होम्योपैथी से जुड़ी भ्रांतियां और हकीकत

 

होम्योपैथी से जुड़ी भ्रांतियां और हकीकत

होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति से उपचार करते समय हमारी कोशिश होती है कि रोग का नहीं, बल्कि रोगी का सम्पूर्णता से इलाज किया जाये और रोग को जड़ से मिटाया जाये। अधिकतर मामलों में हम सफल भी होते हैं, लेकिन भारत जैसे देश में, जहां अशिक्षा तथा किताबी ज्ञानधारी ​बहुसंख्यक लोगों को हेल्थ के बारे में प्राथमिक ज्ञात तक नहीं होता है, वहां होम्योपैथी के बारे में भ्रांतियां होना कोई बड़ी बात नहीं है। अधिकतर लोगों को होम्योपैथी के बारे में अनेक प्रकार की भ्रांतियाँ तथा गलतफहमियां होती हैं, कुछ के बारे में यहां पर तथ्यात्मक जानकारी प्रदान की जा रही है, जो जिज्ञासु पाठकों के लिये उपयोगी सिद्ध होंगी।

भ्रांति: होम्योपैथी पहले रोग को बढ़ाती है, फिर ठीक करती है।

हकीकत: न जाने क्यों यह अत्यधिक प्रचलित मिथ्या धारणा है। सच यह है कि ऐसा प्रत्येक मामले में तथा हमेशा नहीं होता है, लेकिन यदि औषधियाँ जल्दी-जल्दी या आवश्यकता से अधिक ली जाएँ तो लक्षणों की तीव्रता में वृद्धि हो सकती है। जैसे ही औषधि को संतुलित मात्रा में लिया जाता है, तीव्रता में कमी आ जाती है। यही नहीं, जब कोई रोगी लंबे समय तक ज्यादा तीव्रता वाली एलोपैथिक औषधियाँ जैसे स्टिरॉयड आदि लेता रहा है और होम्योपैथिक चिकित्सा लेते ही स्टिरॉयड एकदम से बंद कर देता है तो लक्षणों की तीव्रता में वृद्धि हो जाती है।

भ्रांति: होम्योपैथी सिर्फ और पुराने रोगों में ही काम करती है।

हकीकत: यह शतप्रतिशत मिथ्या धारणा है। हां यह सही है कि हम होम्योपैथ के पास अधिकतर मरीज अन्य चिकित्सा पद्धतियों से चिकित्सा करवानने के बाद थक-हारकर अंत में आते हैं। तब तक उनकी बीमारी पुरानी या क्रॉनिक यानी जीर्ण हो चुकी होती है। ऐसे में अधिकतर पुराने रोगों से पीड़ित रोगियों से ही हमारा वास्ता वड़ता है। मगर होम्योपैथी में सब तरह के रोगों का इलाज किया जाता है, सर्दी, खाँसी, उल्टी, दस्त, बुखार, पीलिया, टायफाइड आदि।

भ्रांति: होम्योपैथी की दवाइयां धीरे-धीरे काम करती हैं।

हकीकत: यह भी पूरी तरह से गलत धारणा गलत है, होम्योपैथी की दवाइयां भी त्वरित प्रभाव उत्पन्न करती है। बल्कि अनेक मामलों में दूसरी चिकित्सा पद्धतियों की तुलना में शीघ्रता और तेजी से काम करती हैं। आमतौर पर यह माना जाता है कि यदि किसी रोग का इलाज अन्य पद्धतियों से नहीं हो पा रहा है तो होम्योपैथिक चिकित्सा अपनाएँ अर्थात लोग लाइलाज समझे जाने वाले असाध्य व कठिन रोगों से पीउ़ित होने पर ही होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति की ओर अग्रसर होते हैं, इसलिए स्वाभाविक है कि इस तरह के रोगी को ठीक होने में थोड़ा वक्त तो लगेगा ही।

भ्रांति: होम्योपैथी में रोग का परमानेंट इलाज होता है।

हकीकत: यह भी गलत पूरी तरह से धारणा है। जैसे किसी को स्वस्थ व्यक्ति सर्दी लगने पर जुकाम हो जाती है और बुखार हो जाता है। उसका उपचार करके उसे स्वस्थ दिया जाता है। लेकिन यह नहीं कहा जा सकता कि उसका परमानेंट इलाज हो गया। अब भविष्य में उसे कभी भी जुकाम और बुखार नहीं होगा। क्योंकि फिर से सर्दी लगने पर जुकाम और बुखार होने की उतनी ही संभावना बनी रहती है, जितनी की पहली बार थी। उसी तरह सभी प्रकार की बीमारियों में आधारभूत कारण उत्पन्न होने पर फिर से वही बीमारी उत्पन्न होने की संभावना हमेशा बनी रहती है। अत: यह कहना कि होम्योपैथी की दवाई लेने के बाद फिर से बीमारी नहीं होगी, गलत धारणा है।

नोट: मेरा तो साफ कहना है कि कोई भी रोगी गारण्टी और शर्तिया इलाज के प्रलोभन में धन और स्वास्थ्य को बर्बाद नहीं करें। क्योंकि ऐसा कहने वाले धोखेबाज होते हैं।

आदिवासी ताऊ डॉ. पुरुषोत्तम लाल मीणा
(लाइलाज समझी जाने वाली बीमारियों से पीड़ित रोगियों की वाट्सएप 8561955619 पर डिटेल लेकर देशी जड़ी-बूटियों और होम्योपैथिक दवाईयों से घर बैठे इलाज किया जाता है। बिना ऑपरेशन सामान्य प्रसव हेतु घर बैठे प्रसव सुरक्षा चक्र दिया जाता है और दाम्पत्य विवादों और यौन समस्याओं के समाधान हेतु ऑनलाइन काउंसलिंग (Online Counseling) भी की जाती है। पीलिया की दवा मुफ्त में दी जाती है।) लेखन दिनांक: 22.10.2019

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