सिंहपर्णी-Dandelion-Sinhaparni in Hindi

 
 
सिंहपर्णी-Dandelion-Sinhaparni in Hindi
 
आदिवासियों में सिंहपर्णी का औषधीय उपयोग प्राचीन काल से ही होता आ रहा है। आर्युवेद के ग्रंथों में भी सिंहपर्णी की जड़ों, फूलों, पत्तों, तना आदि के गुणों के बारे में वर्णन मिलता है।
 
अनेक देशों में सिंहपर्णी की खेती भी की जाती है।
शहरों में रहने वाले सिंहपर्णी के पौधे घर पर गमलों में भी उगा सकते हैं।
 
Common Name: Dandelion:
  1. • Bengali: Pitachumki
  2. • Kashmiri: ھند Hand, ھندری Handri
  3. • Hindi: Dudhi, Baran, dudal, Dudh-batthal, Dudhal
  4. • Kannada: Kaadu shaavanthi
  5. • Ladakhi: ཧན Han
  6. • Malayalam: Dugddhapheni
  7. • Sanskrit: Dugdhapheni, Lootari, Payasvini
  8. • Telugu: Patri
  9. • Urdu: Bathur
  10. • Nepali: टुकी फूल Tukee Phool, दुधे झार Dudhe Jhaar, कर्णफुलि Karnaphuli, फुली झार Phulee Jhaar, टुक्नु Tuknu
  11. • वानस्पतिक नाम-Botanical Name: Taraxacum officinale Weber ex Wigg. Taraxacum officinale    Family: Asteraceae (Sunflower family-सूरजमुखी परिवार)
 
सिंहपर्णी का संक्षेप में औषधीय महत्व है।
सिंहपर्णी का उपयोग-

1. हर्बल दवा में संक्रमण, पित्त और यकृत की समस्याओं और मूत्रवर्धक के रूप में किया जाता है।

2. हर्बल चिकित्सा में हल्के रेचक/दस्तावर, भूख बढाने और पाचन में सुधार के लिये किया जाता है।

3. मच्छर से बचाने वाली क्रीम किया जाता है।

4. मस्सा के आदिवासी/लोकोपचार के लिए किया जाता रहा है।

5. यूरोप, उत्तरी अमेरिका और चीन में एक हर्बल उपचार के रूप में भी किया जाता रहा है।

 
सिंहपर्णी के सेवन से पहले सावधानियां
Precautions before intake of Sinhaparni-Dandelion in Hindi
 

1. सिंहपर्णी के रस या दूध से कुछ पेशेंट्स को खुजली, जलन और एलर्जी हो सकती है और इसलिए इसे अपनी आंखों से दूर रखना चाहिए। सिंहपर्णी का सेवन करने से कुछ लोगों को एलर्जी हो सकती है।

2. इसमें एक खास प्रकार का फाइबर इनुलिन (inulin) पाया जाता है, जिससे कुछ लोगों को एलर्जी होती है जो काफी भयानक हो सकती है। तो जब भी आप सिंहपर्णी को किसी भी रूप में सेवन करें, तो पहले थोड़ी मात्रा में लेकर सिंहपर्णी पर अपनी बाडी की प्रतिक्रिया-रिसपोंस देखें लें। अगर कोई नकारात्मक रिएक्टशन-प्रतिक्रिया नहीं होती है तो इस गुणकारी औषधी को प्रयोग करें और अनेकानेक बीमरियों से छुटकारा पाएं।

3. छोटे बच्चों तथा गर्भवती महिलाओं के लिए सिंहपर्णी का सेवन निषेध है।

4. यथासंभव सिंहपर्णी सीधे सेवन करने से बचें और इसे चाय या पानी में मिलाकर सेवन करें,

5.सिंहपर्णी केवल 1 से 2 ग्राम ही एक दिन में सेवन करें।

6. अधिक मात्रा में सिंहपर्णी सेवन से पेट दर्द, पेट सूखने, पेट गैस की समस्या का कारण बन सकता है।

7. सिंहपर्णी एक बहुत ही अच्छा मूत्रवर्धक होता है, लेकिन इसका अधिक मात्रा में सेवन करना नुकसानदायक हो सकता है। चिकित्सक से परामर्श करके ही प्रयोग करे। जिन्हें पहले से ही मूत्राधिक्य (Hyperdiuresis-हाइपरडिरेसिस, Diuresis-ड्यूरिसिस) की समस्या हो सिंहपर्णी का सेवन नहीं करें।

