसी की गंध से मच्छर दूर भागते हैं।
 
4. दस्त: दस्त की समस्या किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकती है। जब भी किसी को दस्त हो जायें तो तुलसी के 5 पत्ते और थोड़ा सा जीरा लें। इन दोनों को पीसकर चूर्ण बना लें, इस चूर्ण को दिन में 3 बार चाटने से दस्तों में आराम मिल जाता है।
 
5. मुंह के छाले: अगर मुंह में छाले हो गये हैं, तो सुबह खाली पेट तुलसी के चार पत्ते चबा लें। दो-तीन दिन में ही आपके छालों की समस्या खत्म हो जायेगी।
 
6. कमर-दर्द: जिन महिलाओं या पुरुषों को हमेशा कमर में दर्द बना ही रहता है और कई प्रकार की दवाइयों के सेवन के बाद भी कमर दर्द ठीक ना हो रहा हो तो आप तुलसी का इस्तेमाल अवश्य करें। तुलसी के कुछ बीज लें और उसमें समान मात्रा में सौंठ पाउडर मिला लें। अब किसी बर्तन में एक गिलास पानी लें और तुलसी के बीज एवं सौंठ उसमें डालकर धीमी आंच पर तब तक उबालें, जब काढ़ा बनकर तैयार न हो जाये। इस काढ़े का नियमित रूप से सेवन करें। इस काढ़े का एक हफ्ते सेवन करने से पुराने से पुराना कमर दर्द भी दूर हो जाता है।
 
7. दाद-खाज-खुजली: शरीर के किसी भी हिस्से में अगर दाद-खाज-खुजली की समस्या है तो एक चम्मच तुलसी का रस लेकर, उसमें एक चम्मच नींबू का रस मिला लें। अब इस लेप को दाद, खाज और खुजली वाली जगह पर लगाने से खुजली में बहुत आराम मिलेगा।
 
8. कील-मुंहासे: चेहरे पर कील या मुंहासे हो जायें तो तुलसी के पांच पत्ते लेकर, उनको कुचलकर उनका लेप बना लें और अब इस लेप में तीन से चार बूंद नींबू का रस मिला लें। इस लेप को अच्छे से मिक्स करके मुंहासों वाली जगह पर लगायें और सूखने के बाद में साफ पानी से कोमलता से चेहरा धो लें। कुछ ही दिनों में आपको आश्चर्यजनक परिणाम दिखने लगेंगे।
 
9. यौन रोग: पुरुषों से जुड़े समस्त यौन रोगों के इलाज के लिए तुलसी एक अमूल्य औषधी है। जिन लोगों को स्वप्नदोष, वीर्य पतलापन, शीघ्रपतन, नपुंसकता जैसी समस्याएं हों उनको तुलसी के उपयोग की जानकारी अवश्य होनी चाहिए। तुलसी की बीज और जड़, यौन रोगों में सबसे ज्यादा काम में आते हैं। तुलसी के बीजों का बारीक चूर्ण बना लें और रोजाना 2 ग्राम चूर्ण को पुराने गुड़ के साथ खायें और ऊपर से एक गिलास दूध पी लें। रोजाना सुबह-शाम नियमित रूप से ऐसा करने से वीर्य की दुर्बलता और नपुंसकता खत्म हो जाती है। जिन लोगों को स्वप्नदोष की शिकायत है, वे तुलसी की जड़ को पानी में तेज आंच पर गर्म करके इसका काढ़ा बना लें। इस काढ़े की 4 चम्मच सोने से पहले लेने से स्वप्नदोष की समस्या दूर हो जाती है।
 
10. शुगर नियंत्रक: जिनको शुगर की बीमारी है और, या जिनकी शुगर हमेशा बढ़ी हुई रहती है तो उनको सुबह के समय खाली पेट 4 तुलसी के पत्ते रोजाना चबाने से शुगर हमेशा नियंत्रण में रहती है। इस प्रकार तुलसी शुगर को भी कण्ट्रोल करती है। इसके अलावा तुलसी के एंटीऑक्सीडेंट तत्व रोगों से लड़ने की क्षमता यानी रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढाते हैं। शोधों से सिद्ध हुआ हैं कि टाइप 2 मधुमेह वाले रोगियों में तुलसी का अर्क रक्त शर्करा को कम करने में सहायक होता है। अगर किसी को मधुमेह है तो रोजाना तुलसी की कुछ पत्तियाँ सुबह खाली पेट खाएं और स्वस्थ रहें।
 
