बिना ऑपरेशन नॉर्मल डिलीवरी आपका हक-Without operation normal delivery is your Right

 

बिना ऑपरेशन नॉर्मल डिलीवरी आपका हक
Without Operation Normal Delivery is Your Right

यदि आप मां बनने जा रही हैं तो बिना ऑपरेशन स्वस्थ शिशु को जन्म देना आपका और बिना ऑपरेशन जन्म लेना आपके शिशु का प्राकृतिक हक है। होम्योपैथी का ‘प्रसव सुरक्षा चक्र’ इसमें आपकी मदद करता है। ‘प्रसव सुरक्षा चक्र’ अपनाने के बाद आपको नॉर्मल डिलीवरी ही होगी। हां इसे 100ः पक्का करने के लिये इस लेख को बार-बार पढें और लेख में बतायी गयी बातों को अपने अंतरमन में उतारें।

आदिवासी ताऊ डॉ. पुरुषोत्तम लाल मीणा

1-यदि आप पहली बार मां बनने जा रही हैं तो आपको निरोगधाम, जयपुर परिवार की ओर से ‘प्रसव सुरक्षा चक्र’ Pregnancy Safe-Guard अपनाने और मां बनने की अग्रिम बधाई तथा शुभकामनाएं।

2-खुशी का विषय है कि अभी तक प्रथम गर्भ धारण के 3 माह के अंदर-अंदर जिन-जिन गर्भिणियों ने ‘प्रसव सुरक्षा चक्र’ को अपनाया, उनमें से 99% से अधिक को ठीक समय पर, प्राकृतिक रीति से बिना ऑपरेशन सामान्य प्रसव यानी नॉर्मल डिलीवरी होती रही हैं।

3-जिन स्त्रियों ने पहली या दूसरी बार ऑपरेशन के जरिये बच्चे को जन्म दिया, उनमें से भी जिन्होंने दूसरी या तीसरी बार गर्भ धारण के 3 माह के अंदर-अंदर ‘प्रसव सुरक्षा चक्र’ को अपनाया, उनमें से भी 90% से अधिक गर्भिणियों को ‘प्रसव सुरक्षा चक्र’ अपनाने/लेने के बाद नॉर्मल डिलीवरी हुई हैं।

4-इसलिये आशा ही नहीं, बल्कि पूर्ण विश्वास है कि ‘प्रसव सुरक्षा चक्र’ अपनाने वाली प्रत्येक स्त्री को और आपको भी नार्मल डिलीवरी ही होगी और आप एक स्वस्थ तथा तंदुरुस्त शिशु को जन्म देंगी।

5-जिन स्त्रियों का प्रथम प्रसव सिजेरियन यानी ऑपरेशन के जरिये हुआ, लेकिन जिन्होंने दूसरी और, या तीसरी बार ‘प्रसव सुरक्षा चक्र’ अपनाया है, उन सभी को अपने दिलोदिमांग से इस असत्य तथा खतरनाक विचार को निकाल भगाना होगा कि “पहले डिलीवरी ऑपरेशन से हुई थी, इसलिये अगली बार भी ऑपरेशन से ही डिलीवरी होगी।” यदि आप ऐसा सोचती रहेंगी कि “पहले डिलीवरी ऑपरेशन से हुई थी, इसलिये अगली बार भी ऑपरेशन से ही डिलीवरी होगी।” तो ‘प्रसव सुरक्षा चक्र’ लेना बेकार होगा और नार्मल डिलीवरी होना लगभग असंभव हो जायेगा। या आप पहली बार मां बनने जा रही हैं तो आपको अपने दिलोदिमांग से इस विचार को निकालना होगा कि “आजकल तो डिलीवरी ऑपरेशन से होती हैं, इसलिये मुझे भी ऑपरेशन से ही डिलीवरी होगी।” यदि आप ऐसा सोचती रहेंगी तो ‘प्रसव सुरक्षा चक्र’ लेना बेकार होगा और नार्मल डिलीवरी होना लगभग असंभव हो जायेगा।

6-यहां पर मैं आपको बतलाना जरूरी समझता हूं कि जो स्त्री पहली बार मां बनने जा रही हैं या जिन स्त्रियों की पिछली डिलेवरी ऑपरेशन से हुई, उनको मेरी ओर से ‘प्रसव सुरक्षा चक्र’ अपनाने के साथ-साथ निम्न जरूरी परामर्श भी दिया गया था। जिसे उन्होंने ज्यों का त्यों माना और अपने जीवन में अपनाया। परिणामस्वरूपर उन्होंने सामान्य प्रसव के जरिये स्वस्थ तथा तंदुरुस्त शिशु को जन्म दिया। इसलिये आपको भी सलाह दी जाती है कि आप निम्न सभी 15 महत्वपूर्ण बातों को बार-बार पढकर ठीक से समझ लें। समझ में नहीं आयें तो अपने पति या किसी शिक्षित एवं समझदार व्यक्ति की मदद लेकर समझ लें और निम्न सभी बिंदुओं को ध्यानपूर्वक बारम्बार पढकर या पढवाकर समझकर इन्हें 100 फीसदी सच मानकर अपने अंतर्मन में बिठा लें:-