8. यकृत या पित्‍ताशय (liver or gallbladder) की थैली की समस्‍या वाले लोगों को सिंहपर्णी का सेवन करने से पहले अपने डॉक्‍टर से संपर्क करना चाहिए।

9. यह पाचन तंत्र को उत्‍तेजित करता है, जिसके परिणामस्‍वरूप कुछ लोगों के पेट में एसिड का अधिक उत्‍पादन हो सकता है। जो लोग पेट के अल्‍सर या गैस्ट्रिटिस आदि से ग्रसित हैं, उन्‍हें सिंहपर्णी का उपयोग करने से पहले अपने डॉक्‍टर से सलाह लेना आवश्‍यक होता है।

10. यह एक अच्‍छा मूत्रवर्धक होता है, लेकिन इसका अधिक मात्रा में सेवन करने से यह आपके द्वारा ली गई अन्‍य दवाओं के विसर्जन में भी वृद्धि कर सकता है।

11. यदि आप किसी विशेष प्रकार की दवाओं का सेवन करते हैं, तो इसका उपयोग करने से पहले अपने डॉक्‍टर से संपर्क करें, हो सकता है कि यह आपकी दवाओं के प्रभाव को कम कर दे।

औषधीय प्रयोज्य अंग-Medicinal Useable Parts:
ऑर्गेनिक सिंहपर्णी के फूल, जड़ पाउड़र, तना, पत्ता, बीज और पंचांग बहुत महंगे दामों में बाजार में बेची जाते हैं। यह अलग बात है कि बाजार में सिंहपर्णी का शुद्ध तथा ऑर्गेनिक मिलना बहुत कठिन है। इसी कारण औषधियों के गुणों के अनुसार परिणाम नहीं मिल पाते हैं।
 
सिंहपर्णी में पाए जाने वाले पोषक तत्व-Nutrients:
सिंहपर्णी की जड़, पत्तियां और फूल सभी खाने योग्य होते है, लेकिन इन सभी भागों का प्रयोग अलग-अलग बीमारियों में अलग-अलग रीति से किया जाता है। इसमें विभिन्न प्रकार के विटामिन्स और पोषक तत्व पाए जाते हैं। जैसे-फास्‍फोरस, मैंगनीज, विटामिन ए, जस्‍ता, विटामिन सी, आयरन, विटामिन बी (विटामिन B के सारे काम्प्लेक्स-Thiamin, Riboflavin, Niacin, Vitamin B6, and Folate), तांबा, विटामिन डी, कैल्शियम, विटामिन ई और पोटेशियम आदि की अच्‍छी मात्रा सिंहपर्णी में मौजूद रहती है। इन सब पोषक तत्वों के साथ साथ सिंहपर्णी में ऐसे कई घटक भी शामिल होते हैं जो हमें विभिन्‍न प्रकार के स्‍वास्‍थ्‍य लाभ दिलाने में मदद करते हैं। जैसे कि स्क्वाइटरपेन लैक्टोन (Squire pen lactone), टैराक्‍सस्‍टरोल (Taraxasterol), टैरेक्‍सरोल (Taraxerol), क्‍लोरोजेनिक एसिड (Chlorogenic Acid), और चिकोरिक एसिड (Chicoric Acid) आदि।
 
सिंहपर्णी के औषधीय फायदे
Medicinal Benefits of Sinhaparni-Dandelion in Hindi
 
1-पाचन Digestion में सहायक:
सिंहपर्णी जड़ का पाउडर या इसके पत्ते, तने या पंचांग को उबालकर सेवन करने से पाचन-तंत्र दुरुस्त रहता है। पेट की समस्त बीमारियों विकारों जैसे गैस, कब्ज, एसिडिटी, अपचन, लीवर विकार में सिंहपर्णी काढ़ा सेवन फायदेमंद है। फाईबर आहार आतों में पर्याप्त गति प्रदान करता है और कब्ज और डायरिया दोनों की ही स्थिति को नियंत्रित करता है। सिंहपर्णी पेट विकारों के लिए खास प्राकृतिक औषधि है।
 