11. पथरी: वर्तमान में अप्राकृतिक जीवनशैली एवं अनुचित खानपान की वजह से किडनी में पथरी होना एक आम समस्या बन चुकी है| दरअसल किडनी में यूरिक एसिड के बढ़ने की वजह से ही पथरी का जन्म होता है। सौभाग्यवश, तुलसी की पत्तियों में यूरिक एसिड का असर कम करने की क्षमता पायी जाती है। इसलिए तुलसी को पथरी के इलाज में भी काम में लिया जाता है। तुलसी की पत्तियों को इकठ्ठा करके इनका रस निकाल लें। इस रस में थोड़ा शहद मिला लें। कम से कम 6 महीने तक इस मिश्रण को जरूर पियें। इसके सेवन से पथरी का दर्द दूर होता है और बिना आपरेशन के ही पथरी बाहर निकल जाती है। इसके साथ-साथ तुलसी में गुर्दों को मज़बूत बनाने वाले गुण भी पाये जाते हैं।
 
12. बुखार: जब कभी बुखार आये तो चाय में तुलसी के पत्ते डालकर पियें इससे बुखार में बहुत आराम मिलता है और बच्चों को बुखार हो तो तुलसी के पत्ते और भी ज्यादा बेहतरीन कार्य करते हैं। आधा लीटर पानी लेकर उसमें इलायची पाउडर और तुलसी की कुछ पत्तियां डालकर उबालें। जब पानी आधा रह जाये तब तक उसे उबालते रहें। इस प्रकार आपका काढ़ा बनकर तैयार हो जायेगा| अच्छे स्वाद के लिए इसमें दूध और शक्कर भी मिला सकते हैं। अब बुखार से पीड़ित व्यक्ति को यह काढ़ा पिलायें, इससे बुखार का असर कम होने लगेगा।
 
13. बुखार और साथ में कब्ज: जिस किसी को बुखार के साथ कब्ज भी हो तो काली तुलसी का स्वरस (10 ग्राम) एवं गौ घृत (10 ग्राम) दोनों को एक कटोरी में गुनगुना करके इस पूरी मात्रा को दिन में 2 या 3 बार लेने से बुखार के साथ-साथ कब्ज भी मिट जाती है।
 
14. यूरिक एसिड नियंत्रक: अनेक लोगों के रक्त में यूरिक एसिड की मात्रा बढ जाती है। जिसके कारण दूसरी अनेक समस्याओं के साथ-साथ जोड़ों में सूजन और दर्द की समस्या उत्पन्न हो जाती है। जैसा कि ऊपर लिखा गया है कि तुलसी की पत्तियों में यूरिक एसिड का असर कम करने की क्षमता पायी जाती है। अत: नियमित रूप से तुलसी का सेवन करने से बढी हुई यूरिक एसिड और यूरिक एसिड के कारण होने वाली सभी तकलीफों से मुक्ति मिल जाती है। तुलसी जोड़ों के दर्द को कम करने में बहुत ही कारगर है। रोजाना तुलसी के 5 पत्ते खाने से जोड़ों की सूजन कम होती है और दर्द में कमी आती है।
 
15. जल शुद्धिकरण: अनेक कारणों से वर्तमान में पीने का पानी हर जगह दूषित हो चुका है| पानी में केमिकल की मात्रा इतनी अधिक बढ़ चुकी है कि आज शुद्ध जल मिला मुश्किल होता जा रहा है। तुलसी के पत्तों में एंटीबैक्टीरियल शक्ति पायी जाती है। जिसकी वजह से यह पानी को शुद्ध करने में भी मदद करता है। एक गिलास पानी लेकर उसमें 3-4 तुलसी के पत्ते डाल दें। इससे तुलसी पानी से अशुद्धियों को दूर कर देती है।
 