(1) अवचेतन मन का सिद्धांत:
आप जिस किसी भी सही या गलत या भ्रामक बात तथ्य या दुष्प्रचार पर आसानी से विश्वास करके उसे सही और स्वाभाविक मान कर स्वीकार कर लेते हैं, वह बात आपके दिलोदिमांग यानी आपके अंतर्मन यानी आपके अवचेतन मन (Subconscious Mind) में उसी रूप में बैठ कर, आपके अवचेतन मन में सुस्थापित यानी पक्की हो जाती है और जिस बात पर आप विश्वास कर लेते हैं, वह आपके जीवन में निश्चित रूप से घटित और, या फलित होने लगती है। अर्थात जिस किसी भी बात या विचार को आप भ्रामक, सच या गलत मान लेते हैं, उसका आपके जीवन में भ्रामक, सच या गलत के रूप में प्रकट या घटित होना शुरू हो जाता है। उसे दवाइयों के जरिये रोका नहीं जा सकता। इसलिये किसी भी बात को भ्रामक, सच या गलत मानने से पहले उसकी वास्तविकता को अवश्य जानें और वास्तविकता को जानने तथा परखने के बाद उसे सही या गलत मानकर ही उस पर विश्वास करें। अन्यथा बिना जानें किसी बात को सही या गलत मानकर अवचेतन मन में बिठा लेने से ​केवल खुद आपका ही नहीं, बल्कि आपके परिवारजनों का और आप से जुड़े समस्त लोगों का जीवन छिन्न-भिन्न होकर बिखर जायेगा। संक्षेप में अवचेतन मन का सिद्धांत यही है।

(2) आपका अंतर्मन यानी अवचेतन मन, आपके दिल की धड़कन, आपके रक्त के संचार, आपकी दैनिक गतिविधियों, आपकी खाने-पीने की आदतों और आपके मस्तिष्क को व्यवस्थित, संचालित और नियंत्रित करता है।

(3) आपका अवचेतन मन ही आपके पाचन तंत्र (लीवर, आंतों आदि को) और मल-मूत्र उत्सर्जन प्रणाली (किडनी, मूत्राशय, मूत्रेन्द्रीय आदि) का सुचारू संचालन करता है और आपके भोजन को निर्धारित प्रक्रिया से मांसपेशियों, ऊतकों/कोशिकाओं, हड्डियों, प्रोटींस, विटामिन, मिनरल्स, रस, रक्त, वीर्य आदि में रूपांतरित करता है।

(4) आपका अवचेतन मन ही आपके शरीर के सभी प्रकार के अनिवार्य, जरूरी तथा गैर जरूरी कार्यों और सभी प्रकार की प्रक्रियाओं को नियंत्रित, संचालित या बाधित करता है।

(5) आपका अवचेतन मन न कभी आराम करता है और न कभी सोता है। बल्कि यह चौबीसों घंटे आपके लिये अनुशासित सिपाही के रूप में  वांछित (जरूरी) गति (स्पीड-Speed) से बिना रुके और बिना थके निरंतर काम करता ही रहता है।

(6) आपके या किसी के भी बारे में आपकी जो भी भ्रामक, अच्छी या बुरी राय या निष्कर्ष या जानकारी या सूचना है, वही राय या निष्कर्ष आपके अवचेतन मन में स्थायी रूप से स्थापित हो जाते/जाती हैं और उसी के मुताबिक और उसी दिशा में आपका अवचेतन मन पूर्वाग्रही (Preferential or Prejudice or Bias) होकर काम करने लगता है।

(7) आप अपने अवचेतन मन में जिन बातों और जिन विचारों को सच या गलत मानकर बिठा लेते हो, यानी जिन बातों को अवचेतन मन में स्थापित कर लेते हो, आपका अवचेतन मन उन सभी बातों को हकीकत में साकार करने में अपनी पूरी ताकत लगा देता है।

(8) आप अपने अवचेतन मन पर जैसी (भ्रामक, नकारात्मक, सकारात्मक, रचनात्मक या विध्वंशक) छाप छोड़ते हैं, आपका अवचेतन मन उस छाप को उसी रूप में सच एवं सही मानकर स्वीकार कर लेता है। अवचेतन मन आप से बहस नहीं कर सकता।

(9) आप अपनी अवचेतन मन रूपी जमीन पर जैसे सही या गलत विचार और निष्कर्ष रूपी बीज बोयेंगे, वैसे ही विचार, निष्कर्ष और परिणाम पौधे, वृक्ष, फूल और फल आपके सामने और आपके जीवन में आते जायेंगे। यानी ‘जैसा भीतर, वैसा ही बाहर।’