2-लीवर की सुरक्षा-Lever Safety:
अधिक मात्रा में खट्टी चीज़े, नमक और शराब का सेवन करने से लीवर को बहुत अधिक नुकसान होता है और कई बार तो लीवर खराब भी हो जाता है। सिंहपर्णी का प्रयोग करने से यह लीवर से विषैले पदार्थों को बहार निकालने में मदद करता है और लीवर में हाइड्रेशन और इलेक्ट्रोलाइट के संतुलन में सुधार लाने का काम करती है।
 
3-पीलिया का उपचार-Treatment of Jaundice:
पीलिया लीवर का ही एक विकार है। जिसमें-
(1) लीवर अत्यधिक मात्रा में पित्तरस बनाना शुरू कर देता है जो कि खून में मिल जाता है।
(2) पित्तरस खून में मिलकर शरीर के मैटाबोलिज्म को गड़बड़ कर देता है। और
(3) अतिरिक्त पित्तरस को रोगी की आंखों और त्वचा के रंग से देखा जा सकता है, जो कि पीली हो जाती हैं।
पीलिया के उपचार में तीन चरण होते हैं।
(1) पहले लीवर को अतिरिक्त पित्तरस बनाने से रोकना।
(2) अतिरिक्त पित्तरस को शरीर से बाहर निकालना। और
(3) रोगी के शरीर में वायरल इन्फेकशन को रोकना।
सिंहपर्णी इन सभी चरणों में लाभकारी है। यह लीवर की हेल्थ को बनाए रखता है और पित्तरस के बनने को नियंत्रित करता है। मूत्रवर्धक होने के कारण यह मूत्र विसर्जन को बढाता है और मूत्र के रास्ते अतिरिक्त पित्तरस को बाहर निकाल देता है। सबसे बड़ी बात सिंहपर्णी में विटामिन-सी और ल्यूटीयोलीन मौजूद होने के कारण यह एक एंटीऑक्सीडेंट और रोगाणुनाशक की तरह वायरल इन्फेक्शन से लड़ता है। गन्ने के रस के साथ इसका सेवन करना अधिक लाभकारी होता है, क्योंकि यह शरीर में शुगर को प्रतिस्थापित (Replaced) करता है जो कि रोगी के शरीर में अतिरिक्त पित्तरस के कारण कम हो चुकी होती है। शुगर कम होने के कारण रोगी को थकान और कमजोरी हो जाती है। इस स्थिति को सिंहपर्णी ठीक कर देती है।
 
4-किडनी विकार-Kidney Disorder:
सिंहपर्णी एक मूत्रवर्धक जड़ी बूटी है जो बेकार नमक और अतिरिक्त बेशाब बाहर निकालने में गुर्दे की मदद करती है। साथ ही यह मूत्र प्रणाली में माइक्रोबियल विकास को रोकता है। सिंहपर्णी किड़नी विकार, किडनी में पथरी, किडनी फेल, किडनी डायलिसिस को रोकने में सक्षम है। सिंहपर्णी जड़, पत्ते, फूल, तना किडनी विकार के इलाज के लिए खास दवा मानी जाती है।
 
5-रोशनी बढ़ाये-Eyesight Increase:
सिंहपर्णी में बीटा कैरोटीन, आयरन, प्रोटीन अधिक मात्रा में मौजूद होते हैं। अत: सिंहपर्णी चाय और सिंहपर्णी काढ़ा सेवन करना आंखों की रोशनी तेज करने में सहायक होते हैं।
 
6-स्‍तन की सूजन कम करे-Reduce Breast Swelling:
पहली बार मां बनी स्त्रियों के लिए स्‍तनपान कराने की सबसे भयानक जटिलताओं में से एक है-स्‍तन की सूजन (Mastitis)। इसके लक्षणों में फ्लू के लक्षण, स्‍तन ऊतकों में गर्मी और दर्दनाक गांठ हो जाना शामिल हैं। सिंहपर्णी के रस का सेवन करने से टीएनएफ-अल्‍फा (TNF-alpha) के स्राव को कम किया जा सकता है, जो कि स्‍तन की सूजन का कारण होता है। यह उन महिलाओं के लिए एक विशिष्ट औषधि है, जो स्‍तन की सूजन के कारण अपने शिशु को दूध पिलाने में कठिनाई का सामना करती हैं।
 