16. सिर दर्द: विभिन्न मानसिक कारणों और जीवनशैली में आये बदलाव के कारण वर्तमान में सिरदर्द की समस्या आम सी हो गयी है। जिसकी वजह से कुछ लोग तो हमेशा अपने साथ सिर दर्द की दवाई लेकर ही चलते हैं। घर में रहने वाली माता-बहनें भी सिरदर्द से बहुत पीड़ित रहती हैं। सिरदर्द से निजात पाने हेतु तुलसी की पत्तियों का रस निकालकर उसमें थोड़ा सा कपूर मिला लें। अब इन दोनों को मिलाकर लेप बना लें और सिर पर इससे मालिश करें। आपका तेज सिर दर्द कुछ ही देर में छू मंतर हो जायेगा।
 
17. हृदय रोग: समस्त प्रकार के हृदय रोगों के इलाज में तुलसी बहुत उपयोगी है। तुलसी की 8 से 10 पत्तियां, पांच काली मिर्च और चार बादाम गिरी लेकर सबको मिक्स करके पीस लें। अब इस मिश्रण में एक चम्मच शहद मिलायें और आधा गिलास ताजा पानी के साथ इसे लेने से हृदय रोग की समस्याएं दूर हो जाती हैं। एक शोध में यह पाया गया है कि तुलसी में मौजूद कई तत्व लो कोलेस्ट्रॉल एलडीएल को कम करने में सहायक होते हैं। तुलसी आपके हृदय और आपको तनाव पूर्ण स्थिति में मानसिक शांति प्रदान करती है।
 
18. दमा एवं क्षय: चरक संहिता में तुलसी को दमा की दिव्य औषधि बताया गया है। चरक संहिता, आयुर्वेद का एक प्रसिद्ध ग्रंथ है। तुलसी के पत्तों का सेवन करने वाले व्यक्ति को जीवन में कभी दमा एवं टीबी की बीमारी हो ही नहीं सकती, क्योंकि तुलसी रोग फैलाने वाले जीवाणुओं का नाश करती है और यह बीमारी के जिम्मेदार कारक जीवाणुओं को बढ़ने से रोकती हैं। जिन लोगों को दमा या क्षय यानी टीबी रोग हो गया है, उन्हें तुलसी की पत्तियां चबाना चाहिए और तुलसी के पत्तों का अर्क निकालकर उसका सेवन करना चाहिए।
 
19. बबासीर: जिस किसी भी व्यक्ति को खूनी बबासीर हो जाये तो उसको कितनी परेशानियों का सामना करना पड़ता है, यह कोई भुक्तभोगी ही बता सकता है। तुलसी बबासीर के इलाज का बेहद कारगर उपाय है। तुलसी के बीजों को बारीक पीसकर इनका चूर्ण बना लें। अब इस चूर्ण को ताजा दही के साथ मिलाकर खायें। इससे बबासीर में आराम मिलेगा, रोजाना इस नुस्खे के इस्तेमाल से बबासीर जड़ से खत्म हो जाता है।
 
20. रौशनी बढ़ाने में सहायक: आँखों के रोग विटामिन-ए की कमी से होते हैं। आँखों का अंधापन, रतौंधी जैसी बिमारियों के लिए तुलसी एक रामबाण औषधि का कार्य करती है। तुलसी का रस आँखों के लिए वरदान से कम नहीं है। तुलसी की पत्तियों का रस आँखों में सुबह-शाम डालें इससे आँखों की रौशनी तेज होती है। आँखों में तुलसी के रस को काजल की तरह इस्तेमाल करने से आँखों का लाल होना और रतौंधी की समस्या खत्म हो जाती है।
 
21. अनियमित माहवारी: अक्सर महिलाओं को माहवारी में अनियमितता की शिकायत होती देखी जाती है। ऐसी महिलाओं को तुलसी के बीज का इस्तेमाल करना फायदेमंद होता है। मासिक चक्र की अनियमितता को दूर करने के लिए तुलसी के पत्तों का भी नियमित किया जा सकता है।
 