(10) जब आप अपने मन की बातों को या किसी की भी बातों को सही मानकर, उन्हें सच या गलत मानकर अपने जीवन यानी अवचेतन मन में स्थापित कर लेते हैं तो आपका मस्तिष्क भी आपके अवेचतन मन के अनुरूप ही कार्य करने लगता है और जो कुछ आपके मस्तिष्क में होता है, वहीं आपके शरीर, आचरण, स्वभाव तथा जीवन में भी प्रकट होने लगता है। इसे आपके अवचेतन मन के सिवा, दूसरा कोई बाहरी व्यक्ति या दवा न रोक सकता है और न बदल सकता है।

(11) यदि आप उल्टे-सीधे, भ्रामक, ऊलजुलूल, विध्वंशक, नकारात्मक और बेसिर-पैर के विचारों को सही एवं सत्य मानकर अपने अवचेतन मन में स्थापित कर लेंगे तो आपका सम्पूर्ण जीवन उन्हीं के अनुकूल और उन्हीं के अनुरूप नकारात्मकता या भ्रामकता या विध्वंसकता से भर जायेगा। आपके जीवन में तनाव, चिंता, क्लेश, अवसाद, कष्ट और अनेक प्रकार के मानसिक तथा शारीरिक रोग भी प्रकट होने लगेंगे।

(12) यदि आप अपने अवचेतन मन में अच्छे, सच्चे, उच्च, मजबूत, आशावादी और सकारात्मक विचारों के बीज बोयेंगे तो आपको जीवन में खुशियां, सफलता, शांति, सम्मान और प्रतिष्ठा के फल मिलेंगे तथा आपका स्वास्थ्य लगातार अच्छा होता जायेगा/रहेगा।

(13) आपके शरीर में कोई भी बीमारी तब तक प्रकट नहीं हो सकती, जब तक वह आपके अवचेतन मन के माध्यम से, एक विचार के रूप में वह आपके मस्तिष्क में पहले से मौजूद यानी एक विचार के रूप में स्थापित नहीं होती हो।

(14) आपका मन जिस लक्ष्य को मुश्किल या असंभव मान देता है। आपके अवचेतन मन में भी उसकी प्राप्ति की मुश्किलात और असंभवता स्थापित हो जाती है। परिणामस्वरूप आपका मस्तिष्क भी उसे अस्वीकृत करके मुश्किल और असंभव मान लेता है। अंतत: आप जीवन में उस लक्ष्य को कभी भी हासिल नहीं कर पाते/कर सकते हैं।

(15) यदि आपको अपने जीवन को सफल बनाना है और शरीर को स्वस्थ रखना है तो आपके मन और अवचेतन मन के मार्फत, आपको अपने मस्तिष्क को भी स्वस्थ रखना ही होगा।

आगे पढने से पहले अपने आप से पूछें कि उपरोक्त बातें आपकी समझ में आयी या नहीं? यदि नहीं तो इन्हें समझने के लिये बार-बार पढें और समझें। हां यदि आपको उपरोक्त सभी बातें समझ में आ गयी हैं तो अब आप से मुझे यह कहना है कि आप अपने मन में एक क्षण के लिये भी यह नहीं सोचें कि ”एक बार ऑपरेशन से डिलीवरी होने पर, हर बार ऑपरेशन से ही डिलेवरी होती है या अन्य स्त्रियों की ऑपरेशन से डिलीवरी होने के कारण मुझे भी ऑपरेशन से ही प्रसव होगा।”

इस नाकारात्मक सोच के बजाय आपको दिन में जब भी मौका मिले सैकड़ों बार आप मन ही मन और संभव हो तो बुदबुदाते हुए निम्न बातों को दोहरायें-

(1) अपनी दादी-नानी की भांति मैं भी एक सम्पूर्ण स्त्री हूं।

(2) मैं एक स्वस्थ शिशु को जन्म दूंगी।
(3) मुझे नॉर्मल डिलीवरी होगी। मुझे सामान्य प्रसव होगा।

यदि आप ने उपरोक्त सभी बातों को समझकर, अपने जीवन में ज्यों का त्यों उतार लिया और नियमित रूप से ‘प्रसव सुरक्षा चक्र’ की होम्योपैथिक दवाइयों का भी सेवन किया तो आपकी डिलीवरी को नार्मल होने से कोई रोक नहीं सकता। अनंत शुभकामनाएं।

नोट: उपरोक्त तथ्यों या बातों को आप बार-बार पढें और समझकर अपने अंतरमन में उतारें। इसके बावजूद भी यदि इन्हें समझने में आपको कोई समस्या हो तो आप मुझ से एडवांस पेड काउंसलिंग (Advance Paid Counseling) प्राप्त कर सकती हैं।

आपका शुभचिंतक
आदिवासी ताऊ डॉ. पुरुषोत्तम लाल मीणा
प्रोफेशनल काउंसलर, होम्योपैथ एवं परम्परागत उपचारक
संचालक-निरोगधाम, जयपुर, राजस्थान!
मेरा हेल्थकेयर वाट्सएप नम्बर: 8561955619
(Only Urgent Call Between 10 AM to 18 PM)

अंतिम बार संपादन दिनांक: 15.01.2021

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