7-मूत्र विकार-Urinary Infection Cure:
पेशाब रुक-रुक कर आना, पेशाब में जलन, पेशाब नली में दर्द और संक्रमण, अण्डाशय में दर्द आदि पेशाब विकार दूर करने में सिंहपर्णी सक्षम है। सिंहपर्णी अण्डाशय में माइक्रोबिलयमस, इन्फेक्शन/Urinary Infection (UTI) को रोकने ठीक करने में खास सहायक है। सिंहपर्णी सम्पूरक यानी Supplement की तरह असर करती है।
 
8-डायबिटीज-Diabetes-प्राकृतिक इंसूलिन-Natural Insulin:
आज के समय में लगभग 10 में से 4 लोगों को डायबिटीज याीनी मधुमेह अर्थात शुगर की समस्या होती ही है। सिंहपर्णी की जड़ डायबिटीज की समस्या होने पर बहुत लाभकारी होता है। यह पैंक्रियास को उत्तेजित करके इन्सुलिन के उत्पादन की क्रिया को नियंत्रित करती है, जिससे डायबिटीज की समस्या को समाप्त किया जा सकता है। सिंहपर्णी की जड़, तना, फूल डायबिटीज को नियत्रंण करने में सक्षम हैं। कहा जाता है कि सिंहपर्णी एक तरह से प्राकृतिक इंसूलिन-natural insulin का काम करती है।
 
9-हाई ब्लडप्रेशर नियंत्रक-High Blood Pressure Controller:
सिंहपर्णी के सेवन से पेशाब बहुत ज्‍यादा लगती है जो बढ़े हुए ब्‍लड प्रेशर को कम कर देता है। इसमें मौजूद फाइबर और पोटैशियम भी ब्‍लड प्रेशर को रेगुलेट करता है। हाई ब्लडप्रेशर में सिंहपर्णी सेवन सहायक है। सिंहपर्णी रस के काढ़े को नींबू के रस के साथ सेवन करना फायदेमंद है। सिंहपर्णी में पोटैशियम, मैग्नीशियम, फाइबर, आयरन काफी मात्रा में मौजूद है। सिंहपर्णी कोलेस्ट्राॅल नियत्रंण करने में भी खास सहायक है।
 
10-कोलेस्ट्रॉल नियंत्रक-Cholesterol Controller:
कोलेस्‍ट्रॉल हमारे शरीर के लिए हमेशा बुरा नहीं होता है। कोलेस्‍ट्रॉल वसा या मोम (Waxy or Fat) जैसा पदार्थ है जो पाचन में मदद करने के लिए शरीर के हार्मोन, विटामिन डी और यौगिकों का उपयोग करता है। हालांकि आपके रक्‍त में कम घनत्‍व वाले लिपोप्रोटीन (Lipoprotein) के उच्‍च स्‍तर एथेरोस्क्लेरोसिस (Atherosclerosis) का कारण बन सकता है जो कि कोलेस्‍ट्रॉल जमा होने के कारण धमनियों को संकीर्ण/सकड़ी और कठोर बनाता है। एक अध्‍ययन से पता चलता है कि सिंहपर्णी की जड़ों और पत्तों में खराब कोलेस्‍ट्रॉल (LDL) को कम करने और अच्‍छे कोलेस्‍ट्रॉल (Good cholesterol) को बढ़ाने की क्षमता होती है। जो एथेरोस्क्लेरोसिस के प्रभाव को कम करने में मदद करते हैं। कोलेस्ट्रोल सीधा हमारे दिल के स्वास्थ्य पर प्रभाव डालता है। जिससे हमें दिल से जुडी हुई कई बिमारियों का सामना भी करना पड़ सकता है। कोलेस्ट्रोल एक वसायुक्त पदार्थ होता है जिसका उत्पादन लीवर के द्वारा किया जाता है। यह तंत्रिका तंत्र की सुरक्षा में अहम भूमिका निभाता है, परन्तु जब इसकी मात्रा जरूरत से ज्यादा हो जाती है तो यह दिल के स्वास्थ्य पर प्रभाव डालता है। सिंहपर्णी का सेवन करने कोलेस्ट्रोल की मात्रा नियंत्रित होती है और जिससे दिल का स्वास्थ्य बेहतर बनता है।
 