22. सांस की दुर्गंध: सांस की दु्र्गंध को दूर करने में भी तुलसी के पत्ते काफी फायदेमंद सिद्ध होते हैं और तुलसी नेचुरल यानी प्राकृतिक औषधि होने के कारण इसका कोई साइडइफेक्ट भी नहीं होता है। अगर किसी के मुंह से बदबू आ रही हो तो तुलसी के कुछ पत्तों को चबा लें। ऐसा करने से दुर्गंध चली जाती है।
 
23. चोट का घाव: अगर कहीं चोट लगकर घाव बन गया हो तो तुलसी के पत्ते को फिटकरी पाउडर के साथ मिलाकर लगाने से घाव जल्दी ठीक हो जाता है। चूंकि तुलसी में एंटी-बैक्टीरियल तत्व होते हैं जो घाव को पकने नहीं देता है। इसके अलावा तुलसी के पत्ते को तेल में मिलाकर लगाने से जलन भी कम होती है।
 
24. उच्च रक्तचाप: तुलसी की 4-5 पत्तियों और नीम की दो पत्तियों को, 2-4 चम्मच पानी में घोंटकर पांच-सात दिन प्रातः खाली पेट सेवन करें, इससे उच्च रक्तचाप ठीक होता है।
 
25. सर्प विष: तुलसी की जड़ में सांप का जहर खत्म करने के गुण होते हैं। अगर किसी को सांप ने काट लिया है तो तुरंत तुलसी की जड़ लें और मक्खन के साथ घिसकर उसका लेप सांप काटे वाली जगह पर लगा दें। धीरे-धीरे तुलसी की जड़ सांप के जहर को शरीर से बाहर खींचती जाती है। जब पूरा जहर बाहर निकल आता है तो लेप सफेद से काला पड़ जाता है। इस प्रकार तुलसी सांप काटने पर भी औषधि का कार्य करती है।
 
कुछ अन्य लाभ:
 
(1) खांसी के कारण गला बैठ गया हो तो तुलसी की हरी पत्तियों को आग पर सेंक कर नमक के साथ खाने से खांसी तथा गला बैठना ठीक हो जाता है।
 
(2) तुलसी पित्तनाशक, वातनाशक, कुष्ठरोग निवारक, पसली में दर्द, खून में विकार, कफ और फोड़े-फुन्सियों के उपचार में रामबाण की तरह फायदा करती है।
 
(3) हिचकी: कड़वी और तीखी तुलसी सांस, कफ और हिचकी को तुरन्त मिटा देती है।
 
(4) बाल: तुलसी के पत्तों और आंवले को बारीक पीस लें फिर इसे मिला लें। अब इसे बालों पर मलें, बालों पर मलने से बालों का गिरना या बालों का असमी सफ़ेद होना रुक जाता है। यह पेस्ट डेढ़ महीने तक हर हफ्ते में तीन दिन बालों पर मलें।
 
(5) पीलिया: दो चम्मच तुलसी रस, एक कप मूली रस, गुड़ के साथ मिलाकर पीने से पीलिया रोग में राहत मिलती हैं।
 
(6) वजन: शरीर के वजन को नियंत्रित रखने हेतु तुलसी अत्यंत गुणकारी है। इसके नियमित सेवन से भारी व्यक्ति का वजन घटता है एवं पतले व्यक्ति का वजन बढ़ता है यानी तुलसी शरीर का वजन आनुपातिक रूप से नियंत्रित करती है।
 
(7) हीमोग्लोबीन वर्धक: तुलसी रक्त अल्पता के लिए रामबाण दवा है। नियमित सेवन से हीमोग्लोबीन तेजी से बढ़ता है, स्फूर्ति बनी रहती है।
 
(8) एसिडिटी-अल्सर: तुलसी आपके पेट में बनने वाली एसिड की मात्रा को संतुलित करता है। अगर आप रोज़ाना सुबह ख़ाली पेट कुछ पत्तियाँ तुलसी की चबा कर खाएं तो आपको एसिडिटी की तकलीफ़ से छुटकारा मिल जायेगा और पेट के अल्सर से भी बचाव होगा।
 
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Written on: 15.07.2019, Edited on: 01.04.2020 & 07.05.2020

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