11-रक्त शोधक-Blood Purifier:
सिंहपर्णी रक्त साफ करने में सहायक है। सिंहपर्णी का पंचांग सेवन करने से रक्त से विषाक्त पदार्थ/Toxic Substances नष्ट होकर शरीर से बाहर निकल जाते हैं।
 
12-त्वचा रोग-Skin Care:
प्राचीन समय से त्‍वचा को स्‍वस्‍थ्‍य रखने के लिए सिंहपर्णी की चाय का उपयोग किया जा रहा है। मगर आज की पीढी का दुर्भाग्य है कि वह सिंहपर्णी के फायदे नहीं जानती है। सिंहपर्णी का काढा एक्जिमा (Eczema), स्‍कर्वी, फोड़े, जीवाणु संक्रमण, जलन, मुँहासे आदि का उपचारक के रूप में जाना जाता है। इन सभी समस्‍याओं से बचने के लिए सिंहपर्णी में एंटीमाइक्रोबायल और एंटी-इन्‍फ्लामेट्री गुण मौजूद रहते हैं। यह भी माना जाता है कि सिंहपर्णी का उपयोग शरीर में हार्मोन विनियमन-Regulation में योगदान देता है। यह मुँहासों को दूर करने के साथ-साथ उम्र बढ़ने के लक्षणों जैसे धब्‍बे और झुर्रियों (Spots and Wrinkles) आदि को भी कम करता है। चेहरे त्वचा पर लम्बे समय से लगातार होने वाले खाज, खुजली, दाने, फुंसी दाग मिटाने में सिंहपर्णी फूल का पेस्ट सहायक है। सिंहपर्णी पेस्ट तेजी से त्वचा विकार दूर करने में सक्षम है। सिंहपर्णी मानव में रोगाणुओं और फंगस से होने बाली बीमारियों से रक्षा करता है। सिंहपर्णी का सेवन रक्त सेल्स/कोशिकाओं को दुरुस्त करने में सहायक है। सिंहपर्णी में एंटीऑक्सीडेंट, एंटीबायोटिक गुणों का मिश्रण होता है।
 
13-पित्त विकार-Bile Disorder:
पित्ताशय हमारे शरीर का एक छोटा सा अंग है जो लीवर के पास पाया जाता है।सिंहपर्णी काढ़ा सेवन करने से पित्ताशय में दर्द, पित्त थैली में संक्रमण, सूजन, पित्त नलिकाओं में ब्लौकेज आदि से मुक्ति मिलती है। पित्ताशय विकार रोगी के लिए सिंहपर्णी पौधे का सेवन अमृत औषधि का काम करता है। सिंहपर्णी पित्ताशय से जुडी समस्याओं को दूर करने में बहुत लाभकारी होता है। सिंहपर्णी पेप्टिक अल्सर, ऐसिडिटी और दस्त जैसी समस्याओं से छुटकारा दिलाने के साथ-साथ पित्त की थैली की समस्याओं और ब्लॉकेज से भी छुटकारा दिलाने में लाभदायक होता है।
 
14-सिंहपर्णी तेल-Oil:
सिंहपर्णी तेल बालों को जड़ मजबूत, सुन्दर और त्वचा को निखारने में खास भूमिका निभाता है। सिंहपर्णी तेल प्राकृतिक सुरक्षित गुणों का भरपूर भण्डार है। जोड़ों, गठिया दर्द में भी इसके तेल की मालिश दर्द निवारण करती है।
 
15-तनाव दूर करे- Relieve Stress:
हमारे अंदर की चयापचय-Metabolism प्रक्रियाओं के कारण और हमारे आसपास के वातावरण से प्राप्‍त अवांछित हानिकारक पदार्थ शरीर में फ्री रेडिकल्‍स को जन्‍म देते हैं। ये मुक्‍त कण आपके शरीर की कोशिका झिल्‍ली (Cell Membranes) को नुकसान पहुंचाते हैं जो कि शरीर की सूजन का कारण बनता है। यह तब होता है जब हमारे शरीर में मौजूद एंटीऑक्‍सीडेंट (Antioxidant) इन फ्री रेडिकल्‍स का मुकाबला नहीं कर पाते हैं तो इस स्थिति में ऑक्‍सीडेटिव तनाव (oxidative stress) बढ़ जाता है। कई अध्‍ययनों से यह प्रमाणित हो चुका है कि सिंहपर्णी में मजबूत एंटीऑक्‍सीडेंट गुण मौजूद हैं। अध्‍ययन बताते हैं कि सिंहपर्णी का सेवन करने से ऑक्‍सीडेटिव तनाव से संबंधित एथेरोस्‍क्‍लेरोसिस (Atherosclerosis) के प्रभाव को कम किया जा सकता है। आप अपने तनाव को कम करने के लिए सिंहपर्णी का सेवन कर सकते हैं।
 
16-रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाये-Improve Immunity System:
अध्‍ययनों से यह भी पता चलता है कि सिंहपर्णी हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली (Immune System) को मजबूत करती है और संक्रमण से लड़ती है। सिंहपर्णी पौधे के पत्‍ते, जड़ और फूल सभी खाने योग्‍य होते हैं, जिनमें हल्‍का कड़वा स्‍वाद होता है। सिंहपर्णी को आम तौर पर खाने और औषधीय उपयोग के लिए सुरक्षित माना जाता है। सिंहपर्णी का उपयोग कर हम अपनी प्रतिरक्षा को बढ़ा सकते हैं। सिंहपर्णी में एंटीऑक्सीडेंट, एंटीबायोटिक, फंगल, एंटीसेप्टिक गुण हैं, जो कि संक्रमण, वायरल, रोगाणुओं से बचाने में खास सहायक है। ठंडे मौसम में सिंहपर्णी और अदरक मिश्रण चाय पेय खास दवा का काम करती है।
 
17-कैंसर रोधक-Anti Cancer:
सिंहपर्णी सेवन रक्त सेल्स को दुरुस्त करने में सहायक है। सिंहपर्णी मानव की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने के साथ-साथ कैंसर के फैलने की गति को भी धीमा करने का काम करती है। सिंहपर्णी, कैंसर की ग्रोथ को धीमा कर देता है और आगे बढने से रोक देता है। इसकी पत्‍तियों में एंटीऑक्‍सीडेंट और Phytonutrients-फाइटोन्यूट्रिएंट्स (a substance found in certain plants which is believed to be beneficial to human health and help prevent various diseases-कुछ पौधों में पाया जाने वाला पदार्थ जो मानव स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद माना जाता है और विभिन्न रोगों को रोकने में मदद करता है) होते हैं जो कि कैंसर से लड़ने में मददगार होते हैं।
 
18-हड्डियों को मजबूत करे-Strengthen Bones:
हम अपने आहार के रूप में सिंहपर्णी का उपयोग कर सकते हैं जो कि आपके शारीरिक स्‍वास्‍थ्‍य (Physical health) के लिए फायदेमंद होता है। सिंहपर्णी के फायदे हड्डियों को मजबूत करने में मदद करते हैं। यह हमारी हड्डियों को स्‍वस्‍थ्‍य रखने और ऑस्टियोपोरोसिस (Osteoporosis) से बचने का प्रभावी और प्राकृतिक तरीका हो सकता है। सिंहपर्णी में कैल्शियम की अच्‍छी मात्रा मौजूद रहती है। यदि इसे हरी सब्‍जी के रूप में उपयोग किया जाता है तो केवल 1 मुट्ठी/कप पत्‍तों में कैल्शियम की दैनिक जरूरत का 10 प्रतिशत भाग प्राप्‍त किया जा सकता है। आप जानते है कि कैल्शियम आपकी हड्डियों के लिए कितना महत्‍वपूर्ण है। सिंहपर्णी में विटामिन के/K भी होते हैं जो आपकी हड्डियों के नुकसान (Bone Loss) को कम करने और ऑस्टियोपोरोसिस को रोकने में मदद करते हैं। इससे हड्डियां कमजोर होने से फ्रैक्चर होने की समस्या और शरीर में काम करने की सक्रियता कम हो जाती है। अगर आपको भी हड्डियों से जुड़ी हुई कोई समस्या है तो तुरंत सिंहपर्णी का सेवन करना प्रारंभ कर दें। जल्द ही आपको फायदा मिलेगा और हड्डियों में मजबूती बढ़ जाएगी।
 
19-एनीमिया-रक्ताल्पता-Anemia:  
सिंहपर्णी का सेवन करने से लाल रक्‍त कोशिकाओं में वृद्धि होती है। ऐसा इसलिए संभव है, क्‍योंकि इस पौधे में लोहा (Iron) अच्‍छी मात्रा में उपस्थित रहता है। इसमें पालक से दो गुना आयरन होता है। साथ ही इसमें फिनोल, फ्लेवोनॉयड्स (Flavonoids) और क्‍यूमरिक एसिड जैसे एंटीऑक्‍सीडेंट भी होते हैं, जो मुक्‍त कणों से लाल रक्‍त कोशिकाओं (Red Blood Cells) की रक्षा करते हैं।
 
20-एंटी एजिंग-Anti Aging:
एंटीऑक्‍सीडेंट सिंहपर्णी का हर हिस्‍सा, कैंसर रोधक एंटीऑक्‍सीडेंट से भरा हुआ होता है। साथ ही इसमें विटामिन सी और ए होता है जो कि लीवर के लिये अच्‍छा होता है। यह बुढापे को आपके नजदीक नहीं आने देता। यानी वृद्धावस्था की गति को धीमी कर देता है। उम्र बढ़ने के लक्षणों जैसे धब्‍बे और झुर्रियों (Spots and Wrinkles) आदि को भी कम करता है।
 
21-वजन घटाये-Lose Weight:
सिंहपर्णी का उपयोग वजन को कम करने का सबसे सस्‍ता और प्रभावी इलाज है। सिंहपर्णी वजन को कम करने के साथ-साथ शरीर में वसा के अवशोषण (Fat absorption) को भी रोक सकता है। सिंहपर्णी का सेवन करने से पैनक्रियाज एंजाइम को बढ़ाया जा सकता है, जिन्‍हें अग्‍नाशयी लाइपेज (Pancreatic lipase) कहते हैं, ये वसा को तोड़ने और अवशोषित करने में मदद करता है। एक अध्‍ययन में पाया गया कि सिंहपर्णी से निकाले गए रस (dandelion extract) का सेवन करने पर लाइपेज प्रक्रिया 86.3 प्रतिशत तक बढ़ सकती है। जो कि मानक एंटी-मोटापा दवाओं के बराबर काम करती है। सिंहपर्णी जड़ों में कम से कम 5 फेनोलिक यौगिक मौजूद रहते हैं। यदि आप अब तक अपने वजन को कम करने में सफल नहीं हो पाए हैं तो सिंहपर्णी का सेवन करें, यह आपके वजन को कम (Reduce weight) करने में मदद करेगी। हमारे मूत्र में 4% तक फैट होता है तो जितना हम मूत्र विसर्जन करते हैं उतना ही फैट हमारे शरीर से बाहर निकलता है। मूत्रवर्धक होने के कारण यह शरीर से पानी निकालता है और बिना किसी साईड इफेक्ट के वजन कम करने में मदद करता है। इसके साथ ही इसमें बाकी सब पत्तेदार सब्जियों की तरह कम कैलोरी होती है। इसको कई बार स्वीटनर के रूप में भी प्रयोग किया जाता है, क्योंकि इसमें हानिकारक शूगर नहीं होती।
 
22-सिंहपर्णी चाय के फायदे-Dandelion Tea:
सिंहपर्णी पंचांग से बनी चाय स्वास्थ्य वर्धक है। प्रचीनकाल में सिंहपर्णी पेय खास तौर पर प्रसिद्ध रहा है। सिंहपर्णी चाय के मुख्य तौर पर निम्न फायदे हैं:-

1. किडनी और लीवर की रक्षा करे।
2. रात में ब्लड शुगर लेवल नियंत्रित रखे।
3. बदन की सूजन की रोकथाम में सहायक।
4. कब्ज़ की समस्या से छुटकारा दिलाये।
5. सोते समय प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूती दे।

 
23-सिंहपर्णी जूस/Dandelion Juice:
सिंहपर्णी जूस स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है। सिंहपर्णी जूस पाचन विकार और रक्त विकार दुरूस्त करने में सहायक है।
 

आदिवासी ताऊ डॉ. पुरुषोत्तम लाल मीणा, परम्परागत उपचारक एवं काउंसलर, संचालक: निरोगधाम, जयपुर, राजस्थान, हेल्थकेयर वाट्सएप नं.: 8561955619, 03.04.2020. Edited on 10.01.2021

